चुनाव हारे तो पूर्व मंत्री फिर बन गए सांसद प्रतिनिधि
अधिकारियों के साथ बैठक में उपस्थिति रहने लिया पार्षद से छोटा पद
भोपाल। राजनीति में कब, क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। राजनेता के लिए अब पद बड़ा या छोटा नहीं, बल्कि उसके पास पद होना अनिवार्य सा हो गया है। इसका उदाहरण एक बार फिर उस वक्त देखने को मिला जब राज्य के एक पूर्व मंत्री को सांसद ने अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया। हालांकि यह पहली बार नहीं हुआ है, पूर्व मंत्री एक बार और पहले भी जब वे विधानसभा चुनाव हारे थे तब सांसद प्रतिनिधि रह चुके हैं। उनके लिए पद बड़ा हो या छोटा इससे मतलब नहीं है, बल्कि अधिकारियों के साथ बैठकों में उपस्थित रहना जरूरी है।
कभी मध्य प्रदेश सरकार में दो बार मंत्री रहे कमल पटेल को सांसद प्रतिनिधि नियुक्त किया गया है। केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री दुर्गादास उइके ने पूर्व मंत्री कमल पटेल को सांसद प्रतिनिधि बनाया है। कमल पटेल प्रदेश सरकार में पूर्व में मंत्री रहे हैं। कमल पटेल 2023 विधानसभा चुनाव हार गए गए थे। पटेल ओबीसी के बड़े नेता माने जाते हैं। हालांकि, सवाल खड़ा होता है रुतबे में पार्षद से भी छोटा रहने वाले सांसद प्रतिनिधि के पद को पटेल ने क्यों स्वीकार किया। वह भी एक बार नहीं दूसरी बार। यही नहीं पटेल 2014 लेकर 2018 तक भी सांसद प्रतिनिधि रह चुके हैं। 2013 का चुनाव हारने के बाद उन्हें यह पद स्वीकार किया था। हालांकि इस बार अंदरूनी खींचतान बड़ी वजह बन हुई है।
उल्लेखनीय है कि मंत्री के खिलाफ लंबे समय से क्षेत्र में भाजपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी विरोध कर रहे थे। इसके चलते हरदा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा दो भागों में बंटी नजर आने लगी थी। भाजपा पदाधिकारियों ने पिछले दो चुनाव से पटेल के खिलाफ टिकट ना दिए जाने की मुहिम भी चलाई थी, मगर उन्हें पटेल के वरिष्ठ नेताओं के संबंधों के चलते सफलता नहीं मिली थी। अब एक बार फिर ये पदाधिकारी संगठन से नाराज नजर आने लगे हैं। पटेल से नाराज चल रहे पदाधिकारियों का कहना है कि संगठन में जब पद देने की बारी आती है तो पटेल समर्थकों को या फिर वे अपने परिजनों को पद दिला दते हैं। जमीन पर संघर्ष करने वाले कार्यकर्ता उपेक्षित ही रहते हैं।
इसलिए बने सांसद प्रतिनिधि
दरअसल, पटेल हरदा जिले के अधिकारियों की विभागीय बैठकों में हिस्सा लेना चाहते हैं, लेकिन कोई जरूरी पद नहीं होने की वजह से वे ऐसा नहीं कर पा रहा थे। हरदा नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा की पार्षद भारती राजू कमेडिया को अध्यक्ष चुना गया था, पति राजू अभी तक बतौर सांसद प्रतिनिधि बैठकों में शामिल होते थे। अब जबकि उनकी पत्नी नगर पालिका अध्यक्ष है तो उन्हेंने यह पद छोड़ दिया है। यही वजह है कि पटेल ने दोबारा सांसद प्रतिनिधि बनना मंजूर कर लिया।