लोनी, गेदुरहा, पोंगला की वन भूमि पर तान दी झुग्गी
रीवा | डभौरा वन परिक्षेत्र अंतर्गत आने वाली तकरीबन सौ एकड़ से ज्यादा वन भूमियों में आदिवासियों ने कब्जा जमा लिया है। मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्रदेश से आए तकरीबन दो हजार लोगों ने लोनी, गेदुरहा एवं पोंगला की वन भूमि पर अपनी झुग्गियां ताननी शुरू कर दी हैं। वन परिक्षेत्र डभौरा के कर्मचारियों ने मौके पर पहुंचकर कब्जा करने से मना किया। लिहाजा बहुतायत संख्या में मौजूद आदिवासियों ने कर्मचारियों को खदेड़ दिया। इस तरह कब्जा जमाने की यह तीसरी कोशिश बताई गई है। इसके पूर्व वन भूमि पर कब्जा कर चुके आदिवासियों को समझाइश देकर वापस भेजा जा चुका है।
वन भूमियों पर किए जा रहे बेजा कब्जे से सिकुड़ता जंगल का रकबा वन्य प्राणियों के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। जिले के डभौरा वन परिक्षेत्र अंतर्गत आने वाले पोंगला, लोनी एवं गेदुरहा की वन भूमियों पर मंगलवार को दो हजार से ज्यादा आदिवासियों ने अपना डेरा जमा लिया है। सुबह से पहुंचे आदिवासी अपने साथ बांस-बल्ली तक लेकर आए थे और वह सौ एकड़ से ज्यादा की वन भूमि में झुग्गियां तान ली हैं। गौर करने वाली बात यह है कि बार-बार की जा रही कब्जे की कोशिश में अब तक वन अधिकारियों ने समझाइश देकर हटाते रहे हैं। जबकि सोमवार को जिन आदिवासियों ने वहां डेरा डाला है, उन्हें देखने के बाद ऐसा लगता है कि वन भूमियों में तानी गई झुग्गी के बाद वह कब्जा जमाकर ही छोड़ेंगे।
आदिवासियों द्वारा कब्जा दिलाने की जो बात सामने आ रही है, उनमें बहुजन समाज पार्टी के एक स्थानीय नेता तथा बरुआर के कांति कुमार दुबे का नाम बताया जा रहा है। स्थानीय लोगों द्वारा दी गई जानकारी में बताया गया है कि आदिवासियों को लेकर वन भूमि पर पहुंचे कांति कुमार दुबे ने विधिवत भाषणबाजी भी मौके पर की है। आदिवासियों द्वारा यह भी बताया गया है कि यहां पर कब्जा दिलाने के लिए उनसे दो से तीन हजार रुपए तक भी लिए गए हैं। हालांकि उनकी बातों पर कितनी सच्चाई है यह प्रमाणित नहीं किया जा सकता है।
एक दर्जन से ज्यादा गांवों के लोग
डभौरा की वन भूमि में कब्जा जमाने की कोशिश में जिन दो हजार से ज्यादा आदिवासियों ने अपना डेरा जमाया है, उनमें एक दर्जन से ज्यादा एमपी-यूपी के लोग बताए जा रहे हैं। बताया गया है कि त्योंथर तहसील के शंकरगढ़, सतपुड़ा, चाकघाट, जोन्हा, बसरेही, चौखण्डी एवं अतरैला के आदिवासियों ने अपनी झुग्गी तानी है। स्थानीय नेताओं द्वारा कराए जाने वाले इस अतिक्रमण के बाद जिला प्रशासन द्वारा क्या कार्रवाई की जाएगी यह अभी समय के गर्त में है लिहाजा ऐसे नेताओं पर पहले कार्रवाई की जानी चाहिए जो आदिवासियों को उकसाकर वन भूमियों में कब्जा दिलाने के नाम पर एक तीर से दो शिकार खेल रहे हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, इसके पहले भी डभौरा वन परिक्षेत्र की सैकड़ों एकड़ भूमि पर आदिवासियों ने कब्जा कर लिया था, जिन्हें आज तक प्रशासन द्वारा बेदखल नहीं किया जा सका है। अब वह वहां के मतदाता भी बन गए हैं।
डभौरा वन परिक्षेत्र की भूमियों पर आदिवासियों द्वारा कब्जा किए जाने की जानकारी मिली है। यह भी जानकारी सामने आई है कि कुछ स्थानीय नेता उन्हें उकसा रहे हैं। मौके पर जाकर उन्हें समझाइश दी गई है साथ ही वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया गया है।
राजकुमार यादव
वन परिक्षेत्र अधिकारी डभौरा