कोरोना काल में औंधे मुंह गिरी रेलवे की यात्रियों से कमाई
सतना | कोरोना ने रेलवे को जोर का झटका दिया है। यात्री राजस्व में जमकर गिरावट आई है, भले ही यात्री राजस्व घटने से रेलवे की सेहत खराब हुई हो लेकिन मालगोदाम सोने की चिड़िया बना रहा और रेलवे को इससे संजीवनी मिली है। बताया जाता है कि कोराना काल के पहले सतना जंक्शन से लगभग 12 हजार से ज्यादा यात्री अपनी यात्रा प्रारंभ करते थे लेकिन अब नियमित ट्रेन व जनरल टिकट न मिलने से यात्री की संख्या घट रही है।
वित्तीय वर्ष 2020-21 में सतना स्टेशन से मिले सांख्यिकी आंकड़ों की बात करें तो अब पूरे महीने भर में औसतन 15 हजार यात्रियों का आंकड़ा सामने आ रहा है। वहीं कोरोना काल में रेलवे को इस वित्तीय वर्ष में 42 करोड़ 92 लाख का घाटा हुआ है। बताया गया कि इस वर्ष महज स्टेशन के आरक्षण काउंटरों से केवल एक लाख 81 हजार यात्रियों ने ही अपना रिजर्वेशन करा कर यात्रा की है जिससे रेलवे के खजाने में 7 करोड़ 19 लाख रुपए की आय ही हो सकी है।
मालगोदाम ने तोड़ा रिकार्ड
पिछले कुछ सालों से जहां माल गोदाम के घटते राजस्व को लेकर रेलवे चिन्तित बैठा था वहीं इस वर्ष कोरोना संकट के दौर में मालगोदाम की आय सातवें आसमान पर पहुंच गई। आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक में सतना मालगोदाम से रेलवे को लगभग 41 करोड़ 36 लाख की आय हुई है। उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस के फैल रहे संक्रमण को रोकने के लिए 21 मार्च से लॉक डाउन लागू करते हुए यात्री ट्रेने बंद कर दी गई थी।
सड़क मार्ग पर भी आवागमन बंद था ऐसे में केवल रेलवे ही एकमात्र सहारा था जिसमें मालगाड़ियों से खाद्यान्न देश के कोने-कोने तक भेजा गया, वहीं आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति के लिए पार्सल ट्रेने भी दौड़ाई गईं। बताया गया कि सतना मालगोदाम से जमकर मालगाड़ियों के माध्यम से गेहंू-चावल के रैक दूसरे राज्यों तक में भेजे गए हैं। अधिकारियों के अनुसार पिछले साल के शुरुआती तीन माह में मालगोदाम की आय शून्य थी।
पार्सल में भी 10 लाख का घाटा
कोरोना का असर पार्सल में भी रहा। बताया जाता है कि सतना के पार्सल जावक में वजन के साथ-साथ राजस्व में भी कमी आई है। पिछले वित्तीय वर्ष में पार्सल से रेलवे को 55 लाख 29 हजार की आय प्राप्त हुई थी, वहीं इस वर्ष 45 लाख 6 हजार की आय ही हो सकी है।