निजीकरण का विरोध: दफ्तर आए पर बिजली वालों ने नहीं किया काम

सतना | सरकार के खिलाफ बिजली वालों का मोर्चा अभी भी जारी है। विद्युत कंपनियों का निजीकरण करने के विरोध में कंपनी कर्मचारियों द्वारा लगातार विरोध जताया जा रहा है पर कामयाबी दूर-दूर तक नहीं मिल रही है और आलम ये है कि सब स्टेशनों को निजी हाथों में देकर निजीकरण का आगाज सरकार ने कर दिया है। मंगलवार को सतना में भी कर्मचारियों ने सांकेतिक प्रदर्शन किया पर कोई धरना नहीं रहा। एक दिनों के कार्यबहिष्कार में बिजली वाले दफ्तर तो आए पर काम को हाथ नहीं लगाया। जबकि बुधवार से कंपनी के कार्यालयों में उसी तरह के काम संचालित होंगे और ये एक दिन का ही कार्य बहिष्कार था।

1 मई से बिजली सप्लाई ठप करने की चेतावनी
मध्यप्रदेश यूनाइटेड फोरम फर पावर एम्पलाईज एवं इंजीनियर्स ने बिजली सप्लाई बंद कर देने की चेतावनी सरकार को दे डाली है। दरअसल 6 अपै्रल को एक दिवसीय और 22 अपै्रल से तीन दिनों का कार्यबहिष्कार है जिसमें 6 को इमरजेंसी सेवाएं बहाल रहीं और अब 22 से पूरा कार्यबहिष्कार रहेगा तीन दिनों तक इस दौरान किसी भी अधिकारी और मैदानी अमले का मोबाइल भी बंद होगा। बिजली बंद हुई तो बहाली नहीं होगी। इसके अलावा 1 मई से प्लानिंग है कि मजदूर दिवस के अवसर से बिजली संबंधी सभी तरह के काम बंद कर दिए जाएंगे। ये चेतावनी हड़ताल कब समाप्त होगी इसकी कोई तय तारीख नहीं है। 

गर्मी में बेहाल होंगे उपभोक्ता
मध्यप्रदेश यूनाइटेड फोरम फर पावर एम्पलाईज एवं इंजीनियर्स के एलान पर सरकार ने कोई ठोस कदम न उठाया तो जाहिर है कि ऐसे में गर्मी के दिनों में उपभोक्ता बेहाल हो जाएंगे। कर्मचारी तैनात रहते हुए बिजली फीडरों में ट्रिपिंग नहीं रुकती है और जब बिजली वाले काम नहीं करेंगे तो जाहिर है कि सप्लाई ठप हो जाएगी,हडताल के दौरान बिजली बहाली के भी चांस कम होंगे। बेहतर होगा कि इस समस्या से आमजनों को निजात दिलाने सरकार कारगर कदम उठाए। वहीं निजीकरण उपभोक्ता हित में भी नहीं है।

करते रहे विरोध और अडानी को मिले सब स्टेशन
एक तरफ तो विरोध चल रहा है और दूसरी ओर सरकार के सामने बिजली कर्मचारियों और तमाम संगठनों के विरोध बेअसर है। पूर्व क्ष्ोत्र विद्युत कंपनी हो चाहे जनरेशन व पॉवर ट्रांसमिशन सभी कंपनियों के कर्मचारी सरकार से मोर्चा खोल चुके हैं। इधर यूनाइटेड फोरम लगातार विरोध कर रही है और फोरम के साथ इंजीनियर्स भी हैं। दूसरी ओर हालात ये हैं कि कर्मचारी धरना-आंदोलन कर  रहे हैं और पॉवर ट्रांसमिशन के सब स्टेशनों का काम अडानी ग्रुप को दिया गया है। ये कहीं और नहीं बल्कि मध्यप्रदेश में है और जबलपुर में ट्रांसमिशन के कई कार्य अडानी को दिए गए हैं। जो पॉवर विद्युत उपकेंद्रों का है। कुलमिलाकर निजीकरण को जितना विरोध हो रहा है उतना ही निजी हाथों में बिजली को देने की मंसा सरकार की साफ है।