मंत्रिमंडल का तीसरी बार विस्तार पर प्रभारी मंत्री अब तक नहीं चुन पाई सरकार
सतना | रविवार को शिवराज सरकार ने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए दो और विधायकों को मंत्री बनाया है। प्रदेश में भाजपा की सरकार बने एक साल भी पूरे नहीं हुए हैं लेकिन बदली राजनीतिक स्थितियों के चलते इन अल्प अवधि में तीसरी मर्तबा मंत्रिमंडल का विस्तार करना पड़ा है। हैरानी है कि मंत्रिमंडल विस्तार तो तीसरी बार किया गया है लेकिन प्रदेश सरकार अब तक जिलों को प्रभारी मंी देने में नाकाम रही है। पूरा लाकडाउन पीरियड प्रभारी मंत्री के बिना गुजरा और अब जब सबकुछअनलाक हो चुका है तब भी जिलों को प्रभारी मंत्री नहीं मिल सका है ।
प्रभारी मंत्री न होने का खासा असर आपदा योजनाओं के साथ विकास परियोजनाओं पर पड़ रहा है। हालांकि सरकार ने जिलों पर नजर रखने के लिए सचिव स्तर के आईएएस अफसरों की नियुक्ति कर रखी है , मगर यह व्यवस्था आम जनता और प्रशासन के बीच एक प्रभावी कड़ी बनाने में नाकाम साबित हो रही है। जिलों में प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में होने वाली बैठकों में स्थानीय विकास, निर्माण कार्यों से लेकर त्योहारों के आयोजन तक पर फैसले होते हैं। प्रभारी मंत्री की मौजूदगी में संचालित होने वाली जिला योजना समिति भी प्रभारी मंत्री न होने से अषोषित तौर पर भंग हैं।
इस समिति का जिले के विकास कार्यो के अलावा कषि , स्वास्थ्य , पीडब्लूडी, पर्यटन से जुड़ी योजनाओं को तैयार कर अमली जामा पहनाने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है लेकिन प्रभारी मंत्री तय न हो पाने से तकरीबन 6 माह से यह बैठक नहीं हो सकी है। अंतिम बैठक तत्कालीन कांग्रेस सरकार में रहे प्रभारी मंत्री लखन घनघोरिया के कार्यकाल में हुई थी। हालांकि उस बैठक के कई अहम प्रस्ताव अभी भी ध्ूाल फांक रहे है। कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद प्रदेश में नई सरकार बनी और मंत्रिमंडल का गठन भी हुआ लेकिन मंत्रियों को अब तक जिले का प्रभार नहीं दिया गया है।
इसलिए जिलों में जरूरी हैं प्रभारी मंत्री
प्रभारी मंत्री पूरे जिले की कईं योजनाओं का प्रभारी रहता है। कृषि, स्वास्थ्य, पीडब्ल्यूडी सहित अन्य विभागों की नई योजनाओं की स्वीकृति के लिए प्रभारी मंत्री का अनुमोदन लेना होता है। जिला स्तर पर तबादले में कलेक्टर, एसपी सहित अन्य विभागों के प्रमुख अधिकारी भी प्रभारी मंत्री द्वारा अनुमोदित सूची जारी करते हैं। इसके अतिरिक्त जिले के अन्य सभी प्रमुख कार्यों के लिए प्रभारी मंत्री की जिले में प्रमुख भूमिका है। प्रभारी मंत्री जिला योजना, सड़क सुरक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य समितियों का अध्यक्ष भी होता है। उसके नहीं होने से एक भी बैठकें नहीं हो पाती हैं और काम प्रभावित रहते हैं। खासकर अनलाक पीरियड में जब स्थिति को सामान्य बनाने के लिए फटाफट फैसले जरूरी हंै , तब प्रभारी मंत्री का होना जरूरी है लेकिन सतना समेत प्रदेश के किसी भी जिले में प्रभारी मंत्री की तैनाती नहीं है।
इसे प्रदेश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि सरकार 6 माह में प्रभारी मंत्री का चयननहीं कर सकी है। सरकार की इस विफलता से अफसर राज आगया है और कानून व्यवस्था से लेकर चारो ओर अराजकता व अव्यवस््था की स्थिति है। विकास की परियोजनाएं ठप हैं पर सरकार बेफिक्र बनी हुई है।
एड. मकसूद अहमद, शहर अध्यक्ष कांग्रेस
प्रदेश सरकार जनहित को हासिए पर रखकर काम कर रही है। प्रभारी मंत्री न होने से न तो कोई निर्णय हो पा रहे हैं और न ही विकास की नई योजनाओं पर मुहर ही लग पारही है। सरकार की चिंता केवल चुनाव जीतने तक रहती है। ऐसा लगता है कि सरकार को अपने ही विधायकों पर भरोसा नहीं है।
नीलांशु चतुर्वेदी, विधायक चित्रकूट
निश्चित तौर पर प्रभारी मंत्री की नियुक्ति की जानी चाहिए। अब उप चुनाव भी हो गए हैं उम्मीद है कि जल्द ही प्रभारी मंत्री भी तैनात किए जाएंगे। यह सही है कि प्रभारी मंत्री की गैर मौजूदगी में कई काम प्रभावित होते हैं।
नारायण त्रिपाठी, विधायक मैहर