डीईओ दफ्तर घोटाला: 22 अपात्र मदरसों को किया 1.79 करोड़ का भुगतान

रीवा | जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय का एक और बड़े घपले और उसे अंजाम देने वाले अधिकारियों का भाण्डा फूट गया। जिले में संचालित मदरसों में से 22 अपात्र संस्थाओं के नाम से 1 करोड़ 79 लाख रुपए की बंदरबांट की गई। अपात्र मदरसों को उपकृत कर शासन की राशि हजम करने का खेल यूबी पटेल से लेकर रीवा के डीईओ रहे रवि बघेल तक चला।

जबकि तत्कालीन कलेक्टर जीपी श्रीवास्तव ने उक्त मदरसों को हाईकोर्ट में चले प्रकरण के बाद अपात्र कर दिया था। इन संस्थाओं की राशि के भुगतान में तत्कालीन लिपिक मदरसा शाखा नजीर अहमद और बाद में यहां का प्रभार पाने वाले लिपिक अखिलेश तिवारी का अहम किरदार रहा। इससे भी आश्चर्य की बात यह है कि इस फर्जीवाड़े की जांच टीम के प्रमुख रामनरेश पटेल थे। उनके पूर्ववर्ती डीईओ अंजनी त्रिपाठी की तर्ज पर श्री पटेल ने भी खुद की जांच को दफना दिया।

कलेक्टर की जांच में खुली पोल
हाईकोर्ट में दायर शिकायत के बाद तत्कालीन कलेक्टर जीपी श्रीवास्तव ने जांच कराई थी। 50 में से 22 मदरसे अपात्र पाए गए थे। इसके अलावा दो मदरसे पूरी तरह से बंद थे। बावजूद इसके तत्कालीन मदरसा शाखा लिपिक नजीर अहमद जिन्हें बाद में लोकायुक्त ने रिश्वत लेते ट्रेप किया था एवं बाद में इस शाखा में तैनात किए गए अखिलेश तिवारी, तत्कालीन डीईओ यूबी पटेल, रवि सिंह बघेल की सरपरस्ती में मदरसों के नाम पर पौने 2 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का खेल किया गया। 

2012 से 18 के बीच हुई बंदरबांट
शिक्षा विभाग की तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने 14 पेज के प्रतिवेदन में पाया है कि 2012 में पदस्थ डीईओ, योजना अधिकारी, मदरसा ओआईसी, तत्कालीन लेखा अधिकारी लिपिक आदि ने अपात्र पाए गए मदरसों में से 22 को बिना परीक्षण किए लगातार 2017 तक भुगतान किया। जांच कमेटी में डीईओ दफ्तर में उस वक्त सहायक संचालक रहे डॉ. रामनरेश पटेल, महसांव की प्राचार्य श्रीमती आशा त्रिपाठी एवं अजगरहा प्राचार्य डॉ. बदरुज्जमा खान थे। इस जांच रिपोर्ट को दो साल से पूर्व डीईओ अंजनी त्रिपाठी और बाद में वर्तमान डीईओ रामनरेश पटेल दबाकर बैठे हैं।

अपात्र मदरसे जिन्हें लाखों देकर किया गया घपला
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पंजीकृत 50 अनुदानित मदरसों का उच्च न्यायालय के आदेश से कलेक्टर द्वारा की गई जांच में अपात्र और बंद पाए गए मदरसों के खातों में बड़े पैमाने पर राशि डालकर बंदरबांट की गई है। जिन अपात्र मदरसों को भुगतान किए गए उनमें मदरसा दारुल उलूम चिश्तिया निजामिया खुटेही 8 लाख 18 हजार, मदरसा पंजतन बिछिया 10 लाख 41 हजार 500, मदरसा इमामिया अम्बेडकर नगर समान 11 लाख 78 हजार 500, मदरसा गौसिया अमिरती 6 लाख 45 हजार 500, मदरसा दारुल उलूम गौसिया चिकान टोला 7 लाख 46 हजार 500, मदरसा गरीब नवाज टीकर 43 हजार, मदरसा ईदिया तिवनी 11 लाख 78 हजार 500, मदरसा हुसैनिया गौसिया मनगवां 6 लाख 45 हजार 500, मदरसा जिंदाशाह मदार पटेहरा 7 लाख 89 हजार 500, मदरसा गौसिया रिजविया पटेहरा 11 लाख 78 हजार 500, मदरसा हनफिया गौशिया बैकुण्ठपुर 7 लाख 45 हजार, मदरसा मिस्वाहिया मिस्कादिया सिरमौर 11 लाख 78 हजार 500, मदरसा सुब्हानिया सीतापुर 5 लाख 98 हजार, मदरसा फैजाने मुस्तफा चंदमहुली 10 लाख 59 हजार, मदरसा नूरिया नरैनी 5 लाख 98 हजार, मदरसा अल इमाम रजा अमहिया 79 हजार, मदरसा तुरकान घोघर 10 लाख 16 हजार 500, मदरसा एहसानिया इस्लामिया तरहटी/बोदाबाग 7 लाख 89 हजार 500, मदरसा मुस्तकबिले आवाम बिछिया 10 लाख 91 हजार, मदरसा बहादुर शाह जफर घोपी गंगेव 11 लाख 13 हजार 500, मदरसा गौशुलवरा जोगिनिहाई 43 हजार, मदरसा आदिल अमिरती 72 हजार, इसके अलावा दो ऐसे मदरसों को 13 लाख रुपए से अधिक की राशि आहरित की गई, जिन्हें बिना वरिष्ठ कार्यालय की अनमति लिए अंजाम दिया गया। इनमें मदरसा किब्रिया मन्नान मस्जिद 6 लाख 54 हजार 500, मदरसा सिद्रा मलियान टोला 6 लाख 54 हजार 500 रुपए की बंदरबांट की गई। कुल मिलाकर अपात्र मदरसों को 1 करोड़ 79 लाख 67 हजार 500 रुपए की राशि दी गई है।