संकट के दौरान बंद हुईं शाखाएं 90 फीसदी फिर शुरू
भोपाल | विश्व के सबसे बड़े सामाजिक संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने कोरोना काल में समाज को समरसता के साथ जीवन जीने की प्रेरणा दी है। यही वजह है कि इस संकट की घड़ी में स्वयंसेवकों के साथ ही आम आदमी भी लॉकडाउन के दौरान जरुरतमंदों की मदद के लिए पूरे समय सक्रिय बने रहे।
यही नहीं इस संकट की घड़ी में जो संघ की शाखाएं बंद की गई थीं उनमें से 90 फीसदी फिर से शुरू हो चुकी हैं। यह जानकारी प्रांत संघचालक अशोक पांडेय ने दी है। उनके मुताबिक लगभग चार हजार गांवों में गौ आधारित पारंपरिक खेती, समरसतायुक्त जीवन, समाज जल स्त्रोत, सभी के लिए श्मशान और मंदिर में सबको प्रवेश आदि उपक्रमों के माध्यम से गांवों में परिवर्तन का स्वरूप दिखना दिखने लगा है। यही नहीं कोरोना काल में संघ के द्वारा सेवा के कई प्रकल्प भी संचालित किए जा रहे हैं। इसके अलावा संघ प्रबोधन के कार्यक्रम भी निरन्तर संचालित कर रहा है।
पांडेय ने बेंगलुरू में संपन्न राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की दो दिवसीय बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि इस दौरान संघ के पूरे साल के कार्यों की समीक्षाकर अगले एक साल के लिए कार्ययोजना पर फैसले लिए गए हैं। इसमें शाखाओं को फिर से लगाने और सेवा कार्यों को विस्तार देने का तय किया गया है।
हाल ही में बैठक से लौटे अशोक पांडेय ने बताया कि कोविड की वजह से बीते साल मार्च से जून तक प्रत्यक्ष शाखाएं नहीं लग सकीं लेकिन संघ कार्य निरंतर चलता रहा। स्वयंसेवकों ने तकनीक का उपयोग कर आॅनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं बौद्धिक आयोजन किए। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में जो शाखाएं बंद की गई थीं, वे बीते साल जुलाई से फिर से शुरू हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि मार्च 2020 में 38 हजार 913 स्थानों पर 62 हजार 477 स्थानों पर शाखाएं और 29 हजार साप्ताहिक मिलन चल रहे थे।
इसके बाद कोरोना की वजह से उन्हें बंद करना पड़ा था , लेकिन उनमें से इस माह में 34 हजार 569 स्थानों पर 55 हजार 652 शाखाएं और 26 हजार साप्ताहिक मिलन कार्यक्रम फिर से शुरू हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि राम मंदिर निधि समर्पण के लिए सबसे बड़ा अभियान चलाया गया। यह अभियान श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के आव्हान पर राम मंदिर निर्माण के लिए स्वयंसेवकों द्वारा निधि समर्पण अभियान के रुप में संचालित किया गया। इसके तहत देशभर में कार्यकार्ता 5 लाख 45 हजार 737 स्थानों पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि इस अभियान में कुल कितनी निधि का संग्रहण किया गया इसकी जानकारी तीन अप्रैल को होने वाली बैठक में दी जाएगी। बैठक में राम मंदिर और कोविड को लेकर एकजुटता संबंधी प्रस्ताव भी पारित किए गए।
मध्यभारत प्रांत के 97 फीसदी नगरों में किया गया संपर्क
पांडेय ने बताया कि निधि समर्पण के लिए मध्यभारत प्रांत के 97 प्रतिशत नगरों और मोहल्लों एवं गांवों में 88 प्रतिशत से अधिक परिवारों और कार्यकर्ताओं से संपर्क किया गया। इसी तरह से अब तक इस प्रांत में 89 प्रतिशत प्रत्यक्ष शाखाएं शुरू की जा चुकी हैं। कोरोना के समय में छोटे बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो इसके लिए मध्यभारत प्रांत में 2 हजार 44 स्थानों पर 15 हजार से अधिक स्वयंसेवकों ने बाल गोकुलम का संचालन भी किया गया। इससे बड़ा फायदा यह हुआ कि बच्चों में पढ़ाई को लेकर निरंतरता बनी रही और वे इस मामले में पिछड़े नहीं। यह काम भी संघ के स्वयंसेवकों द्वारा अपने स्तर पर किया गया।