अनुदान प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों के नाम पर 71 लाख का फर्जी भुगतान

रीवा | जिले में अशासकीय अनुदान प्राप्त विद्यालयों में पदस्थ शिक्षकों के वेतन और एरियर्स के भुगतान में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। उपस्थिति पंजी में दर्ज शिक्षकों की जगह जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा करीब 71 लाख रुपए दूसरे नामों से संचालित खातों में संधारित कर दिया गया। इस फर्जीवाड़े का खुलासा महालेखाकार कार्यालय ग्वालियर की आॅडिट टीम ने किया है। अनुदान प्राप्त विद्यालयों के नाम पर यह अब तक का रीवा जिले का सबसे बड़ा घोटाला माना जा रहा है। इस फर्जीवाड़े में सेवानिवृत्त और वर्तमान डीईओ की गर्दन नप सकती है।

संयुक्त संचालक वित्त संचालनालय लोक शिक्षण भोपाल के निर्देश पर आॅडिट के प्रतिवेदन की कंडिका क्रमांक-1 के संबंध में डीईओ से जानकारी मांगी गई है। हैरानी की बात यह है कि जिनके हाथों 70 लाख 67 हजार रुपए का गड़बड़झाला हुआ, उन्हीं के अधीनस्थों को जांच की जिम्मेदारी सौंप दी गई। लेकिन जांच टीम ने अधिकारों का हवाला देते हुए हाथ खड़े कर दिए।

क्या है मामला
संयुक्त संचालक वित्त लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल संजय कुमार के पत्र क्रमांक/संयु.संचा./ बजट/2020-21/ 728, दिनांक 28 जनवरी 2021 एवं संयुक्त संचालक लोक शिक्षण रीवा संभाग के पत्र क्रमांक/अनुदान/2021/296, दिनांक 2 फरवरी 2021 में खुलासा हुआ है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय रीवा में जनवरी 2018 से अगस्त 2019 के बीच अशासकीय अनुदान प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों के वेतन एवं एरियर्स राशि का कपटपूर्ण आहरण एवं संवितरण से 70 लाख 67 हजार रुपए की क्षति शासन को पहुंचाई गई है।

चौंकाने वाली बात यह है कि लोक शिक्षण संचालनालय मप्र भोपाल के उपरोक्त पत्र के संदर्भ में कहा गया है कि 6 अलग-अलग आहरणों द्वारा अशासकीय अनुदान प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों के वेतन एवं एरियर राशि का कालम नं. 2 में अंकित व्यक्तियों को भुगतान किया जाना दर्शाया गया है। लेकिन इन व्यक्तियों को जिन बैंक खातों में भुगतान किया गया था, उनकी जानकारी संबंधित बैंक से लेने पर बैंक खाते अनुलग्नक क्रमांक-3 में दर्शाए गए व्यक्तियों के नाम पाए गए। इससे स्पष्ट होता है कि जिनके नाम पर भुगतान करना दर्शाया गया है दरअसल उन शिक्षकों के खातों की बजाय दीगर व्यक्तियों के खातों में राशि डाली गई है। संयुक्त संचालक लोक शिक्षण वित्त ने इसे अत्यंत गंभीर वित्तीय अनियमितता बताया है। 

अंजनी त्रिपाठी और आरएन पटेल के कार्यकाल में हुआ घपला
शिक्षा विभाग के सूत्रों की मानें तो तत्कालीन डीईओ अंजनी त्रिपाठी और वर्तमान डीईओ रामनरेश पटेल के कार्यकाल में अनुदान प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों के नाम पर यह घपला हुआ है। बताया जाता है कि 57 लाख रुपए श्री त्रिपाठी के डीईओ रहते आहरित किया गया। जबकि 13 लाख 67 हजार रुपए वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी श्री पटेल ने आहरित कराया।

अभिलेख और स्पष्टीकरण तत्काल देने के आदेश
डीईओ आरएन पटेल से इस मामले में आवश्यक अभिलेख और उनका स्पष्टीकरण तत्काल भेजने के आदेश दिए गए हैं। अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि डीईओ श्री पटेल ने इस घोटाले के संबंध में संयुक्त संचालक लोक शिक्षण और जेडी कार्यालय रीवा संभाग को क्या स्पष्टीकरण दिया है। लेकिन गठित जांच टीम ने जांच करने से हाथ खड़े कर दिए। टीम में रमसा प्रभारी पीएल मिश्रा, भुंडहा हाईस्कूल के प्राचार्य प्रदीप सिंह एवं एक अन्य प्राचार्य आरएन वर्मा बनाए गए थे। लेकिन ये तीनों अधिकारी डीईओ के अधीनस्थ हैं लिहाजा वे डीईओ के कारनामों की जांच नहीं कर सकते। ऐसे में आयुक्त लोक शिक्षण ने जेडी रीवा संभाग को जांच का जिम्मा सौंपा है।