स्टेशन में लापरवाही: दबे पांव निकल रहे यात्री, बिना जांच के ही घर भेजे जा रहे पैसेंजर

सतना। कोरोना की दूसरी लहर तेजी से बढ़ रही है, सरकार ने सख्ती से नियमों का पालन करने के निर्देश जारी किए है कि रेलवे स्टेशन में बाहर से आने वाली ट्रेनों के यात्रियों की स्क्रीनिंग कर जांच की जाय जिससे फैल रहे संक्रमण को रोका जा सके लेकिन कागजों में लागू की गई व्यवस्था का सतना स्टेशन के धरातल पर नहीं आ पाई है। कोविड-19 के नियमों का सख्ती से स्टेशन में पालन नहीं हो रहा है। बिना जांच के ही कोरोना संक्रमित राज्यों व जिलों से आए यात्रियों को बिना जांच के ही घर भेज दिया जाता है, वही हफ्ते भर से ज्यादा का समय बीतनें को है और अभी तक स्टेशन में रैंडम सैम्पलिंग के लिए इंतजाम नहीं हो पाए हैं।

जानकारों के अनुसार रेलवे स्टेशन में बरती जा रही यह लापरवाही महामारी का प्रसार बढ़ा सकती है जो कि भविष्य में जिले के लिए यह घातक साबित होगा। वहीं रात में स्टेशन में स्क्रीनिंग कौन करेगा यह भी तय नहीं किया गया है। पहले रात की जांच रेलवे टीसी स्टॉफ से करवाती थी। 

आरपीएफ,जीआरपी का सहयोग नहीं 
बताया गया कि अकेले मेडिकल टीम की मुसाफिर बातें नहीं सुनते और बाहर से आने वाले यात्री बिना जांच के बाहर बच निकल जाते हैं। स्वास्थ विभाग के अधिकारियों के अनुसार आरपीएफ और जीआरपी स्टाफ द्वारा सहयोग नहीं किया जाता है। टीम जांच में लग जाती है और यात्री बल के मौजूद न होने से जांच नहीं करवाते हैं। अब सवाल यह उठता है कि जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी क्यों नहीं निभाते, इस महामारी के दौर मे समझतें है।

कमरें की नहीं हुई व्यवस्था, स्टाफ भी बरत रहा लापरवाही 
कोरोना गाइड लाइन के अनुसार स्वास्थ विभाग की टीम को स्टेशन में स्क्रीनिंग के साथ प्रत्येक टीम को 15-20 रैंडम सैम्पलिंग करनी है जिसके लिए एक बंद कमरा चाहिए जिससे सामान रखने के साथ-साथ दूसरे लोगों को इंफेक्शन से बचाया जा सके  लेकिन रेलवे की तरफ से स्टेशन में कमरा न देने की भी बातें सामने आई। बताया गया कि इस संबध में शनिवार को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी ने स्टेशन मास्टर को पत्र भी लिखा था। इसके बाद भी कमरा नहीं दिया गया। इधर स्टेशन मास्टर का कहना है कि उनको कोई पत्र नहीं मिला है। अब इ मामले में कौन सच्चा है और कौन किसे गुमराह कर रहा है...बड़ा सवाल है....?

मैहर को भूला प्रशासन 
सतना स्टेशन में किसी तरह स्क्रीनिंग तो शुरू हुई लेकिन मैहर स्टेशन में कोरोना जांच को लेकर कोई हलचल नहीं है। न तो स्वास्थ्य विभाग की तरफ से और न ही रेलवे की तरफ से। जबकि मैहर स्टेशन में भी भोपाल, जबलपुर एवं मुम्बई से आने वाली  लगभग दो दर्जन से ज्यादा ट्रेनों के स्टापेज हैं। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या कोरोना मैहर में अपनी दस्तक नहीं देगा। जानकारों के अनुसार अगर मैहर क्षेत्र में कोरोना विस्फोट हुआ तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? 

ड्यूटी तीन की, पहुंच रहे केवल दो 
सतना स्टेशन में स्वास्थ विभाग द्वारा दो शिफ्ट में 3-3 स्टाफ की दो टीमों की ड्यूटी स्क्रीनिंग के लिए लगाई गई है लेकिन 3 में से ही दो स्टाफ ही स्टेशन पहुंच रहा है। बताया गया कि पहली शिफ्ट में एएनएम विक्रांति कोल एवं दूसरी शिफ्ट में एएनएम भूमिका पांडेय नही पहुंच रही है। यात्रियों की संख्या ज्यादा होने की वजह से मैन पावर की कमी समझ में आती है।