प्रभारी मंत्री तो सरकार नहीं बना पाई पर कोरोना नियंत्रण का प्रभार अब मंत्री को

सतना | सरकार एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अब तक प्रभारी मंत्री तो जिलों को नहीं दे पाई है लेकिन कोविड नियंत्रण की मानीटरिंग के लिए जिलों में मंत्रियों को प्रभारी जरूर बना दिया है। सतना जिले के राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल को सतना के साथ साथ रीवा और सिंगरौली का प्रभारी बनाया गया है। प्रदेश सरकार के इस निर्णय को जहां भाजपा नेता कोविड नियंत्रण अभियान को गति देने वाला बता रहे हैं वहीं कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों का मानना है कि  कोविड नियंत्रण में फेल साबित हो रही सरकार औपचारिक कदम उठाकर जनता को दिग्भ्रमित कर रही है। 

बढ़ा रामखेलावन का कद 
सरकार ने विंध्य के तीन मंत्रियों के बीच नौ जिलों का प्रभार बांटा है। बेशक सरकार ने कोविड नियंत्रण का प्रभार दिया हो लेकिन सरकार द्वारा दिए गए इस दायित्व ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल का राजनीतिक कद विंध्य में बढ़ा दिया है। रामखेलावन इन दिनों सीएम की गुड बुक में हैं, नतीजतन उन्हें जिम्मेदारियां भी प्रदेश के शीर्ष नेतृत्व द्वारा दी जा रही हैं। सतना के अलावा रीवा व सिंगरौली के कोराना नियंत्रण का प्रभार देकर सूबे के मुखिया ने न केवल उनकी जिम्मेदारियां बढ़ाई हैं बल्कि उन पर भरोसा भी जताया है। उम्मीद है कि शीर्ष नेतृत्व से जिले के मंत्री के करीबी होना का लाभ जिले को मिलेगा । इसके अलावा खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री बिसाहूलाल सिंह को अनूपपुर, शहडोल व सीधी का तथा जनजातीय कार्य अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री मीना सिंह को उमरिया , मंडला व डिंडौरी का प्रभार दिया गया है। 

=देखिए प्रदेश सरकार जिला आपदाप्रबंधन समिति को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। अब कोविड के लिए मंत्री तैनात किए गए हैं जो फिर नए-नए नियम बनाकर जनता को परेशान करेंगे। हम मांग करते हैं कि सरकार जनहित में निर्णय ले तुष्टीकरण न करे क्योंकि यह आपदा का समय है। 
दिलीप मिश्रा, जिलाध्यक्ष कांग्रेस

आपदाकाल में भी सरकार का रवैया जनहित की ओर नहीं है। लोकल मंत्री को प्रभार देकर औपचारिकता पूरी की गई। इस निर्णय से लगता है कि सरकार कितनी कमजोर है जो प्रभारी मंत्री तक तैनात नहीं कर पा रही है। बिजली बिल में हमारी सरकार ने राहत दी थी वो भी छीन ली गई। सरकार केवल चुनाव जीतने की चिंता करती है। इस व्यवस्था से कोविड नियंत्रण कितना होगा यह देखने वाली बात होगी।

राजाराम त्रिपाठी, पूर्व  महापौर

जिले की प्रशासनिक व्यवस्था के लिए प्रभारी मंत्री ही नियुक्त किए जाने चाहिए। हालांकि ‘समथिंग इज बैटर दैन नथिंग’ की तर्ज पर यह व्यवस्था शुरू हुई है तो थोड़ा असर अफसरशाही पर तो पड़ेगा जो कहीं कहंी मनमानी करती नजर आती है। बेहतर होता कि एक मंत्री को एक ही जिले का प्रभार दिया जाता क्योंकि महामारी पर एक साथ कई जिलों पर नजर रखना कठिन काम है। 
पुष्कर सिंह तोमर, पूर्व महापौर

नारायण ने लिखा पीएम को पत्र 

उधर मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर कहा है कि गत वर्ष की भांति संक्रमण व लाकडाउन की आंशका से प्रवासी श्रमिक पुन: उसी तरह लौटने लगे हैं जिस प्रकार से गत वर्ष लौट रहे थे। विधायक ने लिखा है कि देशवासी आपकी बात पर बेहद भरोसा करते हैं अत: आप प्रवासी श्रमिकों से संवाद कर उन्हें कोरोना व लाकडाउन के भय से मुक्त कराएं। विधायक ने लिखा है कि यदि आपकी मन की बात में यदि यह उल्लेखित हो कि मजबूरी में लाकडाउन लगने पर प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षित वापसी कराई जाएगी तो इन दिनों प्रवासी श्रमिकों के मची भगदड़ कम हो सकेगी।

दरअसल प्रदेश सरकार की चिंता कोरोनाकाल से उपजे संकट से कराहती जनता के बजाय उपचुनाव जीतने की है। इसलिए प्रभारी मंत्री जिलों में हों इसकी फिक्र नहीं की जा रही है। कोरोना के लिए मंत्री बनाकर सरकार ने औपचारिकता पूरी की है। कोरोना जैसी महामारी औपचारिकताओं से उन्मूलित नहीं होगी। 
नीलांशु चतुर्वेदी, विधायक चित्रकूट