न डायवर्सन, न एनओसी फिर भी सायलो निर्माण शुरू
सतना | क्या ग्राम पंचायत की एनओसी व ग्राम सभा के अनुमोदन के बिना ग्राम पंचायत क्षेत्र में कोई बड़ा व्यवसायिक निर्माण किया जा सकता है? क्या ग्राम सभा या पंचायत के सचिव को यह पूछने का भी अधिकार नहीं है कि बिना एनओसी व डायवर्सन के एक बड़े भूखंड पर निर्माण कैसे किया जा रहा है?
यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि रामपुर बाघेलान विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत बांधा में बिना किसी अनुमति के कराए जा रहे ऐसे ही निर्माण कार्य के मामले में जब संचिव ने नोटिस जारी की तो उसे निलंबन की कार्रवाई भुगतनी पड़ी और सरंपच को धारा 44 के तीन नोटिस जारी की गई है। इन विसंगतियों के चलते जिला प्रशासन की कार्रवाई सवालों के घेरे में आ गई है। बताया जाता है कि बुधवार की सुबह राजस्व अमला ग्राम पंचायत पहुंचा है और जानकारी जुटाई। सूत्रों के अनुसार राजसÞव अमले ने जो जानकारी जुटाई है उसक अनुसार तहसीलदार को भी इस बात का पता नहीं है कि संबंधित आराजी का डयवर्सन है या नहीं।
क्या है मामला
दरअसल रामपुर बाघेलान विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत बांधा में मप्र वेयर हाउसिंग एवं लाजिस्टिक निगम भोपाल द्वारा गेंहू के भंडारण हेतु साइलो बैग बनाने का टेंडर जारी किया गया था, जो कि एक निजी कंपनी को बनाना था। उक्त कंपनी द्वारा ग्राम झूंसी निवासी दीपेंद्र सिंह की ग्राम पंचायत बांधा स्थित आराजी क्र. 23/1/1, 22/1, 30 एवं 31 रकबा 8.832 हेक्टेयर का अनुबंध 4 वर्षों के लिए किया गया और तीव्र गति से काम शुरू कर दिया गया। दिलचस्प बात यह रही कि उक्त आराजी पर साइलो निर्माण की न तो ग्राम पंचायत को जानकारी दी गई और न ही ग्राम सभा से अनुमति लेने की जरूरत ही महसूस की गई जबकि मप्र पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज विधि संग्रह में धारा 55 में पंचायत की शक्तियों का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया गया कि ग्राम पंचायत क्षेत्र में ऐसे किसी भी निर्माण के लिए ग्राम पंचायत की सहमति आवश्यक है।
इन्ही शक्तियों का प्रयोग करते हुए ग्राम पंचायत ने दीपेंद्र सिंह को नोटिस जारी किया लेकिन ग्राम पंचायत को मिली संवैधानिक शक्तियों का उपयोग करना बांधा सचिव को महंगा पड़ गया और मंगलवार को कलेक्टर ने एक आदेश जारी कर सचिव जीवेंद्र प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया है। इतना ही नहीं बल्कि महिला सरपंच स्वर्णलता सिंह को भी धारा 44 के तहत चेतावनी दी गई है। जानकार इसे पंचायती राज के तहत ग्राम पंचायतों की दी गई शक्तियों का हनन मान रहे है।
कई विसंगतियां पर क्लीन चिट क्यों
सरपंच स्वर्णलता सिंह की मानें तो इस मामले में कई विसंगतियां हैं। मसलन लीज पर ली गई भूमि का डायवर्सन नहीं कराया गया है, जिससे शासन को लाखों रूपए की क्षति हो रही है। इसके अलावा कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए रामप्रताप यादव, राकेश कुशवाहा, विनय यादव, मोहम्मद नफीस, सचिन कुशवाहा, चंद्रकली कुशवाहा, रामनारायण कुशवाहा,स सुदामा प्रसाद समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया है कि श्रम कानूनों का पालन भी नहीं हो रहा है और कई बाल श्रमिक भी यहां काम कर रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार यहां दिन रात मटेरियल लदे वाहन फर्राटै मारते हैं और शाम ढलते ही यहां शराबखोरी शुरू हो जाती है जिससे गांव का वातावरण तो प्रदूषित हो ही रहा है साथ ही गांव का माहौल भी खराब हो रहा है।
दी थी सरकारी जमीन की एनओसी
सरपंच के अनुसार अर्सा पूर्व सायलो निर्माण के लिए जमीन की उपलब्धता की जानकारी जिला प्रशासन द्वारा मांगी गई थी जिस पर दो बड़ी सरकारी आराजियों की जानकारी जिला प्रशासन को दी गई थी। इनमे से एक आराजी क्र 159 रकबा लगभग 50 एकड़ तथा आराजी क्र. 129 रकबा लगभग 98 एकड़ की जानकारी जिला प्रशासन को मुहैया कराई गई थी। ग्राम पंचायत ने स्पष्ट किया था कि इन आराजियों पर साइलो निर्माण किया जा सकता है, लेकिन बाद में रहस्यमयी अंदाज में दीपेंद्र सिंह से ऊपर ही ऊपर अनुबंध हो गया और ग्राम पंचायत से उक्त आराजी के लिए एनओसी व डायवर्सन के बिना ही निर्माण शुरू कर दिया गया है। ग्रामीणों व सरपंच ने ग्राम पंचायत बांधा में नियमविरूद्ध तरीके से हो रहे निर्माण पर अंकुश लगाने की मांग की है।