MP में डरावना हुआ कोरोना: संक्रमण दर 22 फीसदी के ऊपर, हर चौथा व्यक्ति संक्रमित
भोपाल | मध्यप्रदेश में अब कोरोना पूरी तरह से बेकाबू हो गया है। प्रदेश में 15 अप्रैल को रिकार्ड 11,045 नए केस मिले हैं। इस दौरान 60 मरीजों की मौत हुई, जबकि 24 घंटे में अकेले भोपाल में ही 112 शवों का कोविड प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार किया गया। अस्पतालों में बेड खाली नहीं है। अगर कहीं खाली भी हैं तो वहां आॅक्सीजन की कमी है। यदि किसी तरह आॅक्सीजन का इंतजाम हो भी जाए तो आईसीयू में एक भी बेड खाली नहीं है। इसलिए कोरोना से सतर्क रहना जरूरी है। उज्जैन के चार धाम मंदिर के संत अमृतानंद महाराज की कोरोना से मौत हो गई। उन्हें उज्जैन के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके पहले चित्रकूट के नयागांव में मां तारा आश्रम के महामंडलेश्वर नागा कपिल मुनि (75) का देहरादून के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था। वह हरिद्वार कुंभ में शामिल होने गए थे।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े देखें तो कोरोना की पहली लहर से दूसरी लहर 3 गुना से भी ज्यादा तेजी से संक्रमण फैला रही है। पहली लहर में 1 से 15 सितंबर तक 26,139 लोग संक्रमित हुए थे, लेकिन दूसरी लहर में 1 से 15 अप्रैल के बीच कोरोना ने 84,179 लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। यदि मौतों की तुलना करें तो अब तक 4,425 लोग जान गंवा चुके हैं। इसमें पिछले 24 घंटे में हुई 60 मौतें भी शामिल है। पहली लहर में 367 मौतें हुई थीं। लेकिन दूसरी लहर में 411 की जान अब तक जा चुकी है।
प्रदेश में संक्रमण दर 22.13% हो गई है। सैंपल देने वाला हर चौथे व्यक्ति की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। इस लिहाज से देखें तो कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक है। पहली लहर से इस बार संक्रमण दर दो गुनी है। पहली लहर में 15 सितंबर 2020 को संक्रमण दर 11.2% थी। यही वजह है कि सरकार को अब 1 लाख बेड का इंतजाम करना पड़ रहा है, लेकिन केवल बेड उपलब्ध होने से इलाज नहीं होगा। इसके लिए आॅक्सीजन, दवाएं और पैरामेडिकल स्टाफ की बड़ी संख्या में जरूरत पड़ने वाली है।
भोपाल में हालात ज्यादा खराब
कोरोना की दूसरी लहर में भोपाल में हालात ज्यादा खराब है। सरकारी आंकड़ों में सिंतबर की तुलना में यहां मौतें कम दर्ज हैं, लेकिन संक्रमण की रफ्तार पहली लहर की तुलना में 6 गुना ज्यादा है। अब तक 12,744 पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं।
कोरोना से लड़ाई के लिए खर्च की जा सकेगी विधायक निधि
कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए अब विधायकों की सिफारिश पर निर्वाचन क्षेत्र विकास योजना की राशि का उपयोग कोरोना वायरस से निपटने के लिए जरूरी चिकित्सकीय उपकरणों की खरीदी एवं अन्य चिकित्सकीय व्यवस्थाएं करने में किया जा सकेगा। योजना आर्थिक सांख्यिकी विभाग ने इस संबंध में सभी कलेक्टरों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। नि डॉक्टरों और मेडिकल अमले की सहूलियत के लिए जिला कलेक्टर अब इन्फ्रारेड थमोर्मीटर, कोविड नियंत्रण में जुटे मेडिकल अमले के लिए पीपीई किट, कोरोना टेस्टिंग किट, आईसीयू वेंटीलेटर, आइसोलेशन या कोरेंटाइन वार्ड स्थापित करने, पैरा मेडिकल अमले के लिए मास्क, दस्ताने और सेनीटाइजर,अन्य मेडिकल उपकरण या मशीन उपलब्ध कराने में खर्च कर सकेंगे।
जिस विधानसभा क्षेत्र में ऐसी व्यवस्थाएँ करना जरूरी होगा वहाँ के संबंधित विधायकों की अनुसंशा इसके लिये जरूरी होगी। यह व्यवस्था सिर्फ वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिये की गई है। व्यय की अनुमति एक बार के लिये होगी। किसी भी परिस्थिति में कोई भी व्यय वर्ष 2022-23 के अंतर्गत नहीं किया जायेगा। राज्य शासन ने इस प्रकार की व्यवस्थाएँ करने के लिये उपयोग में आने वाली राशि की शर्ते एवं मापदंड लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की अनुमति मदों के अनुसार होंगी। शर्तों के अनुसार स्वीकृत राशि और इसके खर्च करने एवं सामग्री खरीदने के बाद अभिलेख संधारण की जिम्मेदारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की होगी। उल्लेखनीय है कि राज्य शासन कोविड संक्रमण से निपटने के लिये सभी उपलब्ध वित्तीय एवं अधोसंरचनात्मक संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर रही है।
मिनेश और साईं अस्पताल को बंद करने के दिए निर्देश
कोरोना महामारी के बीच मरीजों से अस्पतालों में लूट खसोट की शिकायतें मिल रही हैं। इस पर शुक्रवार को इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने कड़ा एक्शन ले लिया। एआईसीटीएसएल में सबसे ज्यादा शिकायतों वाले 30 अस्पतालों की कलेक्टर ने बैठक ली। बैठक में गलत जानकारी देने पर एक अस्पताल के पीआरओ को कलेक्टर ने बैठक से ही उठाकर थाने ले जाने को कहा। उसके खिलाफ 151 में कार्रवाई कर एडीएम को उसे जेल भेजने के भी कह दिया।
मिनेश अस्पताल और साईं अस्पताल को तत्काल बंद करने के निर्देश भी दिए। वहीं एप्पल अस्पताल से रेमडेसिविर इंजेक्शन का हिसाब मांगा। रिकार्ड उपलब्ध नहीं करवाने और ज्यादा कीमत पर इंजेक्शन बेचने की शिकायत मिलने पर अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने की बात कही। कलेक्टर के निर्देश के बाद प्रशासन की टीम एप्पल अस्पताल मेडिकल स्टोर को सील करने पहुंच गई। बता दें कि पिछले तीन दिन में अस्पताल को 217 रेमडेसिविर इंजेक्शन दिए गए, जिसका रिकार्ड अस्पताल उपलब्ध नहीं करवा पाया।