अस्पताल के बच्चा वार्ड और मेडिसिन में बढ़े मरीज

रीवा | इन दिनों पड़ रही कड़कड़ाती ठंड का असर बच्चों और बुजुर्गों में देखने को मिल रहा है। निमोनिया के मरीजों में एकाएक वृद्धि हुई है। जीएमएच का बच्चा वार्ड और एसजीएमएच का मेडिसिन वार्ड फुल हो गया है। यहां पर एक बेड में दो-दो बच्चों को लिटाने की जरुरत पड़ रही है। इधर मेडिसिन वार्ड में फ्लोर बेड लगाने पड़े हैं। चिकित्सकों ने बच्चों और बुजुर्गों की सेहत का ध्यान रखने की हिदायत दी है।

उल्लेखनीय है कि जिले का न्यूनतम तापमान में तापमान 5 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है। ऐसे में 60 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग और 12 साल से कम आयु वाले बच्चों को काफी समस्या होती है। ठंड का अन पर काफी असर होता है। थोड़ी से लापरवाही से जान पर बन सकती है। बच्चे और बुजुर्ग निमोनिया की गिरफ्त में आ सकते हैं। ऐसे में इनका ध्यान देना काफी आवश्यक है। प्रतिदिन अस्पताल में निमोनिया के लक्षण वाले आधा सैकड़ा से अधिक मरीज पहुंच भी रहे हैं। इनमें से आधा दर्जन मरीजों की हालत नाजुक होती है, जिन्हें भर्ती किया जाता है। लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या के कारण बच्चा वार्ड एवं मेडिसिन वार्ड फुल हो गया है। चिकित्सकों ने ठंड से बचने की हिदायत दिया है।

ये हैं निमोनिया के लक्षण
बुखार, खांसी, तेज श्वांस चलना, पसली चलना अथवा पसली धसना निमोनिया के लक्षण हैं। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर बच्चों एवं बुजुर्गों को निमोनिया के उपचार की खातिर फौरन चिकित्सक अथवा निकटतम स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं। इसमें लापरवाही बरतने पर जान को खतरा हो सकता है।

बच्चों को ऐसे ठंड से बचाएं
बच्चों को ठंड से बचाव के लिए अभिभावकों से आग्रह किया है कि बच्चों को दो-तीन परतों में गर्म कपडे पहनाएं। ठंडी हवा से बचाव के लिए शिशु के कान को ढंके, तलुओं को ठंडेपन से बचाव के लिए बच्चों को गर्म मोजे पहनाएं। इसी तरह का बचाव बुजुर्गों के लिए भी करने के लिए कहा गया है।

चिकित्सकों को हो रही परेशानी
मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण चिकित्सकों को उपचार करने में परेशानी हो रही है। बताया जा रहा है कि जीएमएच के बच्चे वार्ड में क्षमता से अधिक बच्चे भर्ती हैं। यही हाल मेडिसिन वार्ड का भी है। यहां पर फ्लोर बेड लगाने पड़ रहे हैं। ऐसे में चिकित्सक एवं पैरामेडिकल स्टाफ को उपचार करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

इन दिनों ठंड तेज पड़ रही है। ऐसे में बच्चों एवं बुजुर्गों की सेहत का ध्यान रखना अनिवार्य है। लापरवाही भारी पड़ सकती है। वे निमोनिया की गिरफ्त में आ सकते हैं। निमोनिया से बचाव के लिए ठंड से बचना अनिवार्य है। यदि निमोनिया के हल्के लक्षण भी सामने आए तो तत्काल चिकित्सक या समीपस्थ स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचे और उपचार कराएं।
डॉ. मनोज इंदूलकर, विभागाध्यक्ष मेडिसिन विभाग