कृषि अभियांत्रिकी कौशल विकास केंद्र: आंखों में आत्मनिर्भरता की चमक, हाथों में समुन्नत खेती का हुनर
सतना | तकरीबन एक माह पहले उमरिया, दतिया समेत विभिन्न जिलों से आए नवयुवक अपने कैरियर को लेकर चिंतित थे, लेकिन एक माह बाद अब उनकी आंखों में आत्मनिर्भरता व स्वावलंबन की चमक है और वे कृषि क्षेत्र में समुन्नत तकनीकों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं। बेशक यह बात अतिशयोक्ति लगे कि केवल एक माह में किसी की मानसिक दशा में इतना परिवर्तन कैसे आ सकता है, लेकिन यह सच है कि अनुशासन, सही मार्गदर्शन और तकनीकी प्रशिक्षण देकर ऐसा कर दिखाया है कृषि अभियांत्रिकीय कार्यालय परिसर में संचालित कौशल विकास केंद्र की टीम ने। रविवार को स्टार समाचार की टीम ने कौशल विकास केंद्र पहुंचकर वहां की व्यवस्थाओं का जायजा लेते हुए उन प्रशिक्षणार्थियों से बातचीत की जो प्रशिक्षण पाकर कृषि कार्य से जुड़ी बड़ी बड़ी मशीनरी को अब न केवल चलाना जानने लगे हैं बल्कि छोटी मोटी त्रुटियों को सुधारने का भी हुनर जानने लगे हैं।
ये हुए पारंगत
प्रशिक्षण प्राप्त कर कृषि यंत्रों के संचालन में उमरिया जिले के संतोष गुप्ता, कामिल खान, सुनील गुप्ता, मोहित, दीपक पटेल सोनेलाल पटेल अमित सिंह, संदीप विश्वकर्मा व सचिव बैगा है जबकि दतिया जिले से अभिषेक सिंह व विनोद राजपूत प्रशिक्षित हुए हैं। सतना के अनुराग सिंह सौरभ सिंह, अंकित सिंह, मान सिंह, आशीष श्राफ, राजेंद्र कुशवाहा, करण वर्मा जैसे युवाओं ने खासी रूचि दिखाई और कृषि यंत्रों का प्रशिक्षण प्राप्त कर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाए ।
इनमें पारंगत हुए प्रशिक्षणार्थी
बेशक सतना को देश के दूसरे इलाकों में सीमेंट हब के तौर पर पहचाना जाता रहा हो लेकिन सतना जिला कृषि प्रधान है । यह विडंबना ही है कि यहां कृषि कार्य में समुन्नत तकनीक का इस्तेमाल करने वाले किसानों की संख्या नगण्य है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि फसल के सीजन में यहां पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उप्र जैसे दूसरे राज्यों से किसान अपनी मशीनरी लेकर आते हैं और लाखों रूपए यहां के किसानों से कमाकर चले जाते हैं।
बाद में यहां के कुछ बड़े किसानों ने हार्वेस्टर जैसे कृषि यंत्र तो खरीदे लेकिन उसका संचालन करने विंध्य में आपरेटर न होने के कारण उन्हें बाहर से ही आपरेटर बुलाने पड़ते हैं, लेकिन अब विंध्य के किसानों की दूसरे राज्यों पर इस मामले में निर्भरता खत्म हो रही है और यह संभव हो सका है संभागीय कृषि अभियांत्रिकी कर्मशाला परिसर में संचालित कौशल विकास केंद्र में दी जाने वाली ट्रेनिंग के कारण, जहां बेरोजगार युवकों को ट्रैक्टर मैकेनिक के साथ कंबाइन्ड हार्वेस्टर आॅपरेटर की ट्रेनिंग पब्लिक प्राइवेट पार्टनर (पीपीपी) के रूप में मेसर्स महिंद्रा स्वराज के मास्टर ट्रेनर्स दे रहे हैं।
ट्रेनिंग कार्य नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉउंसिल के तहत व एग्रीकल्चर स्किल्स काउंसिल आॅफ इंडिया द्वारा तय मानकों के अनुसार प्रदान किया जा रहा है। ऐसा ही एक बैच अपना प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने घर लौटने की तैयारी कर रहा है। कंबाइंट हार्वेस्टर, पैडी कल्टीवेटर, रोटावेटर, ट्रैक्टर समेत विभिन्न कृषि यंत्रों का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके प्रशिक्षणार्थियों ने बातचीत में बताया कि अब वे आत्मविश्वास से लबरेज हैं और कृषि यंत्रों का बखूबी इस्तेमाल कर सकते हैं।
एक अधिकारी के विजन से उदाहरण बना केंद्र
बुजुर्गों ने ठीक ही कहा है कि काम कितना भी जटिल हो, इच्छाशक्ति और दूरदर्शी सोच से सबकुछ बदला जा सकता है। कृषि विभाग परिसर में इसकी झलक भी मिलती है। यूं तो जिले व प्रदेश में कई कौशल विकास केंद्र चल रहे हैं लेकिन जैसी व्यवस्थाएं यहां हैं, वैसी व्यवस्थाएं या तो निजी संस्थानों में ही देखने को मिलती हैं। इन व्यवस्थाओं को सुनिश्चित किया है संभागीय कृषि यांत्रिकीय विभाग में पदस्थ संयुक्त संचालक राजेश तिवारी ने।
मसलन केंद्र आने वाले प्रशिक्षणार्थियों को एंड्रायड टीवी , लाइब्रेरी, बैडमिंटन समेत अन्य खेल कूद की सुविधाओं के साथ क्पयूटर प्रशिक्षण की सुविधा राजेश तिवारी अपने स्तर पर मुहैया करा रहे हैं। एक बातचीत में राजेश तिवारी ने बताया कि प्रशिक्षणार्थियों को तकनीकी प्रशिक्षण के साथ उनके व्यक्तित्व का विकास होना भी आवश्यक है तभी वे यहां अर्जित प्रशिक्षण का लाभ बेहतर ढंग से उठा सकेंगे। जिस प्रकार से कृषि विभाग परिसर का कौशल विकास केंद्र संचालित किया जा रहा है, यदि उसी प्रकार से सभी कौशल विकास केंद्र संचालित किए जायं तो निश्चय ही सरकार के आत्मनिर्भर भारत बनाने के सपने को पंख लगेंगे।
हम जब आए थे खाली हाथ थे, लेकिन कौशल विकास केंद्र में बिताया एक माह का समय जीवन को बदलने वाला साबित हुआ। अब हम आत्मविश्वास से लबरेज हैं। यहां जो सीखा उसका उपयोग कर हम कृषि को कैरियर बना सकते हैं। कृषि यंत्रों का उपयोग और संचालन में हमें दक्ष किया गया है।
संतोष गुप्ता, प्रशिक्षणार्थी, उमरिया
यहां उच्चकोटि की सुविधाओं के बीच कंबाइंड हार्वेस्टर व अन्य कृषि उपकरणों के उपयोग व जनरल मेंटीनेंस की ट्रेनिंग दी गई। जिस प्रकार का यहां माहौल मिला उससे एक पल के लिए भी अहसास नहीं हुआ कि हम घर से बाहर हैं। अब हम पूरे आत्मविश्वास के साथ खेती कर सकते हैं।
अभिषेक राजपूत प्रशिक्षणार्थी, दतिया
हमने सोचा था कि लोकल हैं तो शाम को घर चले जाया करेंगे लेकिन यहां जिस अनुशासन व सुविधा के साथ प्रशिक्षण शुरू हुआ उसके बाद घर जाने का ख्याल ही नहीं आया। लगा कि जाने पर ट्रेनिंग मिस होगी जिसकी भरपाई संभव नहीं थी। इसलिए हम लोकल होते हुए भी गलातार यहीं रहे और प्रशिक्षण प्राप्त किया ।
अनुराग सिंह, प्रशिक्षणार्थी, सतना
उत्कृष्ठ सुविधाओं के साथ ट्रेनिंग दी गई है। अब हार्वेस्टर हो या अन्य कोई कृषि यंत्र हम पूरे विश्वास से चला सकते हैं। हमें एक माह बेहतरीन ट्रेनिंग दी गई है और शैद्धांतिक व प्रायोगिक दोनो का ज्ञान कराया गया है। मूल प्रशिक्षण के साथ यहां व्यक्तित्व विकास के लिए होने वाली गतिविधियां अनुकरणीय हैं।
मान सिंह, प्रशिक्षणार्थी, सतना