बीत गया साल, रहा विकास की अधूरी परियोजनाओं का मलाल

सतना। आज हम नए साल में प्रवेश करने जा रहे हैं। अमूमन नए साल की शुरूआत नए कामों से होती है लेकिन सतना में कई ऐसे जनकल्याणकारी काम हैं जिनके पूरे होने का इंतजार शहरवासी वर्ष 2020 में करते रहे लेकिन वे काम अंजाम तक नहीं पहुंच सके। अब नए साल से उम्मीद लगाई जा रही है कि वर्ष 2021 में उन कामों को पूरा किया जाएगा। फ्लाईओवर, मेडिकल कालेज जैसे कई कामों को सरकार अब तक पूरा नहीं करा पाई है। उम्मीद है कि  यहां के रूके हुए ऐसे कामों को नए वर्ष में गति मिलेगी  जिनके रूकने से शहरवासी ही नहीं बल्कि समूचा जिला परेशान है। 

इस साल बरगी के काम को गति मिलने की आस

बरगी नहर पिछले तीन चुनावों से प्रमुख मुद्दा बनती रही है, लेकिन काम पूरा हो इसकी इच्छाशक्ति कभी नहीं दिखाई गई। भ्रष्टाचार में डूबी बरगी दायीं तट परियोजना में स्लीमनाबाद कटनी में 9 सालों का समय बर्बाद करने के बाद सरकार को समझ में आया है कि ओपन कैनाल ही एकमात्र विकल्प है।अब परियोजना पूर्ण न होने पर हमारे कोटे के पानी छिनने का खतरा पैदा हो गया है। इंटर स्टेट रिवर वाटर डिस्पयूट एक्ट 1956 की धारा-4 के अंतर्गत नर्मदा नदी के जल के निर्धारण के लिए नर्मदा ट्रिव्यूनल बनाया गया था, जिसके अंतिम आदेश के गजट प्रकाशन  में यह प्रावधान था कि यदि 12 दिसम्बर 1979 से 45 वर्षों अर्थात 31 दिसम्बर 2024 तक मध्यप्रदेश के लिए निर्धारित जल का यदि उपयोग नहीं किया जाता, तो मप्र के हिस्से का वह जल अन्य राज्यों को वितरित कर दिया जाएगा।  ऐसे में  नर्मदा का  पानी विन्ध्य के सतना-रीवा को नहीं मिल पाएगा, क्योंकि निर्धारित पानी के बंटवारा होने की तिथि तक मप्र द्वारा अपने कोटे के पानी के उपयोग के आसार नहीं बन पा रहे हैं। हालांकि साल के अंत में वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने विंध्य के बुद्धिजीवी तबके को जोड़कर बरगी कापानी जल्द लाने की कवायद शुरू की है। देखना दिलचस्प होगा कि वर्ष 2021 में इसका क्या परिणाम निकलता है? 

बायपास भी करता रहा निराश
47.04 किमी लम्बे सतना-रीवा बायपास सड़क का निर्माण बीरबल की खिचड़ी बना हुआ है। तकरीबन 8 साल पूर्व शहर में बढ़ी सड़क दुर्घटनाओं के मद्देनजर बड़े वाहनों का शहर के भीतर प्रवेश रोकने की मंशा से प्रारंभ कराया गया बायपास सड़क का निर्माण वर्ष 2020 में भी पूरा नहीं हो सका । इस अवधि में रीवा के अलावा जिले के कस्बाई व तहसील क्षेत्रों तक के बायपास बन गए और उन पर आवागमन शुरू हो गया लेकिन सोहावल के आगे निकलकर रीवा रोड से मिलने वाले बायपास का निर्माण अब तक पूरा नहीं हो सका है। कभी भू-अर्जन तो कभी बजट की कमी बायपास के निर्माण में बाधा बनती रही है। इसके निर्माण के लिए प्रबल राजनीतिक व प्रशासनिक इच्छाशक्ति की जरूरत है जो फिलहाल सतना में नहीं दिख रही है। जनापेक्षा है कि वर्ष 2021 में बायपास निर्माण का काम पूर्ण किया जाय। 

नव वर्ष में मेडिकल कॉलेज का निर्माण पूर्ण होने के आसार

मेडिकल कालेज के निर्माण के लिए भूमिपूजन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया था लेकिन तब से लेकर अब तक मेडिकल कालेज का सपना अब तक पूरा नहीं हो सका है। 220 करोड़ के मेडिकल कॉलेज निर्माण की नीव तो रख दी गई है लेकिन इसका निर्माण भी फ्लाईओवर व बायपास की गति से ही चल रहा है। पीआईयू के अधिकारी बता रहे कि यह प्रोजेक्ट दो साल की समय सीमा का है लेकिन एक साल से ज्यादा का वक्त   यूं ही गुजर चुका है। अगर अभी भी विलंब होता है तो प्रोजेक्ट काफी पीछे खिसक जाएगा। शुरूआती चरण में पीएम आवास बाधा बने और अब काम में लेट लतीफी बाधा बन रही है।  पीआईयू के अधिकारियों का कहना है कि मेडिकल कॉलेज की मुख्य भवन निर्माण स्थल में आवास की वजह से काम में तेजी नहीं आ पा रही है। माना जा रहा है कि वर्ष 2021 के अंत तक मेडिकल कालेज का निर्माण पूरा हो सकता है। 

फ्लाईओवर साल भर बना रहा नासूर 
सतना की यातायात व्यवस्था के लिए रामबाण बताकर जब   वर्ष 2016 में फ्लाईओवर का निर्माण प्रारंभ किया गया था तब शहरवासियों को अहसास तक नहीं था कि फ्लाईओवर का निर्माण शहर की यातायात व्यवस्था के लिए नासूर बन जाएगा। फ्लाईओवर का काम वर्ष 2018 में पूर्ण होना था । फिर दिसंबर 2020 इसकी डेडलाइन तय की गई लेकिन बीते साल भी फ्लाईओवर का निर्माण पूर्ण नहीं हो सका । हिचकोले खाते फ्लाईओवर के काम के अब वर्ष 2021 में पूरा होने की संभावना है।  निर्माण में हुई देरी से तकरीबन 6 करोड़ की लागत बढ़ गई है । 

तो क्या इस साल मिल सकेगी वायूसेवा की सुविधा
विंध्य की औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले सतना में वायुसेवा की सुविधा न होना सालता रहा है। खूब मांगें उठी , आंदोलन हुए, प्रदर्शन हुए लेकिन सतना में वायुसेवा की सुविधा परवान नहीं चढ़ सकी। कारण लोक निर्माण विभाग का भ्रष्टाचार जिसके चलते सतना हवाई पट्टी को नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने हवाई सेवा के लिए खतरनाक बताते हुए रद्द कर दिया। पूर्व में यहां से वायुसेवा के नाम पर एयर टैक्सी चली लेकिन बाद में एयरस्ट्रिप को दोयम दर्जे का पाया गया। इसी बहाने एयरस्ट्रिप के  उन्नयन में करोड़ों फूककर भ्रष्टाचार का लेप चढ़ाया गया । बावजूद इसके एयर स्ट्रिप नागरिक उड्डयन मंत्रालय के मानकों पर खरी नहीं उतरी । हाल ही में पुन: हवाई पट्टी को दुरूस्त कराने की कवायद की गई लेकिन यह कवायद भी विवादों में उलझी रही। उम्मीद जताई जारही है कि वर्ष 2021 वायु सेवा के लिहाज कोई खुशखबरी लाएगा।