जुगाड़ और प्रभार से चल रहा सवा चार अरब के बजट वाला नगर निगम
सतना | इसे दुर्भाग्य नहीं तो और क्या कहा जाए कि सवा चार अरब के बजट वाले नगर निगम का काम जोर- जुगाड़ से या ये कहें कि प्रभारियों के भरोसे चल रहा है। यहां जितने भी पद स्वीकृत हैं, उसके आधे भी कर्मचारी पदस्थ नहीं हैं, सबसे ज्यादा परेशानी निर्माण शाखा में है। इंजीनियरों के बाइस पद स्वीकृत हैं लेकिन पदस्थापना आधी भी नहीं है। नगर निगम के नए सेटअप में प्रस्तावित यंत्रियों के पदों की बात करें तो अधीक्षण यंत्री सिविल का एक पद, कार्यपालन यंत्री के चार पद प्रस्तावित हैं, इनमें से तीन सिविल के तो एक पद मेकेनिकल और इलेक्ट्रिकल का है।
सहायक यंत्री के आठ पद का प्रस्ताव है, जिसमें 6 सिविल और दो मेकेनिकल - इलेक्ट्रिकल के हैं। इसी तरह 22 पद इंजीनियरों के हैं, जिसमे से 18 पद सिविल के और चार पद मेकेनिकल और इलेक्ट्रिकल के हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य शाखा का काम भी प्रभार से चल रहा है। इसी तरह कार्यालय अधीक्षक के भी तीन पद स्वीकृत हैं जिसमें से एक पद प्रमोशन से भरा गया है जबकि 2 अन्य पदों पर प्रभार देकर काम चलाया जा रहा है।
25 हजार की आबादी पर एक इंजीनियर
यदि नियम- कायदों की बात की जाए तो लगभग 25 हजार की आबादी पर एक इंजीनियर की पदस्थापना होनी चाहिए लेकिन यहां 45 वार्डो में 6 इंजीनियरों से काम चलाया जा रहा है। यदि पद की स्वीकृत और पदस्थापना की बात की जाए तो निगम में इंजीनियरों के 22 पद स्वीकृत हैं। इनमें से दो- दो पद इलेक्ट्रिकल-मेकेनिकल के तो 18 पद सिविल के, जबकि पदस्थापना की बात की जाए तो एक-एक मेकेनिकल और इलेक्ट्रिकल के पदस्थ हैं, तो सिविल के 18 में से 6 इंजीनियर पदस्थ हैं। इस पर इनके पास निर्माण कार्यों के अलावा भवन निर्माण स्वीकृत, पीएचई और एसबीएम जैसे अन्य काम भी हैं।
पांच सालों में आए 10 इंजीनियर, बचे तीन
अगर पिछले कुछ सालों में नगर निगम में इंजीनियरों की पदस्थापना की बात की जाए तो 2015 से 2020 के बीच नगर निगम में एक सहायक यंत्री और नौ इंजीनियरों की पदस्थापना की गई थी, जिसमें से मौजूदा समय में सहायक यंत्री समेत सात इंजीनियर का स्थानान्तरण हो गया, बचे सिर्फ तीन इंजीनियर। यहां उल्लेखनीय है कि व्यापमं ने नगर निगम में इंजीनियर भेजने के लिए चार्ज भी किया था, इसके बावजूद यहां इंजीनियरों की संख्या स्वीकृत पद से काफी कम है।
कार्यपालन यंत्री एक भी नहीं
अगर नगर निगम में पदस्थ और स्वीकृत ईई, एई और इंजीनियरों की बात की जाए तो यहां कार्यपालन यंत्री के चार पद स्वीकृत हैं, उनमें से एक भी कार्यपालन यंत्री की पदस्थापना नहीं। यहां तीन कार्यपालन यंत्री हैं और तीनों प्रभारी। सहायक यंत्री के आठ पदों का प्रस्ताव है, पर पदस्थापना की बात करें तो सिर्फ तीन ही पदस्थ हैं। इसी तरह यदि निगम में इंजीनियरों की पदस्थापना की बात करें तो यहां 22 पद में से 18 सिविल व 4 मेकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरों के हैं, जिसमें से 6 सिविल के और दो मेकेनिकल और इलेक्ट्रिकल के इंजीनियर के पद भरे हुए हैं बाकी सब खाली हैं। इन सभी पदों पर जुगाड़ से काम चलाया जा रहा है।
काम भी हो रहा प्रभावित
कई बार गुणवत्ता की कमी इंजीनियर और ठेकेदार की मिलीभगत से आती है तो कुछ मौकों पर काम का बोझ भी आड़े आता है। नगर निगम में इंजीनियरों पर अक्सर गुणवत्ता के साथ समझौता करने का आरोप लगता है लेकिन इस आरोप के साथ यह भी देखा जाना चाहिए कि उन पर काम का बोझ कितना है, एक -एक इंजीनियर के पास इन दिनों आठ से 9 वार्डो का प्रभार भी है।
एक उपायुक्त भी नहीं
ऐसा नहीं है कि नगर निगम में सिर्फ इंजीनियरों भर के ही पद खाली हैं। यही हाल सहायक आयुक्त और उपायुक्त के मामले में भी हैं। निगम में दो उपायुक्त होने चाहिए एक उपायुक्त प्रशासनिक हो एक उपायुक्त वित्त,पर वर्तमान में नगर निगम में उपायुक्त वित्त ही पदस्थ हैं। इसी तरह का हाल सहायक आयुक्त के मामले में भी है, यहां सहायक आयुक्त के 6 पद हैं, वर्तमान में 5 सहायक आयुक्त पदस्थ हैं। हाल ही में सीएमओ पूजा द्विवेदी को नगर निगम सतना का सहायक आयुक्त बनाया गया है।
कर्मचारियों की कमी की वजह से काम में दिक्कतें तो आती हैं, कर्मचारियों पर काम का बोझ न पड़े इसके लिए जरूरी है कि स्वीकृत पदों के हिसाब से पदस्थापना हो। ननि में स्वीकृत पदों के हिसाब से कर्मचारियों की पदस्थापना के लिए वरिष्ठ कार्यालय को पत्राचार किया जाएगा।
तन्वी हुड्डा (आईएस्एस ), आयुक्त नगर निगम