मिलर्स के साथ समिति करेगी प्रस्तावों पर विचार: पटेल
भोपाल | खरीफ वर्ष 2020-21 धान मीलिंग/निस्तारण के लिये गठित मंत्रि-मंडलीय उप समिति की बैठक आज मंत्रालय में संपन्न हुई। बैठक में खाद्य मंत्री श्री बिसाहूलाल सिंह एवं कृषि मंत्री श्री कमल पटेल भौतिक रूप से उपस्थित थे। समिति के अन्य सदस्य सहकारिता मंत्री श्री अरविंद भदौरिया एवं आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), जल संसाधन राज्य मंत्री श्री रामकिशोर कांवरे ने बैठक में वर्चुअली भाग लिया।
सहकारिता मंत्री श्री अरविंद भदौरिया के प्रस्ताव पर उप समिति ने धान मिलर्स को आने वाली समस्याओं के संबंध में चर्चा के लिये आगामी 9 अप्रैल को आमंत्रित किया है। कृषि मंत्री श्री कमल पटेल ने कहा कि मिलर्स के साथ चर्चा के बाद मीलिंग के संबंध में अंतिम निर्णय लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में मिलर्स को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि का अध्ययन कर लें, जिससे प्रदेश को धान के निस्तारण में कम से कम नुकसान हो।
धान की क्वालिटी पर होगा कंट्रोल : बिसाहूलाल सिंह
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री श्री बिसाहूलाल सिंह ने बताया कि प्रदेश में प्रोत्साहन राशि की अधिकता का कारण हमारे धान की क्वालिटी भी है। धान की क्वालिटी को कंट्रोल करने के लिये नागरिक आपूर्ति निगम में 400 क्वालिटी एक्सपर्टस की भर्ती की प्रक्रिया जारी है। इसके अलावा आउटसोर्स के माध्यम से धान की गुणवत्ता के लिये एक्सपर्टस की सेवाएँ ली जायेंगी। संचालक खाद्य के अधीन क्वालिटी कंट्रोल के लिये संयुक्त संचालक स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में टीम का गठन किया जा रहा है और एफ.सी.आई. से विषय-विशेष में पांरगत अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर लेने की प्रक्रिया जारी है। प्रमुख सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति श्री फैज अहमद किदवई ने बताया कि मिलर्स की प्रोत्साहन राशि 25 रुपए से बढ़ाकर 50 रुपए की गई थी। मिलर्स द्वारा इस पर अपनी असहमति जताते हुए इसे 100 रुपए करने की मांग की थी परंतु मिलर्स ने घाटे की बात कहते हुए इसमें भी कोई रूचि नहीं दिखाई।
नरेगा से देश में पहली बार निर्मित हो रहे हैं अनाज भण्डारण के लिए पक्के चबूतरे
खरीदी केन्द्रों पर अनाज की सुरक्षा एवं भण्डारण के मकसद से पक्का चबूतरा (उअढ) का निर्माण देश में पहली बार महात्मा गांधी नरेगा से किया जा रहा है। मध्यप्रदेश में खरीद समिति द्वारा चिन्हित केन्द्रों में पक्के चबूतरे के निर्माण के लिए जिलों को 65 करोड़ 50 लाख रुपए की राशि मनरेगा से जारी की गई है। अभी तक 564 चबूतरों का निर्माण कर 6 लाख 94 हजार 500 मैट्रिक टन क्षमता का अनाज सुरक्षित रखा जा रहा है, वहीं 675 कार्य प्रगतिरत हैं। चबूतरा निर्माण कार्य में 8 करोड़ 60 लाख रूपए की मजदूरी का भुगतान ग्रामीणों को किया गया है, वहीं सामग्री पर 68 करोड़ रूपए का व्यय किया गया है।
राज्य शासन का निरंतर प्रयास है कि अनाज का एक भी दाना असमय बारिश से खराब नहीं हो। खरीदी केन्द्रों में मनरेगा अंतर्गत पक्का चबूतरा निर्माण होने से खरीदे गए अनाज को असमय बारिश से होने वाले नुकसान से सुरक्षा मिलेगी। ग्राम पंचायत की भूमि पर तय खरीदी केन्द्रो में चबूतरा निर्माण होने से खाद्यान उपार्जन समिति द्वारा चबूतरे के मासिक किराए का भुगतान ग्राम पंचायत को किया जाएगा। इस प्रकार मनरेगा के तहत स्थाई परिसम्पत्ती के निर्माण के साथ ही ग्राम पंचायत की आमदनी बढ़ेगी। उल्लेखनीय है कि मनरेगा अंतर्गत पूर्व से स्वीकृत कार्यों में देश में पहली बार अनाज भण्डारण के लिए संरचना निर्माण का प्रावधान किया गया है।
राज्य में मार्कफेड द्वारा सुझाए गए डिजाईन के आधार पर चबूतरे का निर्माण मनरेगा से किया जा रहा है।