दिव्य विचार: घर में सभी के समान व्यवहार हो- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

दिव्य विचार: घर में सभी के समान व्यवहार हो- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि जब जमीन से मिट्टी उठानी होती हैं तो छोटी उंगली सबसे नीचे होती हैं। जब किसी चीज को पकड़ना होता हैं तो ये चार उंगलियों को आगे आना पड़ता हैं और जब कोई विशेष काम होता हैं तो अंगूठे का अपना रोल होता हैं। जहाँ जब जिसका रोल होता हैं वहाँ उंगलियाँ अपना काम करती हैं और यह सबको पता हैं कि पाँचों अपने-अपने में अलग हैं और पाँचों जब तक हैं तभी तक हाथ की शोभा हैं। एक उंगली भी कट जाए। हाथ की शोभा खत्म हो जाएगी और हम उंगलियों को बराबर करेंगे, हाथ की उंगलियाँ बराबर होगी, हाथ की शोभा समाप्त हो जाएगी। तो हम जैसे, इन पाँचों उंगलियों को देखकर चलते हैं वैसे ही घर के पाँच सदस्यों को भी देखकर चलना चाहिये। सबकी अपनी-अपनी योग्यता, सबकी अपनी-अपनी क्षमता, सबका अपना-अपना तजुर्बा, सबका अपना-अपना काम करने का अंदाज, हमें यह नहीं देखना चाहिए कि एक नंबर को जितना मिल रहा हैं उतना ही दो नंबर को, वैसा ही तीन नंबर को, यह अपेक्षाएँ हानिकारक हैं, पर इस हाथ को सोचना चाहिये कि मुझे हर उंगली का पूर्ण उपयोग करना हैं और उसको उतना ही महत्त्व देना हैं। इस बात पर ध्यान रखें तो घर परिवार में कभी अशांति न हो। आपको जब कभी ऐसा लगे कि मेरे प्रति यह व्यवहार ठीक नही हैं यह पक्षपात है तो आप अपने आपको उपेक्षित महसूस मत करिए। घर परिवार के मुखिया को यह होना चाहिये की घर-परिवार को इस तरह से मेनटेन करके चले की कोई उपेक्षित महसूस न हो। हमारे जैसे आप लोगों का परिवार है वैसे ही हम लोगों का परिवार है, आप भी परिवार चलाते हैं हमारा भी परिवार चलता है। आपके परिवार में आपके माँ-बाप मुखिया हैं हमारे परिवार में गुरु मुखिया है, हमारे गुरु का परिवार हैं। हम लोग उनके प्रति समर्पित हैं, जैसे आपका आपके बच्चों से सम्बन्ध हैं, आपका आपके भाईयों से सम्बन्ध हैं, हमारा हमारे सहधर्मियों से सम्बन्ध हैं।