दिव्य विचार: परिवार के प्रति उदार बनिए- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

दिव्य विचार: परिवार के प्रति उदार बनिए- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि मैं आपसे सवाल करना चाहता हूँ कि आपके बेटे से ऐसी कोई गलती हो जाए तो आप क्या करेंगे? शांत और स्थिरता पूर्वक उसे सुधारेंगे या बवाल मचायेंगे। हंगामा खड़ा करेंगे, कई ऐसे होते है जो इस तरह का परिवार में वातावरण बना देते है कि उनको बताने की हिम्मत नहीं होती। फिर माँए बेटे को बेकडोर से सपोर्ट करती हैं। उसी कारण बच्चा सुधरने की अपेक्षा बिगड़ जाता है। चीजों को पचाने की कोशिश कीजिए । संवेदनशील बनिए। अपनी संतान की भावनाओं की कद्र करना सीखिए । अगर आपके अंदर संवेदनाएं होगी थोड़ी भी संवेदनशीलता होगी तो आप संतान को सीधे-सीधे उपेक्षित नहीं करेंगे। उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए आगे बढ़ाएगें तो फिर वो बच्चा आपसे कभी दूर नहीं हो सकेगा। तीसरी बात- गंभीर बनिए। बड़ी से बड़ी बात भी हो जाए तो तुरंत-तुरंत प्रतिक्रिया मत दीजिए, नकारात्मक प्रक्रिया मत दीजिए। कोई भी समस्या हो गंभीर बनकर के ही हम अपना काम कर सकते हैं। यदि हमने अधीरता अपना ली और उल्टा सीधा स्टेप ले लिया तो मामला बहुत बिगड़ जाता है। हमेशा इस गंभीरता का ध्यान रखना चाहिये। चौथी बात-उदारता होनी चाहिये। अपने संतान के प्रति और अपने परिवार के प्रति उदार बनिए। छोटी-छोटी बातों को इग्नोर करना सीखिए और यदि किसी से कोई कमी हो जाए तो उसे इनकरेज करके आगे बढ़ाने की कोशिश कीजिए, अनुदारता का परिचय मत दीजिए। ये अच्छे पिता के चार गुण सहनशील होना, गंभीर होना, संवेदनशील होना, उदार होना जिस पिता के हृदय में ये चारों गुण जुड़े होगे वह निश्चित सारे के सारे परिवार का आदर्श बनेगा और देश के लिए एक अच्छा संदेश देगा। अच्छा पिता होगा तो पुत्र भी अच्छा होगा। पिता-पुत्र दोनो अच्छे होंगे तो उनका संबंध भी अच्छा होगा।