विधानसभा में उठ चुके सवाल: पीडब्ल्यूडी के दागी अफसरों पर कौन मेहरबान
सतना | लोक निर्माण विभाग के प्रदेश से लेकर स्थानीय स्तर के अधिकारियों ने हवाई पट्टी के निर्माण में केन्द्रीय विमानन मंत्रालय की स्वीकृति के विरूद्ध तथा दिशा-निर्देश की अनदेखी कर यहां जो भी कार्य किया है, उससे राज्य सरकार और प्रदेश संगठन की छवि पर दाग लग रहा है। एक तरफ तो पीडब्लूडी की राज्य स्तरीय जांच कमेटी ने जांच के बाद विभागीय करतूतों की पोल खोल दी हैं वहीं इस मामले में सांसद गणेश सिंह के अलावा सत्ता पक्ष के वरिष्ठ विधायक जुगुल किशोर बागरी, प्रदीप पटेल, नारायण त्रिपाठी के अलावा विजयराघोगढ़ के कांग्रेस विधायक विजय राघवेन्द्र सिंह लगातार विधानसभा सवाल लगा रहे हैं किन्तु विभाग एवं मंत्री की ओर से सदन में प्रस्तुत किया जा रहा जवाब गोलमोल है।
जबकि एयरोड्रम के निर्माण में सारे नियम और कानूनों को ताक में रखकर जो भी कार्य हुआ है उसकी वास्तविक जांच रिपोर्ट सामने आ जाने के बाद भी सरकार दोषियों को बचाने का काम कर रही है। हालंकि सूबे के मुखिया ने विभाग के ईएनसी सीपी अग्रवाल को हटाते हुए वल्लभ भवन में अटैच कर दिया, किन्तु जमीनी तौर पर हुए भ्रष्टाचार में संभाग एवं जिलास्तर के अफसरों को बचाने का खेल जारी है।
यह है जांच प्रतिवेदन की सच्चई
जांच रिपोर्ट ने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अधिकार पर अतिक्रमण करते हुए जहां पुष्पेन्द्र सिंह को सतना संभाग में अटैच करते हुए चर्चित उपयंत्री को नागौद एसडीओ का प्रभार दिए जाने संबंधी लिखित में फरमान जारी कर दिया। यह बात सत्ता पक्ष के कई नेताओं को नागवार गुजरी।
जबकि कानूनी परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो निलंबन पर स्टे आर्डर को निगम की बहाली की बहाली के साथ उसे ज्वाइन कराने में अधीक्षण यंत्री समेत कई अफसरों ने विभागीय नियमों की सीमाएं तोड़ दी। जबकि स्टे आर्डर को ही अहम माना जाता तो चर्चित इंजीनियर एके.निगम की सिर्फ बहाली हो सकती थी। उधर एक बड़ा सवाल यह भी है कि पिछले कई माह से विवादों में उलझी सतना के कार्यपालन यंत्री की कुर्सी के मामले में हाईकोर्ट द्वारा शासन के उस आदेश को निरस्त क्यों नहीं माना गया जिसमें स्पष्ट तौर पर बीके विश्वकर्मा की जगह एचएल वर्मा को कार्यपालन यंत्री का प्रभार देने के निर्देश दिए गए थे।
और ऐसे बिगड़ी बात
हवाई पट्टी समेत सतना उपसंभाग के प्रमुख कार्यो के उपयंत्री के अलावा नियम विरूद्ध तरीके से नागौद के प्रभारी एसडीओ रहें अश्वनी कुमार निगम के सस्पेंड होने के बाद उमरिया से पुष्पेन्द्र सिंह का तबादला शासनस्तर से नागौद के लिए किया गया था। जबकि पूर्व में एकेनिगम को गलत तरीके से तत्कालीन सीई, जीआर गुजरे ने नागौद का प्रभारी एसडीओ बनाए जाने का आर्डर किया था।
निलंबन के बाद चर्चित उपयंत्री ने हाई कोर्ट में अपील याचिका दायर की। बताया जाता है कि दो माह तक शासन का पक्ष हाईकोर्ट में प्रस्तुत करने के लिए कोई हाजिर नहीं हुआ तब उच्चतम न्यायालय द्वारा निलंबन आदेश पर स्टे दे दिया गया। पोस्टिंग और स्थानांतरण के खेल में माहिर रहें ईएनसी सीपी अग्रवाल ने स्टे आर्डर का पालन कराने के लिए सतना संभाग में उपयंत्री निगम की पदस्थापना किए जाने संबंधी पत्र लिखा। इधर इनसे आगे बढ़कर अधीक्षण यंत्री वीके झा हैं जिस कारण सभी मिलकर सीमाओं को लांघते हुए निगम को संरक्षण देने में जुटे हुए हैं।