दिव्य विचार: विश्वास और समर्पण दांपत्य की धुरी- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि आज मैं चार बातों पर आप सबका ध्यान केन्द्रित करूँगा। चार बातें चार तरीके से हम समझे तो जीवन में एक अद्भुत सामंजस्य होगा। सबसे बड़ी बात एक दंपत्ति में समझ होनी चाहिये, सामंजस्य होना चाहिये एक दूसरे के प्रति विश्वास होना चाहिये और समर्पण होना चाहिये। समझ, सामंजस्य, विश्वास और समर्पण ये दांपत्य की धुरी हैं। आप अपनी समझ को टटोलिये। पहली बात आपकी आपस की समझ कितनी है, एक दूसरे को आप कितना समझते हैं। अक्सर देखने में ये आता है कि लम्बा जीवन बीत जाने के बाद भी लोग एक दूसरे को समझ नहीं पाते। कदाचित् समझ भी ले तो उसे स्वीकार नहीं कर पाते। अगर मान लीजिए आपकी धर्मपत्नी थोड़ी क्रोधी है उसका स्वभाव क्रोध पूर्ण है आपको पता है कि मेरी पत्नी का स्वभाव गुस्सैल है, जब गुस्सा करती है। तो आप क्या करते है बोलो। अगर आपके अंदर समझ होगी तो आप सोचिएगा कि यह इसका स्वभाव है चलों स्वीकार लो एकसेप्ट कर लो, लेकिन अक्सर लोग क्या करते हैं वे गुस्सा करते हैं तो उसमें पानी डालने की जगह पेट्रोल डाल देते हैं। प्रतिक्रिया कर देते हैं। मामला और उलझ जाता हैं। अगर किसी का स्वभाव है और चूक हो रही हैं तो उस चूक को हम समझे चीजों को समझने की कोशिश करें और चीजों को वही समझ सकता हैं जिसकी दृष्टि में समग्रता होती है। दृष्टि में समग्रता रखने वाला मनुष्य बात-बात पर प्रतिक्रिया नहीं देता, जल्दी प्रतिक्रिया नहीं करता, नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं करता और उससे आपस में कटुता उत्पन्न नहीं होती लेकिन सामान्य आदमी एक दूसरे को समझे बिना एकदम एक दूसरे पर अटैक कर देता है। एक दूसरे को समझें। परिस्थितियों को समझने की कोशिश करें, एक दूसरे के पूरक बनकर चलने की कोशिश करें। लोग एक दूसरे को समझने की कोशिश नहीं करते। एक दूसरे पर अपनी बात थोपना शुरु कर देते हैं। इन सबके पीछे कारण बनता है मनुष्य के अंदर का अहंकार। ईगो आड़े आ गया है।