चार महीनों में ढेकहा से आगे नहीं बढ़ पाया सीवरेज ट्रीटमेंट का काम

रीवा | शहर की सीवरेज व्यवस्था को दुरुस्त करने वाली सीवरेज ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट ने आम आदमी का जीवन बेहद मुश्किल कर दिया है। एसटीपी का काम इतना धीमा चल रहा है कि पिछले चार महीने में पाइप लाइन ढेकहा के आगे नहीं बढ़ पाई है। भाजपा कार्यालय के सामने पिछले तीन महीने से गड्ढा खुदा हुआ है जिसे दो बार भरा जा चुका है और तीन बार खोदा जा चुका है। 

इतना ही नहीं रेलवे मोड़ से लेकर कॉलेज चौराहे तक सड़क इस कदर जर्जर हो चुकी है कि बाइक चलाने वाले चालक अनियंत्रित होकर गिर जाते हैं। ऊबड़-खाबड़, गड्ढों से भरी पथरीली सड़क में चलना बेहद मुश्किल हो गया है। उस पर से भी वाहनों की आवाजाही से उड़ती धूल से सांस लेना भी दूभर हो चुका है। 

चाहे कलेक्टर हों या कमिश्नर या फिर निगमायुक्त, सीवरेज प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने और सड़क की मरम्मत करने सहित प्रदूषण रोकने के निर्देश तीनों अधिकारियों ने कंपनी को दिए हैं। सवाल यह है कि अधिकारियों के निर्देश का पालन कंपनी ने किस हद तक किया है। न तो सड़कों की मरम्मत हुई है, न ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण की गति बढ़ी है और न ही धूल के गुबार कम हुए हैं। कुल मिलाकर पिछले चार साल से आम आदमी ही अव्यवस्थाओं का शिकार हो रहा है। आम लोगों का कहना है कि वह अधिकारी नागरिकों की समस्या क्या समझेंगे जिनके रास्ते में गुजरते वक्त सड़क से उड़ती धूल उनकी आंखों में न पड़ी हो। बाइक चलाते वक्त उनकी गाड़ी कभी अनियंत्रित न हुई हो। 

हर दो सौ मीटर पाइप लाइन खोदने के बाद होनी चाहिए मरम्मत
नगरीय प्रशासन के नियमानुसार सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट द्वारा खोदी गई सड़कों की मरम्मत की प्रक्रिया चलती रहनी चाहिए। हर दो सौ मीटर में पाइप लाइन डलने के बाद उस सड़क का हुलिया वैसा ही हो जाना चाहिए जैसे वह पहले हुआ करती थी। हालात कुछ ऐसे हो गए हैं कि गड्ढेरहित अच्छी सड़कें आम आदमी का ख्वाब बनकर रह गई हैं। चिंता की बात यह है कि सीवरेज ट्रीटमेंट का काम आने वाले कुछ सालों में कतई पूरा नहीं होने वाला है।

क्योंकि पिछले चार साल में कंपनी ने सिर्फ सौ किलोमीटर की पाइप लाइन डाली है और आगे 620 किलोमीटर की पाइप लाइन डालनी है। इतना ही नहीं शहर भर में सात सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण करना है जिनमें से एक की भी शुरुआत नहीं हुई है। तो आने वाले दिनों में नगरवासियों को अच्छी सड़कें मिलेंगी इसकी कोई गारंटी नहीं है। क्योंकि सीवरेज कंपनी न जाने कब उस सड़क को खोद दे कोई भरोसा नहीं है।

ब्लैकलिस्ट की जगह दे देते हैं एक्सटेंशन
देखा जाए तो सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट जैसी महत्वपूर्ण योजना का केके स्पन ने मजाक बनाकर रख दिया है। पर्याप्त साधनों की कमी होने के बाद भी संबंधित ठेका कंपनी को यह काम सौंपा गया है। केके स्पन को दो बार एक्सटेंशन मिल चुका है और यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि मार्च 2021 में डेड लाइन खत्म होने के बाद प्रशासन से एक्सटेंशन के लिए फिर सिफारिश जाएगी। जबकि समय पर काम न कर पाने वाली कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर एसटीपी का काम किसी अनुभवी कंपनी को सौंप देना चाहिए। मगर प्रशासनिक अधिकारियों की शह पर काम कर रही कंपनी को एक्सटेंशन का अभयदान दे दिया जाता है।