दिव्य विचार: बात- बात पर शंका नहीं करें- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि आप लोग शंका समाधान देखते हैं, शंका कोई करता है, समाधान किसी और को मिल जाता है। हो सकता है, शंका करने वाले के मन में शंका बनी रहे लेकिन जो समाधान खोजता है उसके लिए तो समाधान मिल ही जाता है। मैं उस शंका की बात नहीं कर रहा हूँ, मैं आपके सामने आज बात कर रहा हूँ दूसरी शंका की। आप अपने भविष्य के प्रति शंका रखते हो, रखते हो कि नहीं रखते हो? बोलो... महाराज ! बहुत शंका होती है भविष्य की। तुम्हारी जिज्ञासामूलक शंका का समाधान कोई दूसरा कर सकता है पर तुम्हारे भविष्य के प्रति तुम्हें कोई दूसरा निःशंक नहीं कर सकता। जो अपने भविष्य को लेकर शंका करते हैं, वे बड़े चिन्तामग्न होते हैं, उनके मन में हर पल एक शंका होती है, खटका बना रहता है कि क्या होगा, क्या होगा, क्या होगा? कही कुछ गड़बड़ न हो जाए, कही कुछ अशुभ न हो जाए, कही कुछ गलत न हो जाए, मन में एक खटका होता है, कीड़ा काटता रहता है। कुछ लोगों का स्वभाव ऐसा होता है कि हर बात में जब-जब भी हो तो मन में शंका होती है, उनकी सोच बड़ी नेगेटिव होती है कि अब क्या हो जाए, क्या हो जाए। गाड़ी ड्राइव पर है, एक्सीडेंट न हो जाए, व्यापार कर रहे हैं, कहीं फेल्योर न हो जाए। मन में हर पल किसी न किसी बात की शंका बनी रहती है, जो हमारे चित्त को डाँवाडोल करती है। जब मनुष्य के मन में शंका होती है तो उसकी क्षमताएं खंडित होने लगती है। एक तरफ शंका है, एक तरफ विश्वास है, एक तरफ डाउट है, एक तरफ कॉन्फिडेंस है। विश्वास मनुष्य की प्रगति कराता है और शंका उसकी प्रगति को अवरूद्ध कर देती है। कुछ कर नही पाते, लोगों के अंदर हिम्मत नहीं होती। हम क्या करें, क्या करें, क्या करें?