ITI से 60 सागौन के पेड़ चोरी: आरोपी को बचाने बदले जांच अधिकारी, दे दी क्लीन चिट
रीवा | औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था से 60 सागौन के पेड़ों की बिना अनुमति की गई कटाई पर आरोपी को बचाने अधिकारियों ने जांच अधिकारी तक बदल दिया। पहले वन परिक्षेत्राधिकारी रीवा को जांच का जिम्मा सौंपा। जब अधिकारियों की गर्दन फंसती नजर आई तो जांच अधिकारी ही बदल दिया। दरअसल जिस वन विभाग के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी पर सागौन के पेड़ चोरी करने का आरोप लगाया गया था, उसे जांच अधिकारी ने क्लीन चिट दे दी।
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था रीवा परिसर में 40 करोड़ के प्रोजेक्ट से मेगा आईटीआई भवन का निर्माण किया जाना था। इस दौरान निर्माण की जगह पर 18 सागौन, शीशम एवं बबूल के पेड़ फंस रहे थे। नगर निगम से इन पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी गई थी। वन विभाग एवं आईटीआई के अधिकारियों की निगरानी में काटे गए पेड़ों में ननि की अनुमति से ज्यादा पेड़ कट गए। दरअसल 18 पेड़ों के स्थान पर 62 ऐसे पेड़ काटे गए, जिनमें से ज्यादातर काफी पुराने सागौन व शीशम के पेड़ थे। सूत्रों से मिली जानकारी में बताया गया है कि जिन पेड़ों को काटने की अनुमति मिली थी, उन्हें वन विभाग के डिपो में तो पहुंचा दिया गया परंतु 40 से ज्यादा बगैर अनुमति के काटे गए शीशम और सागौन के पेड़ गायब कर दिए गए थे।
तत्कालीन सुरक्षा अधिकारी द्वारा शिकायत किए जाने के बाद जब जांच शुरू हुई, उसमें वन विभाग के चौकीदार पर आरोप लगाया गया। शुरुआती दौर में हुई जांच में आरोपी को बचाने की कोशिश की गई परंतु जब मामला तूल पकड़ने लगा तो इसकी जांच के लिए वन परिक्षेत्राधिकारी रीवा विनोद अवस्थी को जिम्मा सौंप दिया गया। उनके द्वारा की गई जांच के बाद जब वन अधिकारियों सहित चौकीदार सुरेश श्रीवास्तव की गर्दन फंसने लगी तब अधिकारियों ने जांच अधिकारी ही बदल दिया।
आईटीआई परिसर से काटे गए सागौन के पुराने दरख्तों की चल रही जांच में अधिकारी बदल दिए जाने के बाद वन रक्षक गोविंदगढ़ प्रशिक्षण शाला के अनुदेशक एसएल साकेत को जब जांच का जिम्मा सौंपा गया, तब अधिकारियों ने राहत की सांस ली। दरअसल वन अधिकारियों एवं आरोपी चौकीदार को बचाने के लिए श्री साकेत ने ऐसी तरकीब निकाली कि आरोपी को क्लीन चिट दे दी गई। गौर करने वाली बात यह है कि शुरू में जिस जांच अधिकारी ने आईटीआई परिसर से काटे गए पेड़ों में चौकीदार सुरेश श्रीवास्तव को जिम्मेदार ठहराया था।
जिसमें अधिकारियों की भी भूमिका संदेह के दायरे में थी। उनके द्वारा की जा रही जांच को बदलकर दूसरे अधिकारी को इसका जिम्मा सौंप दिया जाना अधिकारियों की कार्य प्रणाली को संदिग्ध बना देता है। माना यह जा रहा है कि अगर इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की जाए तो वन विभाग के चौकीदार से लेकर कई बड़े अधिकारियों की गर्दन फंस सकती है।
दो को जारी की गई थी नोटिस
शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था परिसर से बगैर अनुमति के काटे गए 62 पेड़ों की जांच का जिम्मा मिलते ही वन परिक्षेत्राधिकारी विनोद अवस्थी ने दो को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। ठेकेदार राजेश वर्मा एवं सुरेश श्रीवास्तव को नोटिस जारी की गई थी। नोटिस तामील कराने के लिए रेंज आॅफिस के रामलाल चतुर्वेदी परचेज सहायक, दिलीप साकेत वन रक्षक को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जारी की गई नोटिस में 27 मई 2020 का समय जवाब देने के लिए निश्चित किया गया था परंतु उनके द्वारा जवाब ही नहीं दिया गया। नोटिस जारी किए जाने के बाद वन विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों में हड़कम्प मच गया और आरोपियों को बचाने अधिकारियों ने जांच अधिकारी ही बदल दिए।
हमारे द्वारा नोटिस जारी की गई थी। जिसमें ठेकेदार राजेश वर्मा उपस्थित होकर यह बताए थे कि सुरेश श्रीवास्तव डिप्टी रेंजर बनकर पहुंचा था और पेड़ कटवाए हैं। जबकि सुरेश श्रीवास्तव नोटिस का जवाब देने नहीं पहुंचे। बाद में मुझसे जांच लेकर एसएल साकेत को दे दी गई।
विनोद अवस्थी, रेंजर रीवा