दिव्य विचार: चिंतन से ही क्षमताएं बढ़ती हैं- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

दिव्य विचार: चिंतन से ही क्षमताएं बढ़ती हैं- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि अनुप्रेक्षा का अर्थ है अन्तः विश्लेषण, अपने भीतर झाँकना, अपने को निहारना, हर घटना का विश्लेषण करके उससे अनुभव का रस निचोड़ना । घटनायें घटती हैं, हम उन्हें अक्सर घटना की तरह ही जी लेते हैं। लेकिन, वे लोग विरले होते हैं, जो उस घटना से कोई न कोई रस निकाल कर उसे अपने अनुभव का आधार बनाते हैं, उससे प्रेरणा पाकर अपने जीवन को सन्मार्ग पर लगाते हैं। वस्तुतः विश्लेषण की क्षमता एक असाधारण क्षमता है। जो मनुष्य अपने अन्तः विश्लेषण में समर्थ हो जाता है, वह अपनी आत्मा में असाधारण शक्तियों के विकास करने का सौभाग्य पा जाता है।. विश्लेषण वह विधि है जो असार में भी सार को प्रदान करती है। आप लोगों ने देखा होगा कि लोक में बहुत सारी चीजों की एसेंस बनाई जाती है। आपको पता है यह एसेंस कैसे बनाया जाता है ? जैसे, गुलाब का एसेंस कैसे निकाला जाता है ? जितनी भी सिन्थेटिक चीजें बनती हैं, वे सब विश्लेषण पद्धति के आधार पर बनाई जाती हैं। वैज्ञानिक गुलाब का विश्लेषण करके देखते हैं कि आखिर गुलाब में कौन-कौन से तत्त्व हैं। जिसके कारण यह सुगन्ध बनी। फिर उसके बाद छाँटते हैं कि किन-किन चीजों में वे तत्त्व हैं, जो गुलाब में सारे के सारे एक ही जगह हैं। वैज्ञानिक विश्लेषण करके अलग-अलग पदार्थों से अलग-अलग तत्त्वों को निकालते हैं और उन सबको मिला कर जब एक कर देते हैं, तो गुलाब का एसेंस प्राप्त हो जाता है। यह एक प्रकार की विशेष उपलब्धि है। यदि हम स्वयं के प्रति जागरूक हैं, हमने घटने वाली घटनाओं के विश्लेषण की क्षमता प्राप्त कर ली है, तो हर घटना हमारे लिये बहुत बड़ी प्रेरणा बनेगी। भावनाओं के चिन्तन से ही यह क्षमता शनैः शनैः विकसित होती है, और इस क्षमता से सम्पन्न व्यक्ति हर