ठण्डी पड़ गई विवि में हुए घोटाले की जांच
रीवा | अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय अंतर्गत संचालित हो रहे दूरवर्ती केन्द्र के संचालन में काफी दिक्कतें आ रही हैं। दूरस्थ शिक्षा केन्द्र अंतर्गत संचालित कॉलेजों एवं विवि की परीक्षा विभाग की लापरवाही के कारण सैकड़ों छात्रों का भविष्य दांव पर है। कॉलेज और परीक्षा विभाग की साठगाठ से विद्यार्थियों को पिछले चार साल से परेशानी में डाल रखा है। सूत्रों की मानें तो इस पूरे मामले में विवि अथारिटी को अंधेरे में रखकर काम किया गया है। इतना ही नहीं इस मामले में 30 लाख रुपए के घोटाले की बात सामने आई है। जिसके लिए जांच समिति भी बनाई गई थी मगर इतना समय बीत जाने के बाद भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला है।
विवि के पास नहीं है जानकारी
कॉलेज प्रबंधन और परीक्षा विभाग की सहमति से पहले परीक्षा आवेदन भरवाए गए और बाद में परीक्षा में बैठने की पात्रता के प्रवेश पत्र भी जारी किए गए मगर अब उन्हें परीक्षाफल से वंचित होना पड़ रहा है। पिछले चार साल से छात्र अपने रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं। विडम्बना की बात यह है कि यह मामला उच्च अधिकारियों से लेकर उच्च शिक्षा विभाग में पहुंचने के बाद भी इसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। विश्वविद्यालय के पास यह डाटा भी नहीं है कि सत्र 2017-18 में दूरवर्ती की परीक्षा में कितने प्रवेशित छात्र ने परीक्षा दी और कितने फर्जी तरीके से परीक्षा में शामिल हुए। इसके बगैर कोई नतीजा निकल ही नहीं सकता।
यह है मामला
दूरवर्ती के सैकड़ों छात्रों ने प्रवेश लिया, परीक्षा के दौरान उन्हें प्रवेश पत्र मिला। छात्रों ने परीक्षा दी मगर रिजल्ट जारी करने के वक्त विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि छात्रों के प्रवेश दर्ज ही नहीं हैं। विश्वविद्यालय के सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक कॉलेजों ने विवि को निर्धारित फीस जमा की थी मगर विश्वविद्यालय के ही किसी जिम्मेदार अधिकारी ने वसूली गई फीस में हेरफेर की। संचालनालय ने इस संबंध में गणना कर कॉलेजों से 30 लाख रुपए की प्रतिपूर्ति की वसूली कुलसचिव को प्रेषित की थी। जिसके बाद कॉलेजों ने फीस जमा की मगर विश्वविद्यालय इस बात से इंकार कर रहा है। कुलपति द्वारा इस मामले की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय टीम भी गठित की थी जिन्हें जांच तैयार कर रिपोर्ट प्रस्तुत करना है।