सतना-रीवा समेत पूरे प्रदेश में रेमडेसिविर इंजेक्शन का टोटा

सतना | इन दिनों सतना-रीवा में कोरोना का संक्रमण बेलगाम हो चुका है। रोजाना 50 से ऊपर संक्रमितों की तादाद है तो एक्टिव मरीजों की संख्या 200 का आंकड़ा पार कर चुकी है। वायरस पीड़ित गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए चिकित्सक रेमडेसिविर इंजेक्शन उपचार के लिए सलाह देते हैं और पर्चों में लिख रहे हैं। हालात ये हैं कि सतना हो या रीवा , पूरे मध्यप्रदेश में कहीं भी इन दिनों रेमडेसिविर  इंजेक्शन का स्टाक नहीं है। दूसरी ओर इस दवाई के उपयोग में भी कई शर्तें हैं। चिकित्सकों का दावा है कि कोरोना वायरस में यह इंजेक्शन कारगर है और वायरस को कमजोर करता है लेकिन इसका उपयोग इमरजेंसी में ही किया जाना चाहिए। इसके लिए नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासक डॉ. संजय गोयल ने बुधवार को ही एडवाइजरी जारी की है और प्रदेश में आपूर्ति बनाए रखने के भी निर्देश दिए हैं, लेकिन उपयोग के लिए कोरोना गाइड लाइन के अनुसार ही करने के निर्देश हैं। 

कोरोना का नहीं वायरस का है इंजेक्शन
रेमडेसिविर इंजेक्शन कोई कोरोना का स्थायी इलाज नहीं है न ही यह कोरोना की दवा है। विशेषज्ञ बताते हैं कि रेमडेसिविर एक कारगर दवा है जो वायरस को कमजोर करती है वो चाहे एचआईवी हो या फिर एन्फ्लूएन्जा वायरस इन सब में उपयोग किया जाता है। हालांकि कोरोना भी एक वायरस है और यह छुआछूत एक दूसरे के सम्पर्क में आने से और हवा में फैलता है लिहाजा यह इंजेक्शन कोरोना में भी असर करता है। डॉक्टर बताते हैं कि यह इंजेक्शन कोविड के वायरस के विस्तार को रोकता है और वायरस को कमजोर करता है, लिहाजा गंभीर मरीजों को रेमडेसिविर को उपचार में डॉक्टर लिखते हैं।

यह भी निर्देश

  • इंजेक्शन का उपयोग इमरजेंसी की शर्त पर ही किया जाए। कोरोना मरीजों के इलाज में गाइड लाइन के अनुसार ही उपयोग हो।
  • इंजेक्शन को कौन से मरीज को किन परिस्थितियों में दिया गया इसका उल्लेख डॉ. के पर्चे अथवा अस्पताल के रिकार्ड में संधारित करें। 

तो डॉक्टर या अस्पताल प्रबंधन होंगे जिम्मेदार
नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन डॉ. संजय गोयल के पत्रचार में यह उल्लेख किया गया है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन का उपयोग ईयूए के अंतर्गत इमरजेंसी उपयोग के लिए मान्य है। यदि ऐसी परिस्थितियों को छोड़कर चिकित्सक द्वारा उक्त इंजेक्शन को मरीज को देते हैं या फार्मासिस्ट द्वारा लगाने की स्थिति में कोई गड़बड़ी होती है तो उसकी जिम्मेदारी डॉक्टर व अस्पताल प्रबंधन की होगी। हालांकि किसी प्रकार कूप्रभाव का उल्लेख नहीं है। 

इंदौर में इंजेक्शन के लिए यह व्यवस्था
अधिकारियों के अनुसार अचानक से मांग बढ़ने के कारण शहर में रेमडेसिविर की कालाबाजारी बढ़ गई है। इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह ने आदेश दिया है कि इंजेक्शन को आधार और फोटो आईडी दिखाने के आधीर पर ही दिया जाएगा। पॉजिटिव रिपोर्ट भी दिखानी होगी और डॉक्टर की सलाह की पर्ची भी जरूरी होगी।

2 से 9 दिनों के अंदर लगने का दावा
सतना के बिरला हॉस्पिटल के डायरेक्टर व नामी सर्जन डॉ. संजय माहेश्वरी बताते हैं कि रेमडेसिविर इंजेक्शन कोरोना संक्रमितों पर कारगर है लेकिन संक्रमण लगने के 2 से 9 दिनों के अंदर लगने पर भी इसका असर होता है। हालांकि डॉ. माहेश्वरी का दावा यह भी है कि यह इंजेक्शन सब के लिए नहीं है । उन्हीं पर इसका उपयोग किया जाना चाहिए जिनके अंदर वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। जिनके शरीर में ज्यादा लक्ष्ण है और ब्लड के साथ फेफड़ों पर संक्रमण बढ़ रहा है उनके लिए यह इंजेक्शन कारगर  है। जबकि जिला अस्पताल के मेडिकल विशेषज्ञ डॉ. एसपी तिवारी बताते हैं कि विशेष परिस्थितियों में ही रेमडेसिविर इंजेक्शन का उपयोग कोरोना के मरीजों के लिए किया जाता है।