रेलवे माल गोदाम: ठंडा पड़ा प्रस्ताव, 5 साल में केवल ड्राइंग बना सका रेलवे
सतना | पश्चिम मध्य रेल मंडल के कमाऊ स्टेशनों में शुमार सतना स्टेशन से जुड़ी सुविधाओं को मंडल स्तर पर किस प्रकार से नजरंदाज किया जा रहा है इसका एक नमूना रेल मल गोदाम है। शहर की यातायात व्यवस्था के लिए नासूर बने रेलवे माल गोदाम को शहर से बाहर शिफ्ट करने का प्लान 5 साल पहले तैयार किया गया था लेंिकन यह प्लान अधिकारियों की उदासीनता से कागजों तक ही सिमटा रहा और इन पांच सालों में रेल प्रशासन केवल ड्राइंग बना सका।
एक ओर जहां शिफ्टिंग की फाइल डिवीजन में धूल फांक रही है, वहीं रेलवे माल-गोदाम में लोडिंग -अनलोडिंग के लिए शहर के भीतर प्रवेश करने वाले हैवी लोडेड ट्रक शहर की यातायात व्यवस्था के लिए नासूर बना हुआ है। बताया जाता है कि सतना रेलवे माल गोदाम को शहर से बाहर जेपी साइडिंग में शिफ्ट करने के लिए लगभग 5 साल पहले प्रस्ताव तैयार कर डिवीजन भेजा गया था लेकिन प्रस्ताव पर अमल अब तक नहीं किया जा सका है।
अंग्रेजों के जमाने का है मालगोदाम
करोड़ों रुपए से रेलवे की झोली भरने वाला रेलवे का माल गोदाम अंग्रेजों के जमाने का है। सौ साल से ज्यादा बूढ़े हो चुके मालगोदाम को अभी भी उपयोग में लाया तो रहा है लेकिन मेन्टीनेंस न होने से जहां बारिश के दिनों में माल गोदाम में पानी टपकता रहता है, वहीं प्लेटफार्म के चबूतरों के एंगल व कंक्रीट भी उखड़ रही है। जब मालगोदाम बना था तब आसपास आबादी नाममात्र की थी लेकिन अब स्टेशन के चहुओर घनी आबादी और बाजार होने के कारण यहां आने वाले भारी वाहन दुर्घटनओं को आमंत्रित करने के साथ यातायात भी बाधित करते हैं।
अब फंड का टोटा
जानकारों के अनुसार रेलवे ने मारूती नगर स्थित जेपी साइडिंग में मालगोदाम को शिफ्ट करने के लिए पहले लगभग 7 करोड़ का प्रपोजल तैयार कर डिवीजन में भेजा था। वहीं सतना-पन्ना नई रेल प्रोजेक्ट के सप्लीमेन्टी अवार्ड में जेपी साइडिंग की भूमि अधिगृहीत तक कर ली गई है। बताया जाता है जो प्रस्ताव यहां से बना कर भेजा गया था उसमें प्रशासन द्वारा कैंची चला दी गई थी और फंड घटा कर लगभग 4 करोड़ कर दिया गया था। सूत्रों की मानें तो प्रपोजल में कवरशेड शामिल था लेकिन इसे हटा दिया गया। लॉकडाउन के पहले टेंडर लगने तक मामला पहुंच गया था लेकिन लॉक डाउन के बाद फ़ंड के अभाव के चलते अब रेलवे ने अपना ध्यान फिलहाल इस प्रोजेक्ट से हटा लिया है।
व्यापारी संगठन भी उठा चुके हैं आवाज
मालगोदाम के शहर के अंदर होने व नो इंट्री व्यवस्था लागू होने के चलते व्यापरियों व ट्रांसपोर्टर्स को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। स्थानीय व्यापारिक संगठन भी शहर से बाहर माल गोदाम शिफ्टिंग की आवाज उठा चुके है। विंध्य चेंबर आफ कामर्स तो कई मर्तबा रेल अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपकर भी माल गोदाम शिफ्टिंग की मांग कर चुका है।
एक रैक, दो सौ ट्रकों की दौड़
जानकारों के अनुसार एक रैक की लोडिंग -अनलोडिंग के दौरान लगभग 2 सौ ट्रकों की धमाचौकड़ी शुरू हो जाती है। सतना माल गोदाम में जहां खाद के रैक लगते हैं वहीं गेहूं यहां से अन्य राज्यों मे भेजा जाता है। बताया जाता है कि माल गोदाम में खाद के जो रैक लगते हैं उनमे जिले के अलावा पन्ना ,छतरपुर,सागर,रीवा,सीधी शहडोल व अन्य जिलो में माल भेजा जाता है। खासकर खाद्यान्न व खाद परिवहन
माल गोदाम के बाहर होने से ये होंगे फायदे
- भारी वाहनों का प्रवेश बंद होने से शहर का यातायात सुगम होगा ।
- शहर वासियों को जाम से निजात मिलेगी।
- शहर के अंदर सड़क दुघर्टनाओं का डर खत्म होगा।
- व्यापारियों को माल के परिवहन में सुविधा होगी।
- माल परिवहन से रेलवे की आय का ग्राफ तेजी से बढ़ेगा।
- मालगोदाम स्थानांतरित होने से औद्योगिक विस्तार में इजाफा होगा ।
ये होती है अभी परेशानी
- रैक की लेडिंग -अनलोडिंग मे शहर की यातायात व्यवस्था पूरी तरह चौपट।
- सिर्फ दिन में संचालित होता है वर्तमान मालगोदाम।
- माल उतरवाने को दिन में लगती है बड़े वाहनों की कतारें।
- स्टेशन रोड व सर्किट हाउस चौराहे पर लगता है लंबा जाम।
- भारी वाहनों के प्रवेश से राहगीरों में सड़क हादसे का सताता है डर।
- जाम लगने व नो एंट्री लागू रहने से माल परिवहन में आती है कठिनाई।