सांसद निधि के टैंकरों का सूखा हलक, कैसे बुझा पाएंगे प्यास
रीवा | आम लोगों की प्यास बुझाने के लिए सांसद निधि से दिए गए ग्राम पंचायतों को पानी के टैंकर ग्राम पंचायतों में शोपीस बनकर खड़े हो गए हैं। बगैर टायर ट्यूब एवं फूट चुके यह टैंकर लोगों की कैसे प्यास बुझा पाएंगे, यह किसी के गले नहीं उतर रहा है। जिले में ढाई सौ से ज्यादा टैंकरों की हालत बदतर हो चुकी है। जिनका मेंटीनेंस पंचायतों के जिम्मेदार लोगों द्वारा नहीं कराया गया और उन्हें खड़ा कर दिया गया।
गर्मी के शुरुआती दिनों में ही वाटर लेबिल तेजी से नीचे खिसका है। ऐसी स्थिति में जिले के दो दर्जन से ज्यादा गांवों में पानी का संकट पैदा हो गया है। आम लोगों को पीने का पानी मिल सके इसके लिए सांसद निधि से ग्राम पंचायतों को टैंकर दिए गए थे, जो पेयजल की पूर्ति कर सकें। आलम यह है कि पंचायत के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि एवं अधिकारियों ने इन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया है। जिले के 827 ग्राम पंचायतों में कुछ को अगर छोड़ दिया जाए तो अधिकतर ग्राम पंचायतों में सांसद निधि से पानी के टैंकर उपलब्ध कराए गए हैं। आलम यह है कि इन टैंकरों से शुरुआती दिनों में ग्राम पंचायत ने सार्वजनिक कार्यक्रमों में लोगों को उपलब्ध कराया, जिसकी निर्धारित राशि भी पंचायत में जमा की गई। बावजूद इन टैंकरों का मेंटीनेंस नहीं कराया गया और यह कबाड़ हो चुके हैं।
कहां खर्च हो गई राशि
सांसद निधि से दिए गए पानी के टैंकर आम लोगों की प्यास तो नहीं बुझा सके अलबत्ता शादी-ब्याह की पार्टी एवं मकान निर्माण के दौरान लोगों को राशि जमा कर टैंकर उपलब्ध कराए गए हैं। गौर करने वाली बात यह है कि टैंकर देने के बदले जो राशि ग्राम पंचायतों में जमा कराई गई है, वह कहां चली गई यह बताने में जिम्मेदार कन्नी काटने लगे हैं। ताज्जुब की बात यह है कि लाखों रुपए टैंकर से किराया ग्राम पंचायत को भले ही मिल चुका हो परंतु उन टैंकरों में टायर-ट्यूब तक नहीं लगवाए गए हैं।
इतना ही नहीं कई टैंकर कबाड़ की स्थिति में हो गए हैं जो कई जगहों से फूट गए हैं और उनमें पानी ही नहीं रुक रहा है। यहां पर यह बता दें कि पंचायत द्वारा टैंकर देने के बाद जो राशि जमा कराई जाती थी, उस राशि से टैंकरों के मरम्मत का कार्य कराया जाना था। जब तक टैंकरों की स्थिति अच्छी थी, पंचायत के सरपंच एवं सचिव ने राशि जमा कराई एवं उसे हजम कर लिया। अब उनका खुद का हलक सूख रहा है। ऐसी स्थिति में वह आम लोगों की प्यास बुझा पाएंगे यह कहा नहीं जा सकता।
जिले के दो दर्जन से ज्यादा ग्राम पंचायतों में पीने के पानी की समस्या खड़ी हो गई है। गर्मी के शुरुआती दिनों में ही नदी, तालाब सूख चुके हैं इतना ही नहीं हैण्डपम्प भी अब हवा उगलने लगे हैं। ऐसी स्थिति में लोगों को पानी सप्लाई के लिए एकमात्र यह जरिया बचा हुआ था कि सांसद निधि से ग्राम पंचायतों को दिए गए पानी के टैंकर से आम लोगों को पीने का पानी सप्लाई किया जाएगा। टैंकरों की बदहाल स्थिति से पानी देना तो असंभव सा लग रहा है। लोग पानी के लिए दो किलोमीटर से पांच किलोमीटर तक की जद्दोजहद कर पीने के पानी का इंतजाम कर रहे हैं।
जिला कलेक्टर द्वारा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों को बार-बार चेतावनी दी है कि हैण्डपम्पों की मरम्मत कर पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करें। स्थिति यह है कि जिले के पांच हजार से ज्यादा हैण्डपम्प हवा उगल रहे हैं। राइजिंग पाइप तक नहीं डाली जा रही है। ऐसी स्थिति में लोगों को हैण्डपम्प का सहारा भी नहीं मिल पा रहा है। जिले के रायपुर कर्चुलियान, मनगवां, जवा, नईगढ़ी, मऊगंज विकासखण्ड के कई गांव पानी के संकट से जूझ रहे हैं।