मध्यप्रदेश के सभी नगरीय निकायों के विकास का बनेगा पंचवर्षीय रोडमैप
भोपाल। प्रदेश के सभी नगरीय निकायों के सर्वांगीण विकास के लिए सरकार कृत-संकल्पित है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं सभी नगर निगमों में पहुंचकर नगर के विकास के पंचवर्षीय (2021-26) रोडमेप के संबंध में अधिकारियों से चर्चा कर रहे हैं। सभी नगरों में नल के माध्यम से प्रतिदिन जल-आपूर्ति, स्वच्छता और अधोसंरचना निर्माण के कार्य तेजी से किए जा रहे हैं।
2 लाख 23 हजार शहरी पथ-विक्रेताओं को ब्याज मुक्त ऋण : कोविड-19 महामारी के दौरान नगरीय क्षेत्र में सबसे ज्यादा प्रभावित वर्ग पथ विक्रेताओं का रहा है। लॉकडाउन में इनकी आजीविका पर सर्वाधिक असर पड़ा और इनकी आमदनी समाप्त हो गई। कोविड-19 महामारी में अर्थ-व्यवस्था को मजबूत बनाने तथा इन पथ-विक्रेताओं के कार्य को गति देने के लिये जून 2020 से शुरू की गई पीएम स्ट्रीट वेण्डर आत्म-निर्भर निधि योजना (पीएम स्वनिधि) में भी मध्यप्रदेश में तेजी से काम किया गया।
अब तक 2 लाख 51 हजार ऋण आवेदन बैंक द्वारा स्वीकृत किये जाकर 2 लाख 23 हजार शहरी पथ-विक्रेताओं को 10 हजार रुपए का ब्याज मुक्त ऋण दिया जा चुका है। राज्य के गरीब एवं जरूरतमंद व्यक्तियों को सस्ती दर पर पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना (द्वितीय चरण) 52 जिला मुख्यालयों एवं 6 धार्मिक नगरी मैहर, अमरकंटक, महेश्वर, ओमकारेश्वर, चित्रकूट एवं ओरछा में लागू की गई है।
इसका संचालन 100 रसोई केन्द्रों से किया जा रहा है। इन केन्द्रों पर हितग्राहियों को दिन का भोजन 10 रुपये प्रति व्यक्ति की दर से दिया जा रहा है। प्रदेश के सभी नगरों में शुद्ध पेयजल की नियमित सप्लाई सुनिश्चित करना शासन की प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना में 118 नगरीय निकायों में करीब 1513 करोड़ की जल-प्रदाय योजनाएं पूर्ण हो गई हैं। अभी 37 नगरीय निकायों में पेयजल योजनाओं के कार्य प्रगति पर हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना में मप्र दूसरे स्थान पर : प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) अंतर्गत मध्यप्रदेश में सभी 378 निकायों को शामिल कर लिया गया है। सभी निकायों में कुल 11 लाख 52 हजार आवासहीनों को सर्वेक्षित किया जाकर करीब 7 लाख 27 हजार आवास स्वीकृत किए जा चुके हैं। मध्यप्रदेश शासन ने शहरी गरीबों को आवास उपलब्ध कराने के लिए कई नवाचार भी किए हैं। बीएलसी घटक का लाभ भूमिहीन परिवारों को उपलब्ध कराने के लिए आवासीय भूमि का पट्टा उपलब्ध कराया, जिससे भूमिहीन परिवार बीएलसी घटक का लाभ लेने से वंचित न रहें।
यह गौरव की बात है कि पूरे देश में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रदेश को द्वितीय स्थान पर रखा गया है। स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के अंतर्गत खुले में शौच से मुक्त की दिशा में एक पायदान से ऊपर बढ़ते हुए 234 निकाय ओडीएफ+, 107 निकाय ओडीएफ++ तथा शेष निकाय ओडीएफ घोषित किये जा चुके हैं। नगरीय क्षेत्र में घर-घर से कचरा संग्रहण के लिए निकायों को कचरा वाहन दिया गया है। इससे सभी निकायों में 100 प्रतिशत कचरे का संग्रहण किये जाने का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है।
ठोस अपशिष्ट पृथक्करण के लिए निकायों में 151 मटेरियल रिकवरी फेसिलिटी का निर्माण किया गया है। अस्सी निकायों में मल शोधन संयंत्रों की स्थापना की गई है। प्रदेश ने विगत वर्ष की तुलना में एक पायदान आगे आकर देश में तीसरा स्थान प्राप्त किया। इंदौर नगर निगम ने स्वच्छ सर्वेक्षण में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए देश में निरंतर चौथी बार प्रथम स्थान प्राप्त किया है। भोपाल नगर निगम ने राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छतम राजधानी का पुरस्कार प्राप्त किया है। स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 के दौरान प्रदेश के 16 मे से 14 नगर निगमों ने देश के शीर्ष नगर निगमों में अपना स्थान बनाया है।
इसी प्रकार 35 अमृत शहरों में से 24 शहरों ने अपनी श्रेणी में शानदार प्रदर्शन किया। प्रदेश के छोटे शहरों ने भी अपनी श्रेणी के वर्ग में बेहतर प्रदर्शन किया। पश्चिमी जोन के 25 हजार तक की जनसंख्या श्रेणी में प्रदेश के 32 शहर शीर्ष 100 में शामिल होने में सफल रहे और 25 से 50 हजार जनसंख्या वर्ग के शीर्ष 100 शहरों में प्रदेश के 25 शहरों ने अपनी जगह बनाई। स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 में विभिन्न श्रेणी में प्रदेश को कुल 10 पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।
देश में स्मार्ट सिटी रैंकिंग में दूसरा स्थान : स्मार्ट सिटी मिशन में राज्य की सात स्मार्ट सिटी में मुख्य परियोजनाएं जैसे- स्मार्ट रोड, पब्लिक बाइक शेयरिंग, स्मार्ट पोल, स्मार्ट लाइटिंग, स्मार्ट क्लास मल्टीलेवल पार्किंग, इंटेलिजेंस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम, स्मार्ट हेल्थ, स्मार्ट सोलर ऊर्जा, पुरातत्व धरोहरों का संरक्षण के अंतर्गत रिस्टोरेशन कार्य, रिवर फ्रंट, लेक डेवलपमेंट, नानमोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट आदि सम्मिलित किए गए हैं। योजना में प्राप्त 1165 करोड़ से ज्यादा राशि के कुल 216 प्रोजेक्ट पूर्ण हो चुके हैं। वर्तमान में 3002 करोड़ से ज्यादा राशि के 147 प्रोजेक्ट्स के कार्य जारी हैं। भारत सरकार द्वारा जारी स्मार्ट रैंकिंग में भोपाल स्मार्ट सिटी को पहला एवं इंदौर स्मार्ट सिटी को चौथा स्थान प्राप्त हुआ है।
देश में स्टेट स्मार्ट सिटी रैंकिंग में मध्यप्रदेश राज्य को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। शहरी लोक परिवहन एवं यातायात व्यवस्था के विकास को सुनिश्चित करने के लिये प्रदेश के 20 शहर, जिसमें 16 नगर निगम एवं 4 नगरपालिका परिषद शामिल हैं, में सिटी बसों की सेवा नगरीय निकायों के माध्यम से की जायेगी। पहले चरण में 15 नगरीय निकायों द्वारा कुल 678 (335 शहरी एवं 343 अंतर्शहरी बसें) बसों का संचालन किया जा रहा है। दूसरे चरण में प्रदेश के भोपाल, इंदौर एवं जबलपुर शहरों में शहरी मार्गों पर कुल 1,450 बसों का संचालन किया जायेगा। इसमें से मार्च-2021 तक शहरी मार्गों पर 500 बसों का संचालन किया जायेगा। शेष 950 बसों का संचालन दिसम्बर-2021 तक किया जायेगा।
प्रदेश के नगरीय निकायों में ऊर्जा बचत के उद्देश्य से स्ववित्त पोषित एवं पीपीपी आधार पर पारम्परिक स्ट्रीट लाइटों को ऊर्जा दक्ष एलईडी स्ट्रीट लाइट से बदलने का कार्य किया जा रहा है। तीन नगरीय निकायों में यह कार्य पूरा हो गया है और 65 निकाय में अनुबंध किये जा चुके हैं। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश-2023 के रोडमैप का क्रियान्वयन भी जारी है। रोडमैप में समावेशी शहरी विकास, पर्यावरणीय सहयोगी संवहनीय विकास, नगरीय सुशासन के लिये कानूनी और राजकोषीय सुधार, शहरी सेवा प्रदाय और नगरीय नियोजन से शहरी अर्थ-व्यवस्था में सुधार कार्यक्रमों को शामिल किया गया है।
अर्बन लोकल बाडी रिफार्म : केन्द्रीय वित्त मंत्रालय निर्धारित मानक के अनुसार अर्बन लोकल बाडी रिफार्म किये गये हैं। नगरीय निकायों में प्रापर्टी टैक्स को कलेक्टर गाइड लाइन से जोड़ा गया है। साथ ही उपभोक्ता प्रभार का युक्तियुक्तकरण इस तरह किया गया है कि सेवाओं के संचालन और संधारण व्यय की सौ फीसदी प्रतिशत पूर्ति हो सके। इन दो सुधारों के कारण प्रदेश को लगभग ढ़ाई हजार करोड़ का अतिरिक्त ऋण लेने की अनुमति मिल गयी है। इस तरह मध्यप्रदेश में शहरों के सर्वांगीण विकास की परिकल्पना को धरातल पर उतारने का प्रयास किया जा रहा है। उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास है कि आगामी पाँच वर्ष में रोडमैप के अनुसार सभी शहरों का विकास हो सकेगा।