जिला अस्पताल में गायनी डॉक्टरों का ओपीडी से परहेज

सतना | जिला अस्पताल की साख लगातार गिरती जा रही है। खास कर गायनी विभाग के हालात तो ये हंै कि डॉक्टरों का ओपीडी से परहेज है। ड्यूटी भले ही प्रसूताओं को देखने और उनके बेहतर उपचार की हो पर जब डॉक्टर अपनी सीट में नहीं होगा तो भला प्रसूता अपनी परेशानी क हेगी किसे। जिला अस्पताल में मेडिसिन से लेकर आर्थो,सर्जरी और शिशुओं के लिए बेहतर ओपीडी संचालित हो रही है पर गायनी में हालात बदतर हैं। जबकि ऐसा भी नहीं है कि चिकित्सको की कमी है। बावजूद इसके कोई भी डॉक्टर ओपीडी में बैठ कर इइन मरीजों की नब्ज नहीं टटोलता।

कुछ तो सीनियरटी का चोला ओढ़ अस्पताल में तफरी करते रहेंगे लेकिन मरीजो का इलाज करने में उनको बड़ा गुरेज है और सेलरी इसी की लाखों में मिल रही है। भला ऐसे में डीएच के इन लापरवाह डॉक्टरों को भगवान का दर्जा कैसे दिया जा सकता है....जिनको अपनी ही जिम्मेदारी का कोई अहसास नहीं है....ड्यूटी के प्रति इमानदारी दूर-दूर तक नहीं। अब नवागत सिविल सर्जन के लिए इन चिकित्सकों की तानाशाही से निपटना और प्रसूताओं को उपचार मुहैया कराना बड़ी चुनौती है।

आना है 9 बजे पर...
जिला अस्पताल में इन दिनों डॉक्टरों का नया समय मुकर्रर किया गया है कोई भी चिकित्सक हो उसको डीएच में सुबह 9 बजे अपनी आमद देनी है। हालांकि लगभग सभी डॉक्टर 9 से 10 के बीच पहुंचते तो है पर गायनी के चिकत्सकों में कुछ ही है जो इस नए टाइम सेड्यूल पर अमल कर रहे हैं। गायानी में डॉ जसपाल बीना वार्डों में तो डॉ सुनील पांडे ओपीडी तो कभी ओटी और वार्ड में भी नजर आते हैं। वहीं जो सीनियरटी का चोला ओढ़ मोहतरमा चिकित्सक हैं उनको न समय से और न तो ओटी-ओपीडी -वार्ड से कोई सरोकार है। कहने को 27 नंबर का कमरा प्रसूताओं के लिए है लेकिन वहां बदसलूकी करने वाली नर्स तो होती है पर डॉक्टर के दीदार गाहे-बगाहे ही होते हैं। स्टाफ महिला भले है पर बाते गवारों से कम नहीं। जबकि गायनी ओपीडी में 24 घंटे एक डॉक्टर होना चाहिए....हालांकि डीएच के ये वो नियम हैं जिनको सीएस के मातहत पैरों तले रौंद रहें हैं।

हद है! 10 डॉक्टरों के बाद ये हाल
जिला अस्पताल में गायनी ही ऐसा विभाग है जहां डॉक्टरों की कोई कमी नहीं है। गायनोलॉजिस्ट से लेकर मेडिकल आफिसर तक भरपूर है। डीएच में प्रसूति चिकित्सकों की तादात 10 है इसके बाद भी ओपीडी में बैठकर मरीजों का इलाज करने वाला कोई नहीं है। जबकि गायनी में डॉ रेखा त्रिपाठी जो सबसे सीनियर डॉक्टर है, डॉ मंजू सिंह, डॉ सुनील पांडे, डॉ माया पांडे है जो अस्पताल की सबसे चर्चित डॉक्टर है और मरीजों से बातचीत के मामले में भी ये मशहूर हैं। डॉ भूमिका जगवानी,डॉ जसपाल बीना और शांति चहल ये भी एक विवाद को लेकर सुर्खियों में आर्इं थी। असके अलावा डॉ प्रतिका सिंह, डॉ पूजा सिंह और डॉ आकश जो अभी नए हैं। कुल दस डॉक्टरों के बाद भी गयनी में प्रसूताएं भटकती रहती हैं।

...जब दलाल पालने से फुर्सत हो
जिला अस्पताल के गायनी में तो कुछ ऐसी मोहतरमा चिकित्सक हैं जिनको ड्यूटी के समय ही नहीं मिलता है। आखिर करें भी क्या...इनको दलाल पालने से फुर्सत नहीं है। इनकी क्लीनिक से लेकर खुद के नर्सिंगहोम तक के लिए दलाल फिक्स हैं जो जिला अस्पताल महिला -पुरुष दोनो के रुप में तैनात हैं। हॉस्पिटल आने वाली प्रसूताओं से गायनी चिकित्सक की महिला दलाल घेरती है और उनको  जल्दी काम कराने प्रलोभन के साथ लुभाती हैं। हालांकि अस्पताल के नजदीक ही महिला गायनी डॉक्टर का क्लीनिक है तो एक गैस एजेंसी के नजदीक इनका निजी अस्पताल भी है। डॉक्टर के दलाल दिन हो या रात अस्पताल में प्रसूताओं को गुमराह करने में अमादा रहती हैं। हालांकि इनके खिलाफ शिकायत भी हो चुकी है और जांच के आदेश भी हुए पर नतीजा सिफर रहा और गोरखधंधा परवान चढ़ रहा है।

सभी डॉक्टरों को 9 बजे आने का आदेश है और गायनी में 24 घंटे चिकित्सक की मौजूदगी होती है। यदि ओपीडी में कोई गायनी डॉक्टर नहीं रहा तो ये गंभीर बात है। इस मामले को सीएस से अवगत कराया जाएगा।
इकबाल सिंह, प्रशासक जिला अस्पताल