किसान मित्र: एसडीएम के आदेश भी नाकाफी पंचायतों से नहीं आ रहे प्रस्ताव

सतना | जिले में होने वाले करीब आठ सैकड़ा किसान मित्रों की नियुक्त का मामला पंचायतों की मनमानी के चलते खटाई में पड़ा हुआ है। माह की शुरूआत में प्रशासन द्वारा पंचायतों को 8 मार्च तक आवश्यक रूप से एक पद के लिये कम से कम तीन आवेदन भेजने को कहा गया था पर 12 दिन गुजरने के बाद भी आवेदनों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हुआ। कम आवेदनों के चलते किसान मित्र नियुक्ति की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही।

मनमानी पर उतारू पंचायत प्रतिनिधि
अपने चहेतों को किसान मित्र बनाने के लिये ग्राम पंचायतों के सरंपच से लेकर सचिव और रोजगार सहायक किस कदर कलेक्टर के निर्देशों को धता बताते हुए मनमानी पर उतारू हैं इसका उदहरण इन दिनों कृषि विभाग के ब्लाक कार्यालयों में किसान मित्र के लिये पंचायतों से पहुंच रहे प्रस्तावों में देखने को मिल रहा है। पंचायतों को दो आवाद गांवों के बीच एक किसान मित्र की नियुक्ति के लिये मांगे गये नामों में कहीं दो तो कही एक ही नाम के प्रस्ताव भेजे गये थे।

इसको लेकर प्रशासन की ओर से आपत्ति दर्ज कराई गई और एक स्थान के लिये कम से कम तीन नामों की सूची भेजने को कहा गया है ताकि नियुक्ति को पारदर्शी बनाते हुए आरक्षण के मापदंडों का पालन किया जा सके। पत्र में स्पष्ठतौर पर कहा गया था कि सिंगल नाम के प्रस्ताव सचिव व रोजगार सहायकों की लापरवाही की ओर इशारा करते हैं और इसके लिये उनके खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई थी। एसडीएम की ओर से जारी निर्देशों में आवेदन के प्रस्ताव भेजने की आखिरी तारीख 8 मार्च रखी गई थी पर 19 मार्च तक आवेदनों की संख्या में कोई इजाफा होता नहीं दिख रहा।

इस तरह हो रही गड़बड़ी
ग्रामीण स्तर पर कृषक एवं प्रसार तंत्र के बीच जीवांत संबंध स्थापित करने के लिये सब मिशन आन एग्राकल्चर एक्सटेंशन आत्मा द्वारा दो आवाद गावों के बीच एक किसान मित्र की नियुक्ति की जानी है। जिले में करीब 7 सौ नियुक्ति होनी है। पिछले 21 जनवरी को कलेक्टर द्वारा पंचायतों को पत्र लिखकर 26 जनवरी की ग्राम सभा में नामों का अनुमोदन कराकर प्रस्ताव ब्लाक स्तर पर जमा कराने को कहा गया था। चयन के लिये ब्लाक स्तर पर एसडीएम की अध्यक्षता में चयन समिति बनी है जिसमें जनपद पंचायत सीईओ व एसएडीओ कृषि भी हैं।

यह समिति वहां से एक-एक पात्र का चयन कर सूची जिला कार्यालय भेजेगी और इसका अंतिम फैसला आत्मा गवर्निंग बोर्ड को लेना है जिसके अध्यक्ष कलेक्टर हैं। सूची में प्रभारी मंत्री के भी हस्ताक्षर होंगे। सूत्रों का कहना है कि जिले की अधिकांश ग्राम पंचायतों की ओर से जो प्रस्ताव भेजे गये हैं उनमें सिंगल नाम हैं। आरोप है कि सरपंचों व पंंचायतों के सचिव व रोजगार सहायकों ने अन्य आवेदनों को दरकिनार करते हुए अपने चहेतों के नाम ही भेजे थे और अभी भी उनके द्वारा आवेदन भेजने में गड़बड़ी की जा रही है।

किसान मित्र की नियुक्ति संबंधी प्राप्त ग्रामसभा के अधिकांश प्रस्ताव सिंगल नाम वाले हैं। इस मामले में अनुविभाग अधिकारियों के निर्देश के बाद भी आवेदनों की संख्या नहीं बढ़ी। फिलहाल प्राप्त आवेदनों को सूचीवद्ध किया जा रहा है।
डॉ. अनिल मिश्रा, सहायक परियोजना संचालक आत्मा