दलहन, तिलहन खरीदी के लिए तीन बार बदली गई तिथि

रीवा | जिले में इस बार भी दलहन व तिलहन का पर्याप्त उत्पादन हुआ है। राई, मसूर, चना की खरीदी को लेकर जिले में 18 केन्द्र बनाए गए हैं। जहां खरीदी के लिए किसानों को पंजीयन के बाद मोबाइल पर एसएमएस भी लगातार भेजा जा रहा है। इसके बावजूद अभी तक कहीं से भी खरीदी का श्रीगणेश नहीं हो पाया है। शायद यही वजह है कि शासन के जारी आदेश के तहत दलहन-तिलहन की खरीदी के लिए 25 मार्च से प्रक्रिया शुरू कराई गई थी लेकिन किसानों के न आने पर इसे बढ़ाकर 1 अप्रैल कर दिया गया था। इसके बावजूद रुचि न दिखाई देने पर 5 अप्रैल से एक बार फिर तय 18 केन्द्रों में राई, मसूर, चना की खरीदी शुरू कराई गई है।

खरीदी केन्द्रों में सन्नाटा
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पर्याप्त उत्पादन एवं शासन से जारी समर्थन मूल्य के बाद भी एक पखवाड़ा के भीतर किसान खरीदी केन्द्र तक नहीं पहुंच रहे हैं। लिहाजा इन केन्द्रों में सन्नाटा बरकरार है। जिसके पीछे बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि शासन ने राई की खरीदी के लिए 48सौ रुपए समर्थन मूल्य रखा है। जबकि बाजार में इसे व्यापारी 52सौ रुपए में खरीद रहे हैं।

इसी तरह मसूर का रेट 51सौ रुपए है जबकि बाजार में इसके दाम किसानों को 55सौ रुपए मिल रहे हैं। वहीं चना का समर्थन मूल्य 51सौ रुपए रखा गया है। जबकि व्यापारियों द्वारा बाजार में 49सौ रुपए में खरीदी की जा रही है। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि दलहन, तिलहन के लिए बनाए गए 18 केन्द्रों में ज्यादा खरीदी चना की हो सकती है। हालांकि शासन की खरीदी में होने वाले पचड़े को देखते हुए किसान सौ-दो सौ रुपए का नुकसान उठा सकता है।

ये है वजह
जानकारी के अनुसार किसानों को व्यापारियों से तुरंत भुगतान मिल रहा है। ऐसे में किसान खरीदी केन्द्र की बजाय सीधे व्यापारी के पास पहुंच रहे हैं। वहीं जिले भर में बनाए गए दलहन, तिलहन के केन्द्रों में सिस्टम की कमी, किसानों के रुकने के लिए टेंट आदि की व्यवस्था न होना भी एक वजह माना जा रहा है। इतना ही नहीं ज्यादातर केन्द्रों में पेंट, टैग, धागा जैसी मूलभूत सामग्रियों का भी अभाव बना हुआ है। वहीं कई केन्द्र ऐसे हैं जो भीषण गर्मी में किसानों के लिए पेयजल का इंतजाम तक नहीं है।

खरीदी केन्द्र में भले ही दलहन, तिलहन बेचने के लिए किसान न पहुंच रहे हों लेकिन शासन का मुख्य उद्देश्य है कि किसानों को एमएसपी से ज्यादा दाम मिलना चाहिए। जो फिलहाल बाजार में चल रहा है। यह एक अच्छा कदम है।
एमएनएच खान, खाद्य नियंत्रक