एक स्कूल का सबसे बड़ा घोटाला: एक करोड़ 70 लाख हजम कर रिटायर हो गए रामकृष्ण
रीवा | जिले में अनुदान प्राप्त स्कूलों व मदरसों के नाम पर हुए करोड़ों के घोटालों की गंूज अभी थम भी नहीं पाई थी कि शिक्षा विभाग का एक और करोड़ों का फर्जीवाड़ा सामने आ गया है। हनुमना के एक्सीलेंस में पदस्थ रहे प्राचार्य रामकृष्ण मिश्रा ने 1 करोड़ 70 लाख रुपए खर्च कर दिए और मामला दो साल बाद भी जांच फाइल के रूप में एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर के चक्कर काट रहा है। कहा जा सकता है कि यह प्रदेश में अपने तरह का अलग मामला है।
बेहतर शिक्षा देने के लिए ब्लॉक में भी एक्सीलेंस स्कूल संचालित हैं। ऐसे ही एक्सीलेंस हायर सेकेण्ड्री स्कूल हनुमना में प्राचार्य रहे रामकृष्ण मिश्रा भले ही दो वर्ष पहले रिटायर हो चुके हों लेकिन वे आज भी 1 करोड़ 70 लाख रुपए की खयानत के आरोप से घिरे हुए हैं। दरअसल इतनी बड़ी रकम को उन्होंने न केवल खुर्द-बुर्द किया बल्कि न पच पाने वाले बिल पेश कर दिए। यहां सबसे अहम सवाल यह है कि एक्सीलेंस स्कूल के लिए 1 करोड़ 70 लाख जैसी भारी भरकम रकम अकेले हनुमना के प्राचार्य के खाते में ही क्यों भेजी गई थी।
आॅडिट में उजागर हुआ था मामला
इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार हनुमना एक्सीलेंस हायर सेकेण्ड्री स्कूल में बतौर प्राचार्य के रूप में पदस्थ रामकृष्ण मिश्रा के सेवानिवृत्त होने के पहले उनके विभागीय लेन-देन की आॅडिट कराई गई। आॅडिट के दौरान ही चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया, जिसके तहत श्री मिश्रा द्वारा अकेल 50 लाख रुपए स्टेशनरी में खर्च दिखाया गया था। जबकि विद्यालय में बैठक व्यवस्था व अध्ययन के लिए चाक, डस्टर, टाट-पट्टी के नाम पर 50 लाख रुपए का वारा न्यारा किया गया। इतना ही नहीं बची 70 लाख रुपए की रकम के खर्च का ब्योरा वे आॅडिट में नहीं दे पाए। यहां अहम बात यह है कि 1 करोड़ 70 लाख की रकम से जिले भर के हाई व हायर सेकेण्ड्री स्कूल को अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया जा सकता था।
एक स्कूल का सबसे बड़ा घोटाला
एक्सीलेंस हायर सेकेण्ड्री स्कूल हनुमना के लिए 1 करोड़ 70 लाख रुपए की राशि भेजी गई थी। जिसके माध्यम से यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को बेहतर व्यवस्था देना उद्देश्य था। जबकि उक्त राशि को स्टेशनरी, चाक, डस्टर के नाम पर खर्च दर्शाते हुए प्राचार्य ने सारी रकम डकार ली। ऐसे में माना जा सकता है कि एक स्कूल में इतनी बड़ी रकम का फर्जीवाड़ा किए जाने का यह न केवल सबसे बड़ा बल्कि पहला मामला होगा।
कलेक्टर ने दिए जांच के निर्देश
जानकारी के अनुसार तत्कालीन डीईओ सहित वर्तमान डीईओ द्वारा काफी समय तक जांच रिपोर्ट को दबाकर रखा गया था। हाल ही में आॅडिट रिपोर्ट के साथ जिला शिक्षा अधिकारी ने एक नोटशीट कलेक्टर को भेजी, जिसमें सीधे भोपाल से आई राशि के खर्च एवं रिपोर्ट का ब्योरा अंकित था। जिस पर कलेक्टर ने पूरे मामले की जांच की फाइल सीईओ जिला पंचायत को सौंपकर जांच के निर्देश दिए हैं।
राजनैतिक दबाव भी चर्चा में
एक्सीलेंस हायर सेकेण्ड्री स्कूल हनुमना के प्राचार्य को प्रदेश मुख्यालय भोपाल से 1 करोड़ 70 लाख की राशि भेजी गई थी। इस मामले में प्राचार्य के रिटायर होने के बाद भी जांच पूरी न हो पाने की वजह राजनैतिक दबाव को भी माना जा रहा है।
सैकड़ों स्कूल का हो जाता कायाकल्प
निजी स्कूल में पठन-पाठन के लिए कम्प्यूटर सहित अन्य आधुनिक संसाधन का पर्याप्त मात्रा में प्रयोग किया जा रहा है। ऐसे में यदि उक्त 1 करोड़ 70 लाख रुपए की रकम से शासकीय स्कूलों को अत्याधुनिक स्वरूप देने का कार्य किया जाता तो न केवल हनुमना एक्सीलेंस स्कूल बल्कि जिले की सैकड़ों स्कूल का कायाकल्प होता और विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा का सीधा लाभ मिलता। दुर्भाग्य है कि इतनी बड़ी रकम खर्च हो गई और विद्यार्थियों को इसका किंचित मात्र भी लाभ नहीं मिल पाया।
रिटायर होने के बाद पेंशन के समय आॅडिट में यह मामला पकड़ में आया। रामकृष्ण मिश्रा 1 करोड़ 70 लाख रुपए का हिसाब ठीक से नहीं दे पाए हैं। स्कूल में इतनी बड़ी रकम सीधे भोपाल से भेजी गई थी। यह बात सही है कि इस राशि से जिले के समस्त हायर सेकेण्ड्री और हाईस्कूल की आधारभूत जरूरतें पूरी की जा सकती थीं। इस मामले में नोटशीट लिखकर मैंने कलेक्टर को भेज दी है। अभी तक इस पर कलेक्टर ने क्या कदम उठाया है, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। रामकृष्ण की पेंशन रोकी गई है।
डॉ. आरएन पटेल, डीईओ रीवा