एलटी लाइनें कर रहीं फसलों को खाक, निवाला हो रहा राख

सतना | होली के त्यौहार में रंग में भंग क्षतिग्रस्त व झूलती हुई बिजली की लाइनों ने डाल दिया। लोग जहां इस रंगीन त्यौहार की खुशियां मना रहे थे वहीं त्यौहार के ही समय तीन दिन जिले भर में हालात मातम जैसे हो गए। इसकी वजह भी बिजली को ही माना जा रहा है। झूलती हुई एलटी लाइनों की आपसी टक्कर की वजह से खेतों की खड़ी फसल में आग लग गई और निवाला जलकर राख हो गया। फसलों के साथ किसानों के अरमान खाक हो गए और अन्नदाता कर्ज के बोझ तले दब गया। आगजनी न हो इसके लिए पूर्व क्षेत्र विद्युत कम्पनी के सतना सर्किल के ग्रामीण डिवीजनों में यह फरमान जारी किया गया है कि सुबह 11 से शाम 5 बजे तक बिजली की सप्लाई बंद कर दी जाए, हालांकि अधीक्षण अभियंता का यह आदेश अमल पर है और उक्त समय में सप्लाई बंद रहती है। 

एलटी सेपे्रटर कहीं नहीं 
एलटी लाइनों को दुरुस्त करने के इंतजाम तो बिजली अधिकारी कर नहीं रहे, वहीं एलटी सेप्रेटर की बातें भी महज हवा-हवाई हैं। दरअसल, ऐसी लाइनें जो ढीली हैं और हवा के चलते वो टकराती हैं, वो न टकराएं तो आग न लगे। इसके लिए एलटी सेप्रेटर की व्यवस्था की जाती है लेकिन सतना सर्किल में कहीं भी क्षतिग्रस्त व छूलती हुई लाइनों को सही करने सेप्रेटर नहीं लगाते। दरअसल, सेप्रेटर से दूर- दूर एलटी की चारों लाइनों को बांध दिया जाता है जिससे हवा या अंधड़ में चालू लाइनों में भी आगजनी का खतरा नहीं होता। जबकि 29 से 31 मार्च तक सतना में जिले भर के अंदर हजारों एकड़ की फसल खाक हो गई। इनमें अधिकांश आग या तो ट्रांसफार्मर के फ्यूज, डीओ व जम्पर टूटने से लगी है या फिर एलटी लाइनों ेके आपस में टकराने से। जबकि बीते दिनों कम्पनी अधिकारियों को यह निर्देश कलेक्टर ने दिए हैं कि ढीली ढाली लाइनों को बिजली अधिकारी-कर्मचारी सही कराएं। 

हवा चली कि आग लगी

जरा सी भी हवा का रुख बदला और आग लगने की खबर सामने आ जाती है, चार महीने इंतजार के बाद जब गेहूं की फसल पक कर तैयार होती है कि खलिहान पहुंचने से पहले ही वह खाक हो जाती है। इसकी वजह यह है कि एलटी की झूलती लाइनें हवाओं के चलते आपस में टकराती हैं और इस रगड़ की वजह से जब 440 वोल्ट की चिंगारी खेतों पर गिरती है तो वह जमीन पर गिरते ही सोला बन जाती है और चंद मिनटों में खड़ी फसल राख में तब्दील हो जाती है। अब हवाओं को रोका नहीं जा सकता लेकिन वो लाइनें जो खेतों से होकर गुजरती हैं और ढीली हैं उनके लिए ऐसे इंतजाम करना कम्पनी की जिम्मेदारी है कि वह सही कराई जाएं जिससे हवा या आंधी से वो आपस में न टकराएं और आग न लगे। 

लाइनों के नीचे न रखें खलिहान 
विद्युत कम्पनी ने किसानों के लिए एक एडवाइजरी जारी है कि सुबह 11 से शाम 5 बजे तक ग्रामीण क्षेत्रों में सप्लाई बंद कर दी गई है। यह प्रयास इसलिए हैं कि दिन में चलने वाली हवा के चलते चालू लाइनों में आग न लगे। वहीं एसई केके सोनवाने ने यह भी सुझाव दिया गया है कि जहां विद्युत लाइनें गुजर रही हैं चाहे वह एलटी हो या 11केवी, उसके नीचे खलिहान न रखें। 

वनों को अग्नि दुर्घटना से बचाने की सलाह
वातावरण का तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है, तापमान में वृद्धि के साथ वनों में आग दुर्घटनाओं की आशंका रहती है। महुआ तथा अन्य वनों उपज संग्रहण के लिए भी पेड़ों के नीचे गिरे पत्तों को नष्ट करने के लिए लापरवाही से आग का उपयोग किया जाता है। इससे कई बार बड़े वन क्षेत्र में आग का प्रकोप हो जाता है। आग लगने से हरे-भरे वृक्ष झाडियां तथा घास नष्ट हो जाती हैं। जंगली जानवरों को भी इससे हानि पहुंचती है। आग से अनमोल वनसंपदा नष्ट हो जाती है। आग लगने से मिट्टी की ऊपरी सतह कठोर हो जाती है तथा कई पोषक सूक्ष्म, जीव नष्ट हो जाते हैं। आग को वनों में फैलने से रोकने के लिए सावधानी रखना आवश्यक है। वनों उपज संग्रहण के लिए वनों में आग न जलायें, वनों में आग की सूचना मिलने पर तत्काल क्षेत्र के वन विभाग के अधिकारियों को इसकी सूचना दें। सबके सहयोग से ही वनों को आग से बचाया जा सकता है।