कर्मचारियों की ऊर्जा से विवि को दिलाएंगे ऊंचाई: आचार्य
रीवा | अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के नए कुलपति डॉ. राजकुमार आचार्य सादे स्वभाव और उच्च विचारधारा के धनी हैं। छात्र जीवन वाणिज्य से शुरू करके लॉ और पत्रकारिता की डिग्री हासिल करने वाले डॉ. आचार्य वाइस चांसलर बनने से पहले महात्मा गांधी पीजी कॉलेज करेली के प्राचार्य रहे हैं। अब अगले चार साल तक डॉ. आचार्य विश्वविद्यालय की कमान संभालेंगे और अपने अनुभव से एपीएसयू को आगे बढ़ाने का पुरजोर प्रयास करेंगे। डॉ. आचार्य का मानना है कि सभी कर्मचारियों, अधिकारियों की क्षमता का आंकलन कर उन्हें एकजुट करके उनसे कोई भी काम कराया जा सकता है। विवि के कुलपति डॉ. आचार्य से स्टार समाचार ने साक्षात्कार किया। प्रस्तुत हैं डॉ. आचार्य से बातचीत के कुछ अंश :-
अगर आप शिक्षाविद् न होते तो वर्तमान में खुद को कहां पाते?
मेरे परिवार का पिछले 70 साल से सराफा व्यापार संचालित है। मेरे छोटे भाई बिजनेस संभाल रहे हैं। ईश्वर की कृपा थी कि मैं एक शिक्षाविद् बना। अगर मैं शिक्षाविद् न होता तो संभवत: अपना व्यापार संभाल रहा होता।
शिक्षा क्षेत्र में आपने अब तक क्या बदलाव लाया?
करेली महाविद्यालय में मैंने कई नए विषयों को लाया। वहां फिजिक्स पूरे जिले में कहीं नहीं पढ़ाया जाता था। अपने कॉलेज में मैंने फिजिक्स के साथ विज्ञान संकाय और कला के नए विषयों को लाया। साथ ही हार्वेस्टिंग सिस्टम को डेवलप किया। नए आईटी सेक्टर को विकसित किया। लाइब्रेरी का उन्नयन किया और आॅनलाइन बुक्स पढ़ाने की व्यवस्थाएं कीं और छात्रों को डिजिटलाइजेशन से जोड़ने का काम किया।
आपकी शैक्षणिक उपलब्धता?
मुझे कई एवार्ड मिले हैं। वर्ष 2019 में बेस्ट एजुकेशनलिस्ट अवार्ड इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ एजुकेशन एण्ड मैनेजमेंट की ओर से मिला है। 90 राष्ट्रीय और 22 अंतराष्ट्रीय सेमीनार में हिस्सा लिया है। दो विदेशी विश्वविद्यालयों में बतौर चेयर पर्सन सेमीनार में शामिल हुआ हूं। इसके अलावा कामर्स की डिग्री के साथ पत्रकारिता, विधि की भी पढ़ाई की है और कॉमर्स से पीएचडी की है।
आप विश्वविद्यालय में क्या बदलाव लाएंगे?
अगले सत्र से नई शिक्षा नीति को लागू करना है जिसे नीतिवार लागू करने का पुरजोर प्रयास करूंगा। साथ ही विश्वविद्यालय में आईटी को विकसित करने का काम करूंगा।
विवि कभी शैक्षणिक कैलेण्डर के हिसाब से नहीं चलता, रिजल्ट और परीक्षा हमेशा देरी से होती है?
हाल ही में मेरी नियुक्ति हुई है। अब तक मुझे ऐसा अनुभव नहीं हुआ है। अगर आगे मुझे ऐसी विसंगतियां नजर आती हैं तो उनका समाधान करूंगा। विश्वविद्यालय के छात्रों को पढ़ाई से जुड़ी किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े, यही मेरा प्रयास है।
आपका काम दूसरों से कैसे अलग है?
मैं किसी और से अलग नहीं होना चाहता। किसी से अलग होना मेरा तरीका नहीं है। न्यायवार मेरा तरीका है। कर्मचारियों की ऊर्जा को एक करके काम करेंगे, विश्वविद्यालय को मध्यप्रदेश के टॉप उच्च शैक्षणिक संस्थान में लाने की पूरी कोशिश करेंगे।
ऐसी क्या कमी है जो एक उच्च शैक्षणिक संस्थान को बड़ा बनने से रोकती है?
मानव संसाधन की कमी और आर्थिक संसाधन की कमी किसी भी उच्च शिक्षा संस्थान को विकसित होने से रोकती है। मेरा यही प्रयास रहेगा कि मैं एक ऐसा सिस्टम बनाऊं जिसमें सब मिलकर मेहनत से काम करें और आर्थिक संसाधनों को बढ़ाने का प्रयास करें।