मजदूरों को रोजगार देने वित्तीय वर्ष के मुकाबले इस बार खर्च हुई ज्यादा राशि

भोपाल | मध्यप्रदेश की शिव सरकार ने कोरोना काल में कुछ ऐसे काम किए हैं जिससे देश में प्रदेश का स्थान पहले नम्बर पर दर्ज हो गया है। कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के समय दूसरे राज्यों से लौटे प्रवासी मजदूरों को प्रदेश के भीतर ही रोजगार उपलब्ध कराने जैसी चुनौती का भी सरकार ने डटकर मुकाबला किया। यही नहीं इस महीने अप्रैल में तो मनरेगा के अंतर्गत क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देश में अव्वल स्थान पर है। दअरसल नए वित्तीय वर्ष के पहले सप्ताह में ही मध्यप्रदेश ने अपने छह साल के सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं।

मनरेगा में मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2019-20 मई 3265 करोड़ रुपए खर्च किए थे। वहीं कोरोना महामारी के दौरान पिछले साल 6082 लाख सिर्फ मजदूरी में खर्च किए हैं। मनरेगा में सामग्री पर खर्च 1416 करोड़ से बढ़कर 2547 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इसी तरह प्रशासनिक खर्च भी 267 करोड़ रुपए से बढ़कर 516 करोड़ रुपए हो गया। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष मनरेगा श्रमिकों को ज्यादा काम मिला है। खास बात यह है कि रोजगार कार्ड के बिना भी और प्रदेश में ही रोजगार दिया जा रहा है।

ध्वस्त किया पिछले छह सालों का रिकॉर्ड
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश सरकार ने कोरोना काल के दौरान प्रदेश वापस लौटे प्रवासी मजदूरों और प्रदेश में ही रह रहे मजदूरों को मनरेगा के अंतर्गत जमकर काम उपलब्ध कराया है। यानी रोजगार उपलब्धता की स्थिति पहले से बढ़ती गई। हालात ऐसे बने कि कोरोना से पहले इसमें खर्च राशि कोरोना दोगुनी से भी अधिक हो गई। यदि इसी माह अप्रैल के आंकड़ों पर गौर करें तो मध्यप्रदेश ने अपने ही पिछले छह सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।

बता दें कि जहां वर्ष 2016-17  में तीन अप्रैल को एक लाख तीन हजार दो सौ छियानवे मजदूरों को काम मिला, तो वर्ष 2017-18 में दो लाख चवालीस हजार को काम दिया गया। इसी तरह नए वित्तीय वर्ष में इस साल एक अप्रैल को पांच लाख साठ हजार मनरेगा मजदूरों को काम मिला। दो अप्रैल को करीब नौ लाख को काम मिला। इसी तरह तीन अप्रैल को 12 लाख 33 हजार मनरेगा मजदूरों को काम मिला।  यानी मजदूरों को रोजगार मिलने की पहले की स्थिति से अब स्थिति काफी बेहतर है।

हजारों पंचायतों में चल रहे काम
मनरेगा के अंतर्गत क्रियान्वयन को लेकर प्रदेश की स्थिति नम्बर वन बनी है। प्रदेश की 22 हजार 810 से ज्यादा ग्राम पंचायतों में तकरीबन 91 हजार काम चल रहे हैं। यहां मस्टर रोल पर करीब 59 लाख अकुशल श्रमिकों को काम उपलब्ध कराया गया है। यही नहीं करीब साढ़े पंद्रह लाख मजदूरों को बिना यूआईडी के भी काम पर उपलब्ध कराया गया है।

मनरेगा में प्रदेश के मजदूरों को काम उपलब्ध कराने में मध्यप्रदेश इस समय पूरे देश में नंबर वन चल रहा है। मनरेगा में मध्य प्रदेश लगातार अपने ही पुराने रिकॉर्ड भी तोड़ रहा है। प्रदेश के मजदूरों को भरपूर काम प्रदेश में उपलब्ध कराने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
मनोज श्रीवास्तव, अपर मुख्य सचिव 
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग