मुंबई पहुंचकर बनाई कंपनी और अब पूरे महाराष्ट्र के वेयरहाउस बनाएंगे
सतना | बुजुर्गों ने ठीक ही कहा है कि यदि आसमान में उड़ने की चाहत हो , इस चाहत को पूरा करने के लिए लगन और इच्छाशक्ति हो तो हौसलों से भी उड़ान भरी जा सकती है। बुजुर्गों की यह बात शिवराजपुर के रूद्रप्रताप त्रिपाठी पर बिल्कुल सटीक बैठती है। जिले के नागौद विकासखंड अंतर्गत शिवराजपुर गांव के रहने वाले रूद्रप्रताप त्रिपाठी का जन्म यूं तो एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था लेकिन कुछ कर गुजरने के जज्बे ने उन्हें उस मुकाम तक पहुंचा दिया है जहां पहुंचने का सपना आज हर युवा व्यवसायी देखता है। श्री त्रिपाठी को जब गत दिवस महाराष्टÑ सरकार ने मंत्रालय आमंत्रित कर उनके व्यवसायिक योगदान के लिए सम्मानित किया तो शिवराज पुर ही नहीं बल्कि समूचा जिला गर्वोक्ति से भर उठा।
सतना जिले के एक छोटे से गांव शिवराजपुर से निकलकर मायानगरी मुबई में व्यवसायिक दबदबा बनाने वाल रूद्र प्रताप त्रिपाठी की कहानी युवा व्यवसाइयों को प्रेरित करने वाली है। रूद्र प्रताप त्रिपाठी ने मुंबई पहुंचकर अपनी लगन, इच्छाशक्ति और व्यवसायिक सूझबूझ से इंडियन कार्पोरेशन कंपनी का गठन कर ऐसा व्यवसायिक सम्राज्य मुंबई में खड़ा किया है जो न केवल हजारों लोगों को रोजगार दे रहा है बल्कि जिले का सम्मान भी मायानगरी में बढ़ा रहा है।
उनकी ऐसी ही व्यवसायिक उपलब्धियों के लिए महाराष्टÑ की उद्धव ठाकरे सरकार ने उन्हें मंत्रालय में आमंत्रित कर एमआईडीसी इन वेयरहाउसिंग टापवर्क के लिए सम्मानित किया । इस अवसर पर महाराष्टÑ के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में उनकी कंपनी इंडियन कार्पोरेशन के साथ महाराष्टÑ सरकार ने एक एमयूआई साइन किया है। एमओयू साइन होने के बाद अब महाराष्टÑ में वेयरहाउस बनाने की जिम्मेदारी रूद्रप्रताप त्रिपाठी की कंपनी को मिल गई है।
जानिए कौन हैं रूद्रपताप
रूद्रप्रताप त्रिपाठी शिवराज पुर के रहने वाले हैं, जो डायमंड सिटी के तौर पर विख्यात पन्ना से सटा हुआ गांव है । 80 के दशक के लोग उन्हें एक सामान्य किसान के तौर पर जानते थे जबकि वर्तमान में उन्हें एक ऐसे उद्योगपति के तौर पर जाना जाता है जिसकी धार्मिक कार्यों में गहरी रूचि है। शिवराजपुर में हर साल होने वाला भव्य धार्मिक आयोजन श्री त्रिपाठी को यह पहचान दे रहा है।
बताया जाता है कि रूद्रप्रताप त्रिपाठी वर्ष 1982 में पन्ना जिले के कुछ हीरा कारोबारियों के संपर्क में आने के बाद डायमंड व्यवसाय में हाथ आजमाने मुंबई चले गए। कुछ समय तक डायमंड का काम किया लेकिन इस काम में रिस्क को देखते हुए उन्होने कुछ और व्यवसाय का इरादा किया। वे रियल इस्टेट के धंधे में कूद गए। इस काम में भी उन्होने व्यवसायिक चातुर्य का परिचय दिया और व्यवसाय को शीर्ष पर ले गए। इसी बीच उनकी मित्रता अरूण पाटिल से हुई और दोनो ने मिलकर रियल इस्टेट के अलावा इंडियन कार्पोरेशन ग्रुप आफ बिल्डर्स एंड डेवलपर्स की नींव डाली जो आज महाराष्टÑ की शीर्ष कंपनियों में शुमार की जाती है।