कभी कभी रोना भी चाहिए
मनोवैज्ञानिक गुरलीन बरुआ ने 'बताया है कि अगर कोई शख्स काफी समय तक नहीं रोता है तो उसमें चिड़चिड़ापन और फ्रस्ट्रेशन बढ़ सकता है। भावनाएं ज़ाहिर न करने से भावनात्मक सुन्नता या अपराधबोध या शर्म की भावना आ सकती है। भावनाओं को व्यक्त न करने से सिरदर्द, पाचन समस्याएं और थकान का कारण बन सकती हैं।