दिव्य विचार: जीवन में कोई खोटा कर्म न करो- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि किसी की मानने की मनोवृत्ति नहीं तो जीवन में कभी खुशियाँ नहीं आ सकती जहाँ कदाग्रह होता है वहां कलह होता है। कदाग्रह से बची, कलह से बचो झगड़े मत करो। कदाग्रह होगा तो झगड़ा होगा जितने भी झगड़े हुए है आग्रह की भूमि में हुए है। कलह पूर्ण स्थिति आए तो उसको अपने आप दूर कर लो अपने आग्रह भाव को टालना शुरू कर दो झगड़े से बचो। कुकर्म से बचो। जीवन में कोई खोटा कर्म नहीं होना चाहिये चाहे पति हो था पत्नी व्यसन, बुराइयों से उसे हमेशा मुक्त रखना चाहिये। एक दूसरे के प्रति वफादारी का जीवन पर्यंत परिचय देना चाहिये और जीवन में कभी कोई कलंक न लगे ऐसा ध्यान रखना चाहिये कदाग्रह, कुकर्म, कलंक और कलह इन चार से बचना चाहिये इन से बचकर के चलेंगे तो आपके जीवन में बड़ी शांति और सद्भावना होगी जीवन में आनंद का रस पनपेगा। हनुमान जी सीताजी के पास गये और उन्होंने कहा कि माते रामचंद्रजी रावण से युद्ध करने के लिये आ रहे हैं आपको लेने के लिये आ रहे हैं इस युद्ध में बड़ा रक्तपात होगा लाखों योद्धा मरेंगे हजारो स्त्रियाँ विधवा होगी मेरे पास एक शक्ति है आप मेरे कंधे पर बैठ जाओं मैं प्रभु राम के पास ले चलता हूँ अगर ऐसा करूँगा तो सारा रक्तपात खतम हो जाएगा। सीता जी ने जो हनुमान से बात कहीं वह बहुत अर्थपूर्ण हैं उन्होंने कहा हनुमान राम लक्ष्मण के सेवक होने के नाते तुम्हारे पास ये शक्ति होगी मुझे तुम्हारी शक्ति पर भरोसा हैं लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती क्योंकि तुम पर पुरुष हो। माना कि तुम्हारा हृदय शुद्ध हैं लेकिन फिर भी मैं तुम्हारे कंधे पर बैठकर जाना पसंद नहीं करूँगी क्यों? क्योंकि ऐसा करूँगी तो लोगों के बीच एक गलत संदेश जाएगा। हजारो स्त्रियाँ विधवा हो जाए तो मुझे स्वीकार है पर मेरी आड़ में करोड़ो स्त्रियाँ कुल्टा बने ये मुझे स्वीकार नहीं है। मैं ऐसा कभी नहीं कर सकती। मैं पर पुरुष का स्पर्श नहीं कर सकती। ये सोच थी कभी एक दूसरे पर कलंक न लगे और आज इन सारी मर्यादाओं को उड़ा दिया जा रहा है। इसकी तरफ किसी की दृष्टि ही नहीं।