जिस मरीज को ज्यादा ऑक्सीजन की जरुरत, उन्हीं को रेमडेसिविर का डोज: स्वास्थ्य विभाग

भोपाल | मध्य प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या में वृद्धि के साथ रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड तेजी से बढ़ी है। भोपाल, इंदौर सहित बड़े शहरों में इस इंजेक्शन का स्टॉक खत्म हो चुका है। अब सरकार ने इसके इस्तेमाल के लिए गाइड लाइन जारी कर दी है। यह इंजेक्शन केवल उन मरीजों को दिया जाएगा, जिन्हें इलाज के दौरान हर रोज 5 लीटर से ज्यादा आॅक्सीजन दी जा रही है।

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान ने बताया कि रेमडेसिविर इंजेक्शन का उपयोग सरकारी स्तर पर कभी नहीं किया गया। लेकिन आॅल इंडिया इंस्टीटयूट आॅफ मेडिकल साइंस दिल्ली ने 7 अप्रैल को कोरोना के लिए रिवाइज ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल जारी किया है। जिसके मुताबिक जिस मरीज को 5 लीटर से ज्यादा आक्सीजन की जरुरत पड़ रही है, उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन दिया जा सकता है।

इसके आधार पर स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना के इलाज में इस प्रोटोकॉल के तहत ही रेमडेसिविर देने के आदेश जारी कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने 1 लाख रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने की तैयारी कर ली है। 60 हजार डोज के लिए टेंडर जारी कर दिया गया है। हालांकि सरकारी खरीद प्रक्रिया में समय लगता है, इसलिए सीएसआर (कॉरपोर्रेट सोशल रिस्पोंसबिलिटी ) फंड से 50 हजार डोज मंगाए हैं।

हर जिले में कोविड केयर सेंटर
हर जिले में कोविड केयर सेंटर बनाए जा रहे हैं, जिनमें कोरोना के मरीजों की देखभाल की जाएगी। कोरोना संबंधी व्यवस्थाओं के लिए हर जिले को 2-2 करोड़ रुपए की राशि भी जारी की गई है। मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा है कि प्रदेश के सभी जिलों में उपचार के लिए अस्पतालों में बिस्तर, आॅक्सीजन, दवाओं, इंजेक्शन आदि की पर्याप्त व्यवस्था है। हर जिले में कोविड केयर सेंटर बनाए जा रहे हैं। भविष्य की व्यवस्थाओं के लिए सभी जिलों में पर्याप्त संख्या में बिस्तर बढ़ाए जा रहे हैं। निजी अस्पतालों से भी अनुबंध किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्री अपने क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण रोकने, उपचार आदि की व्यवस्थाओं के लिए युद्ध स्तर पर जुट जाएं।

मरीजों के साथ मानवीय व्यवहार हो
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मरीज डॉक्टरी सलाह, ट्रीटमेंट और दवाओं पर ही निर्भर रहता है। यदि वह अस्पताल तक चल कर आया है तो निश्चय ही कोई गंभीर बात होगी। इसलिए हमारा प्रयास होना चाहिए कि मरीज के साथ मानवीय व्यवहार हो, उन्हें दवाएं और उपचार सही समय पर मिले उसे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकना न पड़े। मरीजों को घंटों तक इलाज के लिए इंतजार न करना पड़े, बीमारी का गंभीरता के अनुरूप ही इलाज हो, आवश्यक दवाएं ही लिखी जाए और अनावश्यक जांच न कराई जाए। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कोरोना संक्रमित मरीजों का अस्पताल में परिवार के सदस्य साथ में नहीं होने से मनोबल गिरने लगता है। 

इसलिए हमारा यह कर्त्तव्य है कि मरीजों की निरंतर कॉउंसलिंग करते रहे और उनका हौसला बढ़ाएं। यह सकारात्मक कार्य आपने पहले भी किया है और आगे भी पूरे धैर्य और संयम के साथ अपने दायित्वों का निर्वाह करेंगे, मुझे यह विश्वास है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पिछले एक साल में स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े कर्मियों ने मानव सेवा की जो मिसाल प्रस्तुत की है, वह अकल्पनीय है। प्रदेश की जनता इस त्याग और सहयोग को सदैव याद रखेगी।