विन्ध्य चेम्बर: तो मंत्री के नाम दस्तावेजों में दर्ज होगी 12 हजार की लेनदारी
सतना। अंचल की व्यापारिक संस्था विन्ध्य चेम्बर के पिछले सत्रों में सदस्यता और प्रवेश शुल्क, एसी और प्रिन्टर के साथ ही भुगतान संबंधी दस्तावेजों की गुमशुदगी का भूत हटने का नाम नहीं ले रहा। ताजा मामला संस्था मंत्री के नाम एसी और प्रिन्टर की तय राशि 12 हजार रुपये के दो माह बाद भी संस्था में जमा न होने का है। मंत्री मनोहर वाधवानी ने कार्यकारिणी बैठक में मामले का पटाक्षेप करने के लिये खुद ही 12 हजार रुपये जमा करने की बात कही थी। हलांकि वे अभी भी अपनी बात पर कायम हैं और दो चार दिन में राशि जमा करा देने की बात भी कही है। सूत्रों का कहना है कि यदि जल्द ही यह राशि संस्था में जमा नहीं हुई तो दस्तावेजों में उनके नाम यह राशि देनदारी के रूप में दर्ज हो जाएगी।
मंत्री ने ही की है मामले की जांच
चेम्बर से एसी प्रिन्टर के लापता होने का मामला पिछले डेढ़ साल से चर्चाओं में है। मामला तब उठा जब पिछले जुलाई 2019 में संस्था की आडिट के दौरान आडीटर सीए सुवोध अग्रवाल की ओर से आपत्ति दर्ज कराई गई। मामला संज्ञान में आने के बाद जब कायÊकारिणी ने खोज की तब पता चला कि सत्र 2018-20 के लिये हुए चुनाव के ऐन दो दिन पहले ही 6 जुलाई 2018 को संस्था के सभागार में लगे पुराने एसी के स्थान पर नया एसी बिहारी ट्रेडर्स से करीब 40 हजार का नया खरीदकर लगाया गया है। पुराना एसी कहां गया इसकी जानकारी किसी को नहीं है। यहां तक कि इसके खराब होने अथवा बदलने की कोई अनुशंसा भी तत्कालीन कार्यकारिणी से नहीं ली गई थी। इसी दौरान यह भी पता चला कि उसी समय एक प्रिन्टर भी बदला गया पर पुराना गायब है। इसके बाद तत्कालीन अध्यक्ष, महामंत्री एवं कार्यालय प्रभारी को पत्र लिखे गये।
इसके उत्तर में अध्यक्ष ने लिखित तौर पर स्वीकारा कि संस्था के उपकरण बनने के लिये कटारे कम्प्यूटर जाते थे। इसके जवाब में कटारे कम्प्यूटर से लिखित उत्तर आ गया कि हमारे यहां तो पिछले डेढ़ साल से कुछ भी बनने चेम्बर से नहीं आया। दो उपकरण गायब होने की सुई जब संस्था कर्मचारियों की ओर मुड़ी तो आनन-फानन में मौजूदा कार्यकारिणी द्वारा मंत्री मनोहर वाधवानी को जांच का जिम्मा सौंपा गया और श्री वाधवानी ने अपनी टीम में कार्यकारिणी सदस्य अनिल मोटवानी, प्रवीण मिंत्तल तथा राजेश अग्रवाल को शामिल किया।
जांच प्रतिवेदन भी गोलमोल
कई महीनों की लंबी जांच के बाद 27 जून को जो श्री वाधवानी की ओर से जो प्रतिवेदन चेम्बर को सौंपा गया उसमें संस्था के तीन कर्मचारियों पूवÊ कार्यालय प्रभारी वृजेश चौधरी, मुकेश कुशवाहा तथा जगदीश अग्रवाल द्वारा इस मामले में अनभिग्यता जताने तथा ओमप्रकाश अग्रवाल द्वारा दोनों उपकरण भण्डार में रखे होने के बयान का उल्लेख किया गया। रिपोर्ट में इसके लिये कर्मचारियों की लापरवाही को जिम्मेदार बताते हुए मामले को क्लोज करने की अनुशंसा की गई। लेकिन रिपोर्ट में अपना नाम आने पर ओमप्रकाश अग्रवाल ने लिखित तौर पर दिया कि उसके द्वारा ऐसा कोई बयान ही नहीं दिया गया।
31 अक्टूबर की कार्यसमिति की बैठक में जब जांच के किसी परिणाम पर न पहुंचने और कार्यवाई की बात आई तो श्री वाधवानी ने यहां तक कहा कि आप मामले का पटाक्षेफ करिये मै अपनी जेब से पुराने उपकरणों की अनुमानित कीमत 12 हजार रुपये जमा कर दूंगा। तब से अब तक चेम्बर राशि जमा करने के लिये एक पत्र भी लिख चुका है पर राशि जमा नहीं हुई।
संस्था से एसी-प्रिन्टर गायब होने के विषय को समाप्त करने के लिये जांच अधिकारी व मंत्री मनोहर बाधवानी की ओर से 12 हजार रुपये खुद के द्वारा जमा करने का प्रस्ताव रखा गया था। राशि अभी तक अप्राप्त है। यदि राशि जमा नहीं हुई तो दस्तावेजों में उनके नाम पर दर्ज की जाएगी।
द्वारिका गुप्ता, अध्यक्ष विन्ध्य चेम्बर