उत्पादन ठप-गोदाम खाली: डीएपी के स्थान पर एसएसपी को प्रमोट करेगा मार्कफेड
सतना। आने वाले खरीफ सीजन में फॉस्फेटिक उर्वरकों यानी डीएपी की किल्लत मचना तय माना जा रहा है। यह बात अब मध्यप्रदेश के राज्य सहकारी विपणन संघ के आला अधिकारियों के साथ साथ ही नहीं सरकार की समझ में भी आ गई है। इसको लेकर अभी से ही रणनीति भी बनने लगी है। संघ का की ओर से तो सभी जिला कार्यालयों को पत्र लिखकर आगे होने वाली समस्या पर चिंता जताते हुए डीएपी के विकल्प के रूप में सिंगल सुपर फास्फेट को प्रमोट करने के निर्देश भी जारी कर दिये हैं। मालूम हो कि देश में डीएपी का उत्पादन ठंप जैसा पड़ा है और गोदाम भी खाली हैं।
क्यों पैदा हो रहे हालात
अंतर राष्ट्रीय बाजार में फॉस्फेटिक उर्वरकों की कीमतों में भारी तेजी और केन्द्र सरकार द्वारा अभी तक इनकी कीमतों में सबसिडी की घोषणा न हो पाने से उर्वरक निर्माता कम्पनियों से लेकर निचले स्तर तक खाद उपलब्ध कराने वाली एजेंसियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। सूत्रों का कहना है कि पिछले सीजन तक देश में किसानों को 1200 रुपये बोरी में डीएपी मिलती रही है। इधर वैश्विकस्तर पर फॉस्फेटिक उर्वरकों की कीमतों में भारी तेजी आ गई है।
चाहे यहां कच्चा माल लाकर कम्पनियां स्थानीय प्लाटों में डीएपी का निर्माण करें अथवा सीधे मंगाएं पर डीएपी के मामले देश में होनी वाली खपत आयात पर ही निर्भर है। पिछले कई महीनों से कम्पनियां सरकार पर कीमतें बढ़ाने के लिये दबाव बना रही हैं। अभी डीएपी पर सरकार प्रति बोरी 5 सौ रुपये से अधिक की सबसिडी दे रही है। अधिकांश कंम्पनिया सबसिडी की मौजूदा दर पर डीएपी की कीमतें 1900 रुपये बोरी के पार ले जाना चाहती है। उनका कहना है कि यातो सरकार कीमतें बढ़ाने दें अथवा सबसिडी बढ़ाये। अभी तक सरकार द्वारा कोई घोषणा नहीं की गई यही कारण है कि कम्पनियां भी कीमतों की घोषणा नहीं कर रहीं।
खपत के अनुसार बनाएं सप्लाई कार्यक्रम
संघ के महाप्रबंधक एमके पाठक द्वारा शुक्रवार को ही जिला कार्यालयों को भेजे गये पत्र में खरीफ सीजन में डीएपी को लेकर उत्पन्न होने वाली विषम परिस्थिति को रेखांकित किया है। पत्र में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी एवं कच्चे माल में वृद्धि एवं डॉलर के विरुद्ध रुपए के कमजोर होने जैसी स्थिति निर्मित होने के कारण प्रदायकों द्वारा आॅफर दरों में असहमति देते हुए डीएपी की पूर्ति करने में असमर्थता व्यक्त की जा रही है। नये स्कंध 1700 रुपए प्रति बैग एमआरपी या इससे अधिक की संभावना है।
इसको देखते हुए उर्वरक समन्वय समिति ने फॉस्फेटिक उर्वरकों की दरों में वृद्धि को देखते हुए फॉस्फेटिक उर्वरक के स्थान पर वैकल्पिक व्यवस्था के अनुसार अन्य उपलब्ध उर्वरक जिसमें फॉस्फेट की मात्रा पाई जाती हो उसका अधिक से अधिक उपयोग कराये जाने का निर्णय लिया गया है। संघ द्वारा सिंगल सुपर फॉस्फेट की दर एवं डीआई जारी की जा चुकी है। संघ ने सभी जिला अधिकारियों से अपेक्षा जताई है कि वे अपने जिला अन्तर्गत उर्वरक की मांग का आंकलन कर सिंगल सुपर फॉस्फेट के प्रदायकों को प्रोग्राम जारी करें जिससे सिंगल सुपर फॉस्फेट की उपलब्धता बनी रह सके।
प्रदेश में फॉस्फेट की मात्रा वाले अन्य उर्वरकों का उपयोग करने का निर्णय निर्णय लिया गया है। संघ का प्रयास है कि जिला स्तर पर इसका पर्याप्त भण्डारण किया जाये ताकि सीजन में उपलब्धता बनी रहे।
एमके पाठक, महाप्रबंधक खाद मार्कफेड भोपाल
संघ के प्रदेश कार्यालय से डीएपी के मौजूदा हालातों से अवगत कराते हुए खपत के अनुसार एसएसपी का भण्डारण करने के निर्देश प्राप्त हुए हैं। वैसे डीएपी का जो फार्मूला है उसके अनुसार 3 बोरी एसएसपी एक बोरी डीएपी का विकल्प बन सकता है।
नारेन्द्र प्रताप सिंह, जिला प्रबंधक मार्कफेड सतना