कॉलेजों के विकास के लिए सीएसआर मद का प्रस्ताव बनाना भूले प्राचार्य

रीवा | उच्च शिक्षा विभाग ने सीएसआर (कार्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी) मद से सरकारी कॉलेजों  के उन्नयन की योजना बनाई है। ज्ञात हो कि कंपनी एक्ट 2013 के तहत सीएसआर मद से प्राप्त कम्पनियों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष विगत तीन वर्षों के औसत के शुल्क के नेट प्राफिट की दो प्रतिशत राशि व्यय करने का प्रावधान है। 

सीएसआर के तहत उच्च शिक्षा विभाग में जो गतिविधियां संचालित की जा सकती हैं जैसे अधोसंरचना विकास, उपकरण, शिक्षा, कौशल विकास, फर्नीचर, लाइब्रेरी, पेयजल व्यवस्था तथा क्षमता संवर्धन करने की योजना तैयार की गई थी। मगर संभाग के प्राचार्य कॉलेजों के विकास के लिए सीएसआर मद का प्रस्ताव बनाना भूल गए। इस संबंध में कॉलेजों की जरूरत एवं कंपनी की स्थिति के अनुसार सीएसआर प्रस्ताव कॉलेजों को तैयार करने थे।

सीएसआर के तहत वर्णित गतिविधियों के संचालन के लिए अतिरिक्त संचालक स्तर पर एक प्रकोष्ठ गठन करने का भी निर्देश दिया गया था। जिसमें कॉलेजों के प्रस्ताव तैयार करने में आने वाली समस्याओं का निराकरण किया जाएगा। मगर अब तक कॉलेजों ने प्रस्ताव तैयार नहीं किया है। 

बताया गया है कि सौ करोड़ तक के टर्न ओवर वाली कंपनियों के लिए अतिरिक्त संचालक और प्राचार्य अपने स्तर पर कंपनियों के अधिकारियों को पत्र लिखेंगे और उनसे संपर्क करेंगे। ताकि उक्त कंपनी के दो प्रतिशत लाभ का फायदा प्रस्ताव भेजने वाले कॉलेज को मिल सके। जबकि सौ करोड़ से लेकर 5सौ करोड़ वाली कंपनी तथा सार्वजनिक उपक्रम के लिए कॉलेज द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव आयुक्त/प्रमुख सचिव के अर्धशासकीय पत्र के साथ भेजा जाना बताया गया था। 5सौ करोड़ से अधिक टर्न ओवर वाली कंपनी के लिए उच्च शिक्षा मंत्री के पत्र के साथ प्रस्ताव सीएसआर मद में सहयोग के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।

पुरस्कृत होंगे 50 लाख से अधिक मद प्राप्त करने वाले प्राचार्य
सीएसआर मद से प्राचार्य ज्यादा से ज्यादा अनुदान प्राप्त कर सकें इसके लिए इसे एक प्रतियोगिता में भी परिवर्तित कर दिया गया था। उच्च शिक्षा विभाग ने यह कहा था कि जिस कॉलेज के प्राचार्यों द्वारा 50 लाख से अधिक का सहयोग सीएसआर मद से प्राप्त किया जाएगा ऐसे प्राचार्यों को राज्य शासन द्वारा विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा। वहीं प्रत्येक कॉलेज में एक प्राध्यापक को नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। जो न सिर्फ कॉलेज में सभी के साथ मिलकर प्रस्ताव बनाएगा बल्कि संबंधित कंपनी के उच्च अधिकारियों के संपर्क में रहकर उनसे प्रस्ताव के बारे में चर्चा करनी होगी।

सीएसआर के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने तीन मानक प्रस्ताव तैयार किए हैं जैसे कि क्लास रूम, रेन वाटर हार्वेस्टिंग और कम्प्यूटर लाइब्रेरी। कॉलेज प्रबंधन अपनी आवश्यकतानुसार नए प्रस्ताव भी बना सकता है। यानी कि महाविद्यालय के पास अगर पहले से ही यह सारी व्यवस्थाएं हैं तो कॉलेज प्रबंधन ऐसे प्रस्ताव तैयार करें जो सुविधाएं महाविद्यालय में नहीं है। सीएसआर मद से मिले अनुदान का इस्तेमाल कॉलेज के उन्नयन में किया जाएगा।