किसान समृद्धि योजना: घोटालेबाजों पर अब तक एफआईआर क्यों नहीं
सतना | कृषक समृद्धि योजना के तहत नागौद कृषि उपज मंडी में कागजों में काल्पनिक गेहूं की खरीदी कर सरकारी खजाने को 45 लाख रुपए का चूना लगाने के मामले में एमडी ने तो सख्त रुख दिखाया , लेकिन इस मामले को एक बार पुन: जांच में उलझाया जा रहा है। तत्कालीन आयुक्त सह प्रबंध संचालक राज्य कृषि विपणन बोर्ड फैज अहमद किदवई ने 26 जनवरी 2019 को कागजी खरीदी करने वाली जिन 6 फर्मों के संचालकों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश सचिव कृषि उपज मंडी नागौद को देते हुए कलेक्टर को एफआइआर दर्ज कराने में सहयोग करने को कहा था, उस मामले में एक साल बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई तो नहीं हुई, अलबत्ता अब एक बार पुन: मामले को जांच में उलझाने की कवायद शुरू हो गई है।
सूत्रों के अनुसार एक बार पुन: जांच समिति का गठन कर मामले की जांच कराई जा रही है, जिस पर जानकार सवाल उठा रहे हैं। सवाल यह है कि जिस मामले की जांच हो चुकी है और आयुक्त सह प्रबंध संचालक भोपाल जांच रिपोर्ट के आधार पर एफाआईआर के निर्देश दे चुके हैं, उस मामले की पुन: जांच करा आखिर प्रशासन क्या हासिल करना चाहता है? गौरतलब है कि इस पूरे खेल में प्रभारी मंडी सचिव, प्रांगण प्रभारी, संबंधित कर्मचारी सहित तुलावटी-हम्मालों को सहयोगी मानते हुए इनके विरुद्ध भी एफआइआर दर्ज कराने कहा गया था।
एक साल से क्यों मेहरबान रहे अफसर
कृषि उपज मंडी नागौद कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार कृषि उपज मंडी नागौद में कागजी गेहूं की खरीदी कर कई फर्मों द्वारा कृषक समृद्धि योजना के तहत फर्जी तरीके से प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने का खेल खेला गया था। मामले का खुलासा हुआ तो आरोपियों की गर्दन फंस गई। उधर, मामले की जांच मंडी बोर्ड के आंचलिक कार्यालय रीवा द्वारा कराई गई। जांच में पाया गया कि मंडी प्रांगण की 6 व्यापारी फर्म अग्रवाल ट्रेडिंग कंपनी नागौद, उर्मलिया ट्रेडिंग कंपनी नागौद, रामचंद्र गुप्ता ट्रेडिंग कंपनी नागौद, अग्रवाल ट्रेडर्स कंपनी नागौद, डायमंड राइस मिल नागौद और स्वामीजी अनाज भण्डार नागौद ने काल्पनिक गेहूं की कागजी खरीदी की। कागजी खरीदी के आधार पर 265 रुपए प्रति क्विं. की दर से हितग्राहियों को 45,23,466 का बोनस भुगतान करना दिखाया गया था।
तत्कालीन प्रबंध संचालक फैज अहमद ने मंडी सचिव को इस पूरे फर्जीवाड़े में षडयंत्र कर शासकीय धन की क्षति पहुंचाने के प्रयास के दोषी पाए गए व्यापारियों, तत्कालीन मंडी सचिव, प्रांगण प्रभारी, संबंधित कर्मचारी सहित तुलावटियों और हम्मालों के विरुद्ध पुलिस थाने में एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। मंडी बोर्ड के आयुक्त सह प्रबंध संचालक ने इन सभी 6 व्यापारी फर्मों की अनुज्ञप्ति निरस्त करने के साथ ही मंडी अधिनियम के तहत प्रतिबंधात्मक एवं वैधानिक कार्रवाई करने के निर्देश भी मंडी सचिव नागौद को दिए थे, साथ ही संबंधित व्यापारियों से आरआरसी के माध्यम से वसूली की कार्रवाई करने के निर्देश भी हुए थे ।
यह भी कहा गया था कि अगर इन 6 व्यापारियों के प्रदेश में किसी भी मंडी में लाइसेंस है तो इसकी जानकारी लेकर संबंधित मंडियों में कार्रवाई के लिए लिखा जाए। इसके साथ ही इस कागजी खरीदी में जिन तुलावटी हम्मालों ने गेहूं की खरीदी का मंडी प्रांगण में तौल करना स्वीकार किया है और उनके द्वारा कागजी खरीदी में तौल पर्ची जारी की गई है उनकी अनुज्ञप्ति भी निरस्त करने के निर्देश थे।हैरानी है कि एक साल में मंडी सचिव नागौद व जिला प्रशासन के अधिकारी भोपाल मुख्यालय के निर्देश के बाद भी एफआईआर तक नहीं दर्ज करा सके।
जमीनी फर्जीवाड़े में भी किसानों का गुनहगार
बताया जाता है कि किसान समृद्ध योजना में घोटाले का एक कसूरवार का जमीन घोटाला भी सामने आ चुका है। बताया जाता है कि नागौद विकासखंड के शहपुरा में अवैधानिक ढंग से जमीन पर कब्जा जमा लिया गया था। यह मामला जब कलेक्टर के समक्ष पहुंचा था तो जांच रिपोर्ट के आधार पर उक्त जमीन को सरकारी घोषित किया गया था।
यह सही है कि भोपाल स्तर से एफ आईआर के निर्देश दिए गए थे। जिला प्रशासन का दायित्व था कि इस मामले में कार्रवाई सुनिश्चित करे। जहां तक जांच टीम गठित करने का सवाल है तो इसकी मुझे जानकारी नहीं है।
प्रवीणा चौधरी, संयुक्त संचालक कृषि उपज मंडी रीवा