ऑक्सीजन टैंक: छह माह से हवा-हवाई, काम नहीं
सतना | कोरोना लगातार कहर बरपा रहा है और संक्रमित काल के गाल में समा रहे हैं। आज जिले को आॅक्सीजन की सबसे ज्यादा जरूरत है और आॅक्सीजन के मामले में लगातार हवा-हवाई बातें सामने आ रही हैं। काम नहीं हो रहा है। सतना में बीते 6 माह से जिला अस्पताल परिसर में आॅक्सीजन टैंक लगाने की बाते हो रही हैं पर काम आज तक शुरु नहीं हुआ है और आंगे कब काम किया जाएगा इसके बारे में भी कोई जानाकरी जिम्मेदारों को नहीं है। जरूरत आज है और सामने सिर्फ बाते आ रही हैं। टैंक के मामले में हकीकत परवान नहीं चढ़ रही है। 6 माह में तीसरी बाद इंजीनियर आए और महज सपने दिखाकर नदारद हो जाते हैं।
6 हजार केएल की चर्चा
जानकारों की माने तो 15 अपै्रल को इंजीनियरों की एक टीम फिर से सतना आई थी और जमीन देखी गई। जमीन ट्रामा में ही तय की गई है। इस दौरान डॉ एसबी सिंह,डॉ एस कारखुर, आरएमओ डॉ अमर सिंह और सीएमएचओ मौजूद थे। चर्चा के दौरान यह तय हुआ कि सतना में 6 हजार केएल क्षमता का टैंक बनाया जाना है। टैंक ऐसीजगह पर होगा जिससे पाइप लाइन जिला अस्पताल के वार्डों में भी पहुंचाई जा सके और टैंक बनाने का एक मतलब है कि सिलेडरों को लाने ले जाने की झंझट न हो पर कोरोना का कहर जिस तेजी के साथ सामने आ रहा है और टैंक बनता अभी दिख नहीं रहा है ऐसे में सिलेडरों से निजात पाना तो हाल में संभव नहीं है।
तीसरी बार देखी जमीन
जिला अस्पताल में आॅक्सीजन प्लांट के लिए टैंक बनना है ये तो बीते 6 माह से सुनने को मिल रहा है और इसकी मंजूरी भी है तभी तो पहले भी बायो मिडिकल के इंजीनियरों ने सतना जिला अस्पताल का निरीक्षण किया था। डॉ प्रमोद पाठक जब सीएस थे तब से इंजीनियर आ रहे है और केवल आ रहे हैं काम आज तक नहीं हुआ। जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर में जमीन डॉ पाठक के जमाने में ही फाइनल हो चुकी थी पर काम शुरु नहीं हुआ और तीसरी बार इंजीनियर जमीन देखने पहुंचे हैं। अभी भी ये नहीं बता सके कि कब से काम होगा। जबकि सूत्र बताते हैं कि डीएच सतना के लिए बजट भी मंजूर हो चुका है।
इंजीनियरों की एक टीम सतना आई थी और आॅक्सीजन टैंक के लिए जगह देखी गई जो ट्रामा सेंटर के बगल में है। काम कब से होगा ये अभी तय नहीं है।
डॉ अमर सिंह, आरएमओ
...तो पहुंच गए इंजीनियर
दरअसल जानकार बताते हैं कि आॅक्सीजन टैंक लगाने का काम एमपीआरडीसी को कराना है और 14 अपै्रल को एमडी ने पत्र जारी कर निर्देश दिए थे कि लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री और सीएमएचओ से समन्वय कर जगह और बिजली के इंतजाम की रिपोर्ट भेजना है। यही देखने एक बार फिर इंजीनियर पहुंचे थे। सूत्रों की माने तो स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों का फोन भी ये इंजीनियर नहीं उठाते हैं। यही हाल डॉ पाठक के सीएस रहने के दौरान भी था।