जगतदेव तालाब: सौन्दर्यीकरण से पहले हटे अतिक्रमण
सतना | सतना शहर को यदि तालाबों का शहर कहा जाए, तो यह गलत नहीं होगा। कंक्रीट के फैलते जंगल के बीच आज भी शहर में तालाबों का अस्तित्व बना हुआ है,हांलाकि बढ़ती आबादी के चलते शहर के कई तालाब अतिक्रमण की चपेट में आ गए हैं उनका रकबा छोटा हो गया है, उस रकबे में आज बड़ी-बड़ी इमारतें नजर आ रही हैं। तालाबों में अतिक्रमण की हालत यह है कि कई तालाबों का अस्तित्व भी खतरे में नजर आ रहा है।
तालाबों के संरक्षण व रख-रखाव की ओर न तो नगर निगम और न ही स्थानीय प्रशासन ध्यान दे रहा है। शहर में आज भी 21 तालाब हैं, इन तालाबों में अधिकांश तालाब अतिक्रमण की चपेट में हैं। तालाबों के तटों पर लगातार अतिक्रमण जारी है। दूसरी ओर अधिकांश तालाब ऐसे हैं, जिनका पानी अत्यधिक प्रदूषित हो चुका है। हालांकि समय-समय पर लोगों द्वारा तालाबों की सफाई, गहरीकरण व अतिक्रमण रोकने की मांग की जाती रही है लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा, जिसका परिणाम यह हो रहा है कि तालाबों में गंदगी और अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है और तालाबों का दायरा छोटा होता जा रहा है।
कभी 47 एकड़ और 4 वार्डो में फैला था
यदि शहर के सभी तालाबों को छोड़ सिर्फ जगतदेव तालाब की बात की जाए, तो कभी शहर की पहचान रहा 146 वर्ष पुराना जगतदेव तालाब सूखकर मैदान में तब्दील होता जा रहा है, लगातार बढ़ते अतिक्रमण के चलते यह अपने अस्तित्व के लिए आज संघर्ष कर रहा है। कभी 47 एकड़ और 4 वार्डो में फैला यह तालाब आज मात्र एक वार्ड और 13 एकड़ में सिमट कर रह गया है, उस पर भी लगातार प्लाटिंग जारी है। लोगों के धार्मिक आस्था का केन्द्र शहर के बीचों- बीच स्थित जगतदेव तालाब को रीवा के रानी तालाब की तरह पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किये जाने के प्लॉन तो बहुत बने, लेकिन उन्हें धरातल पर आज तक नहीं उतारा जा सका।
एक बार पांचवर्षीय कार्ययोजना के तहत तालाब के सौंदर्यीकरण का प्रस्ताव तैयार किया गया है इस प्रस्ताव को अमली जामा पहनाने से पहले जरूरी है कि तालाब को अतिक्रमण मुक्त कराया जाए। वैसे कभी शहर की पहचान रहे जगतदेव तालाब के सौन्दर्यकरण के लिए पूर्व में 4 करोड़ रुपए का प्रस्ताव तैयार किया गया था, लेकिन समय के साथ यह प्रस्ताव भी प्रशासनिक गलियारे से बाहर नहीं आ सका। इस प्रस्ताव के जरिए तालाब को रीवा के रानी तालाब की तरह विकसित किया जाना था, इसके तहत तालाब का गहरीकरण, पाथ-वे, फाउंटेन का निर्माण, पार्क का निर्माण, इनलेट-आउटलेट और बोरिंग किये जाने का प्रस्ताव था लेकिन इस पर अभी तक अमल नहीं किया जा सका है।