राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस आज: उपभोक्ताओं को अपनी ओर खींच रहा विज्ञापनों का मायावी जाल
सतना | आज राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस है । आज एक बार पुन: उपभोक्ता अधिकार संरक्षण की बड़ी बड़ी बातें की जाएंगी और उपभोक्ता अधिकार को संरक्षित करने का संकल्प भी लिया जाएगा। 24 दिसबर को ऐसा हर साल किया जाता है लेकिन क्या सचमुच आज उपभोक्ताओं के अधिकार सुरक्षित हैं? एक ऐसे समय में जब उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित कर रही है, बाजार आकर्षण का अहम केंद्र बनकर उभर रहे हैं।
विज्ञापनों का मायावी जाल उपभोक्ता को अपनी ओर खींच रहा है। वस्तु को बेचने की होड़ में हर सही गलत उपाय अपनाया जा रहा है। जीवन में सुख का अभिप्राय केवल भोग और उपभोग को माना जाने लगा हैं। ऐसे में झूठी शानो-शौकत के दिखावे के चक्कर में उपभोक्ता अविवेकशील होकर अनावश्यक चीजों को भी थैले में भरकर घर ला रहा है। बाजार एवं उपभोक्तावादी संस्कृति के इस काले जादू के आगे उपभोक्ता बेबस एवं लाचार खड़ा हैं।
इन परिस्थितियों के बीच उपभोक्ता अधिकारों का संरक्षण एक जटिल चुनौती है। इन्हीं सब को देखते हुए उपभोक्ता में उत्पादकता और गुणवत्ता संबंधित जागरूकता को बढ़ाने व उपभोक्ता कानूनों के बारे में लोगों को जानकारी देकर उपभोक्ता के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से भारत में 24 दिसंबर को 'राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस' के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने के लिए 24 दिसंबर, 1986 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 लागू किया गया था।
अब आया नया कानून
एड. कमलेश पटेल बताते हैं कि हाल में तीन दशक पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून, 1986 को बदल दिया गया है। इसकी जगह उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 ने ली है। नए कानून में उपभोक्ताओं के हित में कई कदम उठाए गए हैं। पुराने नियमों की खामियां दूर की गई हैं। इसका उद्देश्य भ्रामक विज्ञापनों, डिजिटल लेनदेन और ई-कॉमर्स से जुड़ी समस्याओं को बेहतर तरीके से दूर करके उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है। इस विधेयक में यह प्रावधान है कि यदि कोई निर्माता या सेवा प्रदाता झूठा या भ्रामक प्रचार करता है जो उपभोक्ता के हित के खिलाफ है तो उसे दो साल की सजा और 10 लाख रुपये तक जुमार्ना हो सकता है। अपराध दोहराए जाने पर जुमार्ने की राशि 50 लाख रुपये तक और कैद की अवधि पांच साल तक हो जाएगी।
शासन के निर्देशानुसार राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के अवसर पर 24 दिसम्बर को कलेक्ट्रेट सभागार में डिजिटल माध्यम से वेबीनार आयोजित किया जायेगा। कलेक्टर अजय कटेसरिया द्वारा जानकारी दी गई कि जिला उपभोक्ता फोरम, कार्यपालन यंत्री एमपीएसईबी, दूरसंचार, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, लीड बैंक मैनेजर, निरीक्षक नापतौल, सैल्स आॅफीसर आईओसीएल, खाद्य सुरक्षा अधिकारी, स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन, जिला डाक कार्यालय द्वारा उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के संबंध में विभागीय जानकारी से अवगत कराया जायेगा। ग्राम पंचायत स्तर पर प्रात: 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक तथा जिला स्तर पर दोपहर 2 बजे से सायं 4 बजे तक दो चरणों में वेबीनार का आयोजन किया जाएगा।
इन बातों का रखें ध्यान, रहें जागरूक
- जब आप कोई सामान खरीदते हैं तो उसके बिल की मांग अवश्य करें और उसे संभालकर रखें।
- यदि किसी वस्तु की समाप्ति तिथि (एक्सपायरी डेट) निकट हो तो आप उससे ताजे पैकेट की मांग करें।
- विक्रेता द्वारा बाट के स्थान पर सामान्य पत्थर से वस्तुएं जैसे सब्जी, फल आदि तौलने पर आप विरोध दर्ज कराएं।
- अत्यधिक चटखदार रंग की सब्जी व फल को परखकर ही खरीदें।
- आईएसआई चिह्न, निर्माण तिथि तथा समाप्ति तिथि और मूल्य की जांच करके सामान खरीदें।
व्यापारियों को उपभोक्ताओं के हित का तो ध्यान तो रखना ही चाहिए लेकिन यह आवश्यक है कि उपभोक्ता भी अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें और अधिकारों के हनन पर प्रतिकार करें तभी ऐसे दिवस सार्थक होंगे।
द्वारिका गुप्ता, अध्यक्ष विंध्य चेंबर आफ कामर्स
उपभोक्ता कानून 1986 में अस्तित्व में आया था जिसे अब बदल दिया गया है। इसकी जगह उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 ने ली है। नए कानून में पुराने नियमों की खामियां दूर करते हुए उपभोक्ताओं के हित में कई कदम उठाए गए हैं। उपभोक्ता यदि नियमों को लेकर सजग रहे तो उसके हित को कोई प्रभावित नहीं कर सकता है।
एड. कमलेश पटेल, अधिवक्ता
देखिए उपभोक्ता दिवस तभी सफल होगा जब ग्राहक सतर्क और जागरूक होगा। दुकानदारों को भी अपनी तौल दुरूस्त रखनी चाहिए ताकि उपभोक्ता का विश्वास न टूटे, क्योंकि विश्वास से ही व्यापार बढ़ता है।
अशोक दौलतानी, प्रदेश सचिव ‘कैट’
हालांकि बढ़ते बाजारवाद के बीच उपभोक्ता हित हासिए पर आए हैं और व्यवसायिक उपक्रम उपभोक्ताओं के अधिकार का हनन करने का प्रयास करते हैं लेकिन यदि उपभोक्ता जागरूक है तो उसे आसानी से छला नहीं जा सकता। हम लगातार कार्यक्रमों का आयोजन कर उपभोक्ताओं को जागरूक करने का प्रयास करते हैं।
महेंद्र पांडेय, प्रदेश सचिव , अखिल
भारतीय उपभोक्ता उत्थान संगठन