रजिस्टर में अनुपस्थित लिपिक को सैलरी स्लिप में कर दिया उपस्थित

रीवा | गांधी मेमोरियाल अस्पताल के ईएनटी (नाक, कान, गला) विभाग में पदस्थ लिपिक को अनुचित लाभ पहुंचाने का मामला समाने आया है। विभागाध्यक्ष ने रजिस्टर में अनुपस्थित लिपिक को  सैलरी स्लिप में उपस्थित बता कर पूरे माह का वेतन जारी कर दिया है। यह कोई एक माह का हाल नहीं बल्कि लिपिक हर माह दो से चार दिन ही अस्पताल पहुंचते, लेकिन वेतन उन्हें पूरे माह का जारी किया जा रहा है।

बताया जा रहा है कि गांधी मेमोरियल अस्पताल के ईएनटी विभाग में पदस्थ लिपिक एसएन पटेल को वर्तमान समय में स्टोर कीपर का प्रभार दिया गया है। इसके पहले वह एसएस मेडिकल कॉलेज के स्थापना शाखा में पदस्थ, लेकिन गड़बड़ी के कारण वहां से श्री पटेल को हटा दिया गया था। इसके बाद से ही वह अपनी ड्यूटी से नदारद रहने लगे। दस्तावेजों के अनुसार सितंबर 2020 में श्री पटेल एक भी दिन कार्यालय में उपस्थित नहीं हुए थे। उपस्थिति पंजी में उनका हस्ताक्षर भी नहीं था।

लेकिन विभागाध्यक्ष की ओर से डीन मेडिकल कॉलेज को भेजी गई सैलरी स्लिप में उनकी उपस्थिति शत-प्रतिशत दर्शाई गई है। श्री पटेल को 31 दिन उपस्थित बताया गया है, जिसकी वजह से उनका वेतन भी जारी हो गया। इससे साफ जाहिर है कि ईएनटी विभाग में चिकित्सक और लिपिकों की मिलीभगत चल रही है। इससे न सिर्फ मरीजों का उपचार प्रभावित हो रहा है, बल्कि अस्पताल के व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं।

रोस्टर में किए थे छेड़छाड़
बताया जा रहा है कि लिपिक श्री पटेल पूर्व से ही विवादित रहे हैं। उनकी कार्य प्रणाली सवालों से घिरी रही है। सूत्रों ने बताया कि मेडिकल कॉलेज के स्थापना शाखा में पदस्थ रहते हुए उन्होंने रोस्टर में छेड़छाड़ कर एक चिकित्सक को अनुचित लाभ पहुंचाने का प्रयास किया था। लेकिन यह मामला उजागर हो गया था। गड़बड़ी की जांच करने के लिए जांच कमेटी बनाई गई थी और श्री पटेल को स्थापना शाखा से हटा कर गायनी विभाग में पदस्थ कर दिया गया था। लेकिन उक्त मामले की जांच दब गई, जिसमें आगे कुछ नहीं हुआ। इसके बाद गायनी विभाग में उन्होंने कुछ गड़बड़ी की तो उन्हें वहां से हटा कर ईएनटी विभाग भेज दिया गया। लेकिन यहां भी उनकी कार्य प्रणाली सही नहीं है।

मेरे संज्ञान में यह मामला नहीं है। यदि ऐसा है तो मामले की जांच कराई जाएगी। जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। विभागाध्यक्ष से इस संबंध में जानकारी मंगाई जाएगी।
डॉ. मनोज इंदूलकर, डीन एसएस मेडिकल कॉलेज

रीवाविभाग में पदस्थ लिपिक सीधे विभागाध्यक्ष के अधीन होते हैं। वहीं उनकी सैलरी स्लिप और उपस्थिति पंजी को देखते हैं। इसके बाद वेतन पास करने के लिए डीन के पास भेजा जाता है। डीन और विभागाध्यक्ष ही इस मामले में कुछ बता पाएंगे।
डॉ. एसपी गर्ग, अधीक्षक एसजीएमएच