पेट्रोल डीजल: वाह रे सरकार, तीन माह में 8 रुपए की चोट, 40 पैसे का मलहम

सतना | मंहगाई में आग लगाने वाली पेट्रोल डीजल की कीमतों को लेकर सरकार भले ही क हे कि उपभोक्ताओं को समय समय पर राहत दी जाती है लेकिन आंकड़े सरकार द्वारा दी जाने वाली राहत की जिस प्रकार की पोल खोल रहे हैं, उससे हैरानी होती है। यदि हम मौजूदा साल के तीन माह के आंकड़ों को देखें तो स्पष्ट होता है कि सरकार इस मामले में किस प्रकार से आंकड़ों की बाजीगरी दिखाती है। तीन माह में सरकार ने  पेट्रोल में प्रति लीटर करीब 8 रुपये की वृद्धि की और इस अवधि में  40 पैसे की राहत देकर बताया कि उपभोक्ता को राहत दी तो जा रही है। लोगों को उम्मीद थी  कि शायद पांच राज्यों के चुनावों के कारण डीजल-पेट्रोल में कुछ कमी आए पर जिस तरह दो दिन से एक बार फिर कीमतें स्थिर हैं लगता नहीं कि सरकार और राहत देने के मूड में है। बहरहाल शनिवार को सतना में पेट्रोल औसत 100 रुपये 58 पैसे लीटर पर था। डीजल भी 91.02 रुपये लीटर बिका।

सतना में आज ये रहीं कीमतें
कम्पनी          पेट्रोल      डीजल
रिलांयस        101.42    91.55
इंडियन आ.    100.70    91.13
व्हीपी            100.66    91.09
एचपी            100.55    90.99
(कीमतें रुपये प्रति लीटर में)

नए साल में ऐसे पड़ी महंगे पेट्रोत्पाद की मार 
महंगाई की तेज रफ्तार के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमत बीते करीब 1 महीने से स्थिर बनी हुई थीं। इसके पहले महीनों से लगातार पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ रहीं थीं, वहीं 26 फरवरी को पेट्रोल डीजल की कीमतों में अंतिम बार इजाफा हुआ था। 26 फरवरी को डीजल 91.42 व पेट्रोल 100.92 रुपये प्रति लीटर था। 27 फरवरी से 23 मार्च तक करीब एक महीने लगभग खास बढ़ोत्तरी नहीं हुई और डीजल 91.42 व पेट्रोल 100.92 रुपये के करीब ही रहा। इसके बाद अब 24 व 25 मार्च को पेट्रोल-डीजल की कीमत में बेहद मामूली करीब 40 पैसे की कमी ने लोगों को चकित कर दिया है। कई महीनों बाद पेट्रोल-डीजल की कीमत घटी हैं। डीजल  व पेट्रोल दो दिन लगातार घटकर सिर्फ 40 पैसे सस्ता हुआ है। खास बात यह है कि 8 फरवरी को डीजल 86.55 व पेट्रोल 96.36 रुपये प्रतिलीटर था, जिसमें 4 रुपये से अधिक की बढ़ोतरी महज 18-19 दिन में ही हो गई थी। वैसे मार्च महीने में सबसे महंगा पेट्रोल 16 मार्च को 101.27 तथा डीजल 91.67 रुपये लीटर में बिका था।

...तो क्या इस रहम दिली का कारण चुनाव
कीमतें न बढ़ने को लेकर बंगाल चुनाव को बड़ा कारण माना जा रहा है। पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में की जाने वाली घट-बढ़ की टाइमिंग को देखते हुए अब तो हर कोई इसे चुाव से जोड़ने लगा है। ल5ोगों का मानना  है कि चुनाव संपन्न होते ही कीमतें फिर बढ़ना शुरू हो जाएंगी। पूर्व में भी चुनावों से पहले पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर व काफी कम हुए हैं व चुनाव संपन्न होते ही तेजी से उछाल आया था। 2018 में हुए दिल्ली चुनाव में भी ऐसा स्पष्ट तौर पर देखा गया था। वैसे 40 पैसे की कमी भले ही आम उपभोक्ता को मामूली लगती हो पर ट्रांसपोर्ट कारोबारियों को काफी राहत देगी। जिसका असर मार्केट पर दिखाई देता है। ऐसे में अपरोक्ष रूप से आमजन को भी इससे राहत मिलती है।